मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में कमलनाथ सरकार (kamalnath government) अब बांधों की रेत (sand) बेचने की तैयारी में है. इसकी शुरुआत प्रदेश के 4 बड़े बांधों (dam) से की जाएगी. सरकार का कहना है साइंटिफिक रीजन (Scientific reasons) से रेत बेची जाएगी. हालांकि अभी इसके लिए कैबिनेट की मंज़ूरी मिलना बाक़ी है. प्रस्ताव मंज़ूर होते ही टैंडर जारी कर दिए जाएंगे.
मध्यप्रदेश में पहली बार चार बड़े डेमों की रेत बेची जाएगी.सरकार ने रेत बेचने का पूरा प्लान तैयार कर लिया है.कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद डेमों से रेत बेचने के टेंडर भी जारी कर दिए जाएंगे.इस रेत से सरकार को करोड़ों की सालाना आय होगी.
210 करोड़ का फायदा
कमलनाथ सरकार ने मध्य प्रदेश के चार बड़े डेम बरगी, तवा, इंदिरा सागर और बाणसागर की रेत बेचने का प्रस्ताव तैयार किया है.जल संसाधन विभाग ये प्रस्ताव 27 नवंबर को होने वाली कैबिनेट की बैठक में रखेगा. कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार पहली बार ई-रिवर्स नीलामी प्रक्रिया से बांधों के टेंडर जारी करेगी.
ये है गुणा-भाग
जानकारी के अनुसार इन चारों बांधों से 15 साल में 1280 मिलियन घन मीटर गाद निकलने का आंकलन है.इसमें औसतन 25 प्रतिशत रेत होने का अनुमान है, जो 320 मिलियन घनमीटर होगी.इस हिसाब से हर साल 20 मिलियन घनमीटर रेत निकलेगी.इससे सरकार को सालाना 210 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने का अनुमान है.रेत साफ निकलने पर जो गाद बचेगी, उसे आस-पास के जिलों में किसानों को मुफ्त में बांटने का प्लान है.ये गाद जमीन को उपजाऊ बनाएगी.
साइंटिफिक रीजन
जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा डैम की रेत निकालने के पीछे दरअसल साइंटिफिक रीजन है. डेम में ज़रूरत से ज़्यादा रेत इकट्ठा हो जाती है. रेत की सफाई कर डैम को सुरक्षित किया जा सकता है. साथ ही रेत का बेहतरीन इस्तेमाल हो पाएगा और सरकार को उसकी रॉयल्टी मिलेगी.खाली ख़ज़ाना भरेगा.
बीजेपी ने सरकार को घेरा
हमेशा शिवराज सरकार को अवैध रेत खनन के मुद्दे पर घेरने वाली कांग्रेस इस बार खुद आरोपों से घिर रही है.बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा ने कहा पूरे प्रदेश में माइनिंग माफिया हावी है.नर्मदा की छाती को चीरा जा रहा है.प्रदेश अंधेरे की गर्त में जा रहा है..रेत माफिया प्रदेश को अपने कब्जे में लिए है. कंप्यूटर बाबा खुद धरने पर बैठे हैं.कोई सुनने वाला नहीं है.अब बाधों को भ खोखला कर दिया जाएगा.
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