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मोदी राज में वैश्विक हथियार निर्यात में भारत बन रहा बड़ा खिलाड़ी, चीन को उसी के अंदाज में दे रहा जवाब

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र में भारत की ताकत लगातार बढ़ रही है। मोदी सरकार जहां रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दे रही है, वहीं वैश्विक हथियार निर्यात में भारत को चैंपियन बनाने की कोशिश भी कर रही है। इस दिशा में मोदी सरकार को बड़ी सफलता मिल रही है। प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों का असर है कि भारत देखते ही देखते चीन को भी चुनौती देने लगा है। आज भारत चीन को उसी के अंदाज में जवाब भी दे रहा है। हाल ही में भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल बेची हैं।

इसी तरह भारत ने वियतनाम के साथ भी 100 मिलियन डॉलर यानि 750 करोड़ रुपये का रक्षा समझौता किया है, जिसमें वियतनाम को भारत में बनी 12 हाई स्पीड गार्ड बोट दी जाएंगी। इनके अलावा 42 और देश भारत से हथियार खरीद रहे हैं। इनमें से बहुत सारे देश वो हैं, जो चीन से परेशान हैं और अब भारत हथियार देकर उनकी मदद कर रहा है। गौरतलब है कि पिछले दो दशकों में चीन ने बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, श्रीलंका और अफगानिस्तान जैसे देशों के साथ कई रक्षा समझौते किए और इन देशों को आधुनिक हथियार बेचा।

वर्ष 2015-2016 में भारत ने 2 हज़ार करोड़ रुपये के हथियार दूसरे देशों को बेचे थे। 2020-2021 में ये आंकड़ा 2 हज़ार करोड़ रुपये से बढ़ कर लगभग 6 हज़ार 300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक़ इस क्षेत्र में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में 228 प्रतिशत की वृद्धि देखी है, जो अभूतपूर्व है। आज वैश्विक हथियार निर्यात में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ़ 0.2 प्रतिशत है। जबकि वर्ष 2015 में ये हिस्सेदारी 0.1 प्रतिशत थी। यानि 0.1 प्रतिशत की हिस्सेदारी पाने में भारत को आज़ादी के बाद 68 वर्ष लगे।

भारत हथियारों के लिए दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता को घटा रहा है और आत्मनिर्भर बन कर रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा खिलाड़ी बन रहा है। अब भारत में भी ख़तरनाक और आधुनिक हथियार विकसित किए जा रहे हैं। विदेशों से हथियारों की ख़रीद 33 प्रतिशत तक गिर गई है। इसी बीच मोदी सरकार ने ग्लोबल कैटेगरी के तहत आयात सौदों की समीक्षा शुरू कर दी है। रक्षा मंत्रालय ने संकेत दिया है कि सिर्फ तत्काल या इमरजेंसी की स्थिति में ही विदेश से रक्षा उपकरण खरीदे जाएंगे।

भारतीय सेना भी देश में निर्मित रक्षा उपकरणों की खरीद को प्राथमिकता दे रही है। हाल ही में सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने अगली पीढ़ी के बख्तरबंद इंजीनियर टोही वाहन और अन्य उपकरणों के पहले सेट को कोर आफ इंजीनियर्स को सौंपा। सैन्य अधिकारी के मुताबिक भारतीय सेना पूरी तरह स्वदेशी सात लाख ‘निपुण’ एंटी-पर्सनल माइन को शामिल करने जा रही है, जिनमें आरडीएक्स का शक्तिशाली मिश्रण है। विशाल नेक्स्ट जेनरेशन मेड इन इंडिया एंटी टैंक माइंस को डीआरडीओ द्वारा भारतीय सेना के लिए विकसित किया गया है