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यूपी विधानसभा चुनाव: सैफई परिवार की तीन पीढ़ियों के लिए मैनपुरी ने तैयार की सियासी जमीन, मुलायम सिंह यादव से हुई थी शुरुआत

मैनपुरी पहले भी कई बार सैफई परिवार के लिए सियासी जमीन तैयार कर चुकी है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से हुई ये शुरुआत अब उनके बेटे और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तक आ पहुंची है। सपा और सैफई परिवार के लिए मैनपुरी हमेशा से ही किसी सियासी वरदान से कम नहीं रही है। धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि के रूप में पहचानी जाने वाली मैनपुरी ने सैफई परिवार के लिए एक बार नहीं, बल्कि तीन-तीन बार सियासी जमीन तैयार की। इतना ही नहीं हर बार सैफई परिवार की एक नई पीढ़ी को मैनपुरी ने राजनीति में पहचान दिलाई।

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने जब भी मैनपुरी से लोकसभा जाने के लिए चुनाव लड़ा तो हर बार जनता ने उन्हें दिल्ली पहुंचाने का काम किया। इसके बाद सपा संरक्षक के भतीजे धर्मेंद्र यादव भी वर्ष 2004 में हुए उपचुनाव में इसी मैनपुरी से पहली बार चुनकर लोकसभा पहुंचे।

वर्ष 2014 में मुलायम सिंह यादव के पौत्र तेजप्रताप यादव उपचुनाव में पहली बार सांसद बने। वहीं अब इस बार सपा संरक्षक के बेटे और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव विधानसभा जाने के लिए सियासी जमीन तलाश रहे हैं। इससे पहले उन्होंने कन्नौज और आजमगढ़ से संसद का सफर तय किया, लेकिन जनता की राय पर लखनऊ विधानसभा जाने का ये उनका पहला प्रयास है। ऐसे में वे एक बेहतर सियासी जमीन तलाश रहे हैं।

मैनपुरी की भी चार विधानसभा सीटों में करहल सीट मंजिल को देखते हुए सपा के लिए सबसे आसान है। जातीय गणित के साथ ही सैफई से लगा होने के कारण करहल सपा का गढ़ है। बीते तीन बार से यहां सपा का ही कब्जा रहा है। ऐसे में करहल से ही अखिलेश के विधानसभा चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हैं। हालांकि वास्तविक स्थिति आधिकारिक पुष्टि के बाद ही साफ हो सकेगी।
मैनपुरी ने केवल सैफई परिवार के बेटों को ही नहीं बेटी को भी राजनीति में पहचान दिलाई । इसी मैनपुरी से वर्ष 2015 में सपा के टिकट पर सैफई परिवार की पहली बेटी ने राजनीति में कदम रखा। ये और कोई नहीं बल्कि सपा संरक्षक की भतीजी और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव थीं। सपा के टिकट पर वे जिला पंचायत सदस्य चुनकर आईं और जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं। बाद में पति अनुजेश यादव ने भाजपा का दामन थामा तो वे भी कमल दल में शामिल हो गईं। 2021 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया।

मैनपुरी में कुल चार विधानसभा सीटें हैं, इसमें मैनपुरी, भोगांव, किशनी और करहल शामिल हैं। वर्तमान में भोगांव को छोड़कर तीन पर सपा काबिज हैं। वहीं भोगांव सीट बीते चुनाव में भाजपा के खाते में चली गई थी। इससे पहले ये सीट लगातार पांच बार सपा के खाते में रह चुकी है। ऐसे में ये सीट भी वापस पाने के लिए सपा इस बार पुरजोर कोशिश करेगी।

पार्टी नेता और कार्यकर्ता चाहते हैं कि सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष करहल से चुनाव लड़ें। इसके लिए जिला इकाई की ओर से प्रस्ताव भी पास किया गया है। इस संबंध में प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात करके अपनी बात रखी है। – देवेंद्र सिंह यादव, जिलाध्यक्ष सपा।