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राष्ट्र की प्रगति ही हमारी प्रगति है : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्था ब्रह्म कुमारी द्वारा आयोजिद ‘आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ कार्यक्रम के राष्ट्रीय शुभारंभ समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित साल भर चलने वाली सात महत्वपूर्ण पहलों का अनावरण किया। इस दौरान अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राष्ट्र की प्रगति में ही हमारी प्रगति है। हमसे ही राष्ट्र का और राष्ट्र से ही हमारा अस्तित्व है।

अपने भाषण में उन्होंने कहा आज हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो, एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जो समानता औऱ सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो, हम एक ऐसे भारत को उभरते देख रहे हैं, जिसकी सोच और अप्रोच नई है, और जिसके निर्णय प्रगतिशील हैं। राष्ट्र की प्रगति में ही हमारी प्रगति है। हमसे ही राष्ट्र का अस्तित्व है और राष्ट्र से ही हमारा अस्तित्व है। ये भाव, ये बोध नए भारत के निर्माण में हम भारतवासियों की सबसे बड़ी ताकत बन रहा है।

संकल्प लेने का दौर है यह अमृतकाल, अमृतकाल का ये समय, सोते हुए सपने देखने का नहीं बल्कि जागृत होकर अपने संकल्प पूरे करने का है। आने वाले 25 साल, परिश्रम की पराकाष्ठा, त्याग, तप-तपस्या के 25 वर्ष हैं। सैकड़ों वर्षों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है, ये 25 वर्ष का कालखंड, उसे दोबारा प्राप्त करने का है। हमें अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता, अपने संस्कारों को जीवंत रखना है, अपनी आध्यात्मिकता को, अपनी विविधता को संरक्षित और संवर्धित करना है।

देश में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण, देश के लोकतंत्र में भी महिलाओंकी भागीदारी बढ़ रही है। 2019 के चुनाव में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया। आज देश की सरकार में बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां महिला मंत्री संभाल रही हैं। अब समाज इस बदलाव का नेतृत्व खुद कर रहा है। अमृत काल का ये समय हमारे ज्ञान, शोध और इनोवेशन का समय है। हमें एक ऐसा भारत बनाना है जिसकी जड़ें प्रचीन परंपराओं और विरासत से जुड़ी होगी और जिसका विस्तार आधुनिकता के आकाश में अनंत तक होगा।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान अधिकार और कर्तव्य पर चर्चा करते हुए बताया कि बीते 75 वर्षों में हमने सिर्फ अधिकारों की बात की, अधिकारों के लिए झगड़े, जूझे, समय खपाते रहे। उन्होंने कहा कि अधिकार की बात, कुछ हद तक, कुछ समय के लिए, किसी एक परिस्थिति में सही हो सकती है लेकिन अपने कर्तव्यों को पूरी तरह भूल जाना, इस बात ने भारत को कमजोर रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। भारत ने अपना बहुत बड़ा समय, इसलिए गंवाया है क्योंकि कर्तव्यों को प्राथमिकता नहीं दी गई।