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Nitin Agarwal: सपा से आए नितिन अग्रवाल हरदोई से BJP उम्मीदवार, अब तक रहे हैं अजेय

हाइलाइट्सशुक्रवार को बीजेपी ने तीसरी कैंडिडेट लिस्ट जारी कीकुछ दिन पहले ही सपा से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुए थेबीजेपी ने नितिन को खूब भुनाया और सपा को ‘मिर्ची’ लगाने के लिए उन्हें विधानसभा उपाध्यक्ष बनायासुधांशु मिश्र, हरदोई: यूपी के हरदोई जिले की सदर विधानसभा सीट (Hardoi Sadar Assembly seat) से 2017 के आम चुनाव में सपा के टिकट पर चुनाव जीते नितिन अग्रवाल (Nitin Agrawal) ने बुधवार को सपा की सदस्यता और विधानसभा उपाध्यक्ष पद से त्यागपत्र दिया था। शुक्रवार को बीजेपी ने उन्हें अपना कैंडिडेट घोषित कर दिया। नितिन का यह चौथा चुनाव होगा। वहीं, बीजेपी के टिकट पर पहला। शुक्रवार को बीजेपी ने तीसरी कैंडिडेट लिस्ट (BJP Candidate Third List) जारी कर दी है।

वर्ष 2008 में नितिन अग्रवाल ने अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत अपने पिता नरेश अग्रवाल की छत्रछाया में की। दरअसल, उनके पिता नरेश अग्रवाल, जो हरदोई सदर सीट से सात बार विधायक रहे। 2008 में विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया और बसपा में शामिल हो गए। नरेश ने अपने इस्तीफे से रिक्त हुई सीट के लिए अपने एमबीए बेटे नितिन अग्रवाल को टिकट दिलवाया। चूंकि, यह नितिन का पहला चुनाव था, इसलिए नरेश ने खुद पूरे चुनाव का संचालन किया और नितिन को जीत दिलाई और खुद बसपा से पहली बार राज्यसभा पहुंच गए। वर्ष 2012 में नरेश अग्रवाल ने फिर पाला बदला और नितिन के साथ सपा में चले गए। सपा ने नितिन को टिकट दिया और नितिन ने फिर जीत हासिल की। इस पांच वर्षीय कार्यकाल के दौरान वे राज्यमंत्री भी रहे। वर्ष 2017 चुनाव में भी वे सपा के टिकट पर लड़े और मोदी लहर के बावजूद अपना जीत का क्रम बरकरार रखते हुए जीत की हैट्रिक लगाई।

रहे सपा में, प्रचार बीजेपी का किया
2017 में जिले की आठ सीटों में से बीजेपी ने सात पर कब्जा जमाया। प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी। कुछ दिन नितिन सपा के खेमे में रहे, लेकिन कुछ दिन बाद वे बीजेपी के पाले में चले गए। सपा ने उनकी सदस्यता रद्द करने के लिए याचिका दायर की, लेकिन वह विधानसभा अध्यक्ष ने खारिज कर दी, जिससे वह विधायक बने रहे। वहीं, बीजेपी ने भी नितिन को खूब भुनाया और सपा को ‘मिर्ची’ लगाने के लिए उन्हें विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया। टिकट मिलने से दो दिन पहले उन्होंने सपा की सदस्यता के साथ ही विधानसभा उपाध्यक्ष से भी इस्तीफा दे दिया।

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नितिन भले ही जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं, लेकिन उनकी जीत में अहम योगदान उनके पिता नरेश अग्रवाल का ही होता है। चुनाव की पूरी व्यूह रचना नरेश ही बनाते हैं। वर्ष 2017 में जब मोदी लहर चल रही थी, तब नरेश अग्रवाल ने ही सदर सीट से बीजेपी को रोके रखा। इस सीट पर जनसंघ या बीजेपी ने कभी जीत हासिल नहीं की। वहीं, यह पहला मौका होगा कि नितिन बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।

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युवाओं में लोकप्रिय हैं
नितिन अग्रवाल युवा हैं, इसीलिए युवा वर्ग उनको काफी पसंद करता है। वे सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहते हैं और उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है। पिछले दिनों युवा संवाद कार्यक्रम आयोजित किये थे, जिनमें बड़ी संख्या में युवा सीधे उनसे रूबरू हुए और ढेरों प्रश्न पूछे।