नेशनल डेस्क: पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक और विरोध-प्रदर्शनों के कारण उनके फिरोजपुर नहीं पहुंच पाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने बुधवार को राज्य की कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लिया और आरोप लगाया कि आगामी विधानसभा चुनाव में हार के डर से उसने प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों को विफल करने के लिए हरसंभव कोशिश की। ज्ञात हो कि विरोध प्रदर्शनों के कारण प्रधानमंत्री पंजाब में 15 से 20 मिनट तक एक फ्लाइओवर पर फंसे रहे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में गंभीर खामी माना है और राज्य सरकार से इस मामले में रिपोर्ट तलब किया है। बाद में फिरोजपुर में होने वाले प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया।
प्रधानमंत्री को फिरोजपुर में चंडीगढ़ स्थित स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर) के ‘उपग्रह केंद्र’ और दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे सहित 42,750 करोड़ रुपये से अधिक की लागत की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करने का कार्यक्रम था। बाद में एक रैली को संबोधित करने का भी उनका कार्यक्रम था। नड्डा ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री पंजाब में जिस कार्यक्रम में हजारों करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की शुरुआत करने वाले थे, उसमें व्यवधान डाला गया। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम इस छोटी मानसिकता के चलते पंजाब के विकास को अवरुद्ध नहीं होने देंगे। पंजाब के विकास का हमारा प्रयास जारी रहेगा।”
उन्होंने कहा, ‘‘मतदाताओं के हाथों पराजय के भय से पंजाब की कांग्रेस सरकार ने राज्य में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को विफल करने के लिए हरसंभव हथकंडे अपनाए। ऐसा करने के दौरान उन्होंने यह भी नहीं सोचा कि प्रधानमंत्री, भगत सिंह और अन्य शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले थे और कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखने वाले थे। ऐसी गंदी राजनीति कर पंजाब की कांग्रेस सरकार ने दिखा दिया है कि वह विकास विरोधी है और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति उसके मन में कोई सम्मान नहीं है।”
नड्डा ने कहा कि सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस दौरान प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक हुई। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों को प्रधानमंत्री के रास्ते में आने दिया गया जबकि राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक ने एसपीजी को आश्वासन दिया था कि रास्ता साफ है। उन्होंने कहा, ‘‘मामला तब और गंभीर हो जाता है जब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी फोन पर बात करने या मामले का समाधान करने को भी तैयार नहीं हुए। पंजाब की सरकार का यह रवैया लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास करने वाले सभी लोगों को टीस देने वाला है।”
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