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UP Election: परिवारवाद की विरोधी BJP में ही बाप-बेटे ने ठोंकी टिकट के लिए दावेदरी, अलग-अलग सीटों से मांगा टिकट

कौशल किशोर त्रिपाठी, देवरिया
सत्ता का स्वाद चखने वाले नेताओं की महत्वाकांक्षा कम नहीं हो रही है। नेता अपने सामने ही बेटों को भी राजनीति में स्थापित करने की कोशिश में हैं। इस मामले में परिवारवाद की प्रबल विरोधी भाजपा नेताओं की महत्वाकांक्षा कुछ ज्यादा ही है। जिले के बरहज विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक सुरेश तिवारी अपने साथ-साथ अपने बेटे के लिए भी विधानसभा का टिकट चाह रहे हैं। तिवारी ने इस बार सीट बदलकर अपनी दावेदारी रूद्रपुर विधानसभा सीट से की है तो उनके बेटे संजय तिवारी ने देवरिया सदर सीट से भाजपा का टिकट मांगा है। इसको लेकर पार्टी में विरोध के स्वर तेज होने लगे हैं।

बरहज से भाजपा के विधायक हैं सुरेश तिवारी
देवरिया जिले की बरहज विधानसभा सीट से सुरेश तिवारी भाजपा के विधायक हैं। 2007 में सुरेश तिवारी बसपा के टिकट पर रुद्रपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे। 2017 के चुनाव में उन्होंने पार्टी व क्षेत्र दोनों बदल लिया और बरहज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते। अपने उल-जलूल हरकतों और विवादित बयानों की वजह से तिवारी अक्सर चर्चा में बने रहते हैं। कभी-कभी वह पार्टी के विरोध में भी बोल देते हैं और जनता से भी अक्सर उनकी झड़प हो जाती है। जिसको लेकर सुरेश तिवारी को मतदाताओं और पार्टी नेताओं की नाराजगी भी झेलनी पड़ती है।

खुद रुद्रपुर से और बेटे के लिए देवरिया सदर से मांग रहे भाजपा का टिकट
इस बार के विधानसभा चुनाव में तिवारी ने नया दांव खेला है। उन्होंने न केवल क्षेत्र बदल कर अपनी दावेदारी की है, बल्कि बेटे के लिए भी विधानसभा का टिकट मांगा है। सुरेश तिवारी ने खुद के लिए अपनी पुरानी सीट रुद्रपुर से भाजपा का टिकट मांगा है और अपने बेटे संजय तिवारी को देवरिया सीट से दावेदार बनाया है। रुद्रपुर विधानसभा सीट जयप्रकाश निषाद विधायक हैं और प्रदेश सरकार में पशुधन विकास मंत्री भी हैं, जबकि देवरिया से भाजपा के ही डॉक्टर सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी विधायक हैं।

उद्योगपति हैं सुरेश तिवारी, पुणे में है कारोबार
बीते नवंबर माह में तिवारी ने जिले के पार्टी नेताओं के विरोध के बावजूद भी रुद्रपुर में प्रबुद्ध सम्मेलन कराकर अपने और अपने बेटे की दावेदारी की घोषणा की थी। उक्त कार्यक्रम में उन्होंने विधान परिषद सदस्य एके शर्मा को मुख्य अतिथि बनाया था। हाल ही में देवरिया आई भाजपा की जन विश्वास यात्रा में भी बाप-बेटे ने पूरी ताकत से अपना काफिला निकाला था। सुरेश तिवारी उद्योगपति हैं और पुणे में इनका बड़ा कारोबार है। गांव में इनकी कई शिक्षण संस्थाएं भी चलती हैं।

पार्टी में हो रहा है विरोध
तिवारी और उनके बेटे की दावेदारी से पार्टी और संगठन में विरोध के स्वर तेज होने लगे हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि बाप-बेटे में से एक की दावेदारी पर ही पार्टी को विचार करना चाहिए। अगर दोनों को टिकट मिलेगा तो विद्रोह होगा, अब देखना है कि परिवारवाद का विरोध करने वाली भाजपा इस मामले में क्या फैसला करती है?

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Election 2022) की तारीख घोषित हो चुकी है। 403 सीटों वाली 18वीं विधानसभा के लिए 7 चरण में चुनाव होंगे। 17वीं विधानसभा का कार्यकाल (UP Assembly ) 15 मई तक है. 17वीं विधानसभा के लिए 403 सीटों पर चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च 2017 तक 7 चरणों में हुए थे। इनमें लगभग 61 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इनमें 63 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं थीं, जबकि पुरुषों का प्रतिशत करीब 60 फीसदी रहा। चुनाव में बीजेपी ने 312 सीटें जीतकर पहली बार यूपी विधानसभा (Uttar Pradesh Vidhansabha) में तीन चौथाई बहुमत हासिल किया।

वहीं, अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की अगुवाई में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और कांग्रेस (Congress) गठबंधन 54 सीटें जीत सका। इसके अलावा प्रदेश में कई बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती (Mayawati) की बीएसपी (Bahujan Samaj Party ) 19 सीटों पर सिमट गई। इस बार सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और भाजपा (Bhartiya Janata Party) के बीच है। भाजपा योगी आदित्यनाथ ( Yogi Adityanath) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ रही है।