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द्रविड़ ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को बड़ी चुनौती बताया, बोले- इससे निपटने के लिए जीवन में संतुलन होना जरूरी

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पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ का मानना है कि क्रिकेट जैसे कठिन खेल में मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। उनके मुताबिक व्यस्त कार्यक्रम के तनाव से उबरने के लिए खिलाड़ियों को हर चीज में संतुलन बनाकर रखना चाहिए। ये बात उन्होंने एक प्रमुख क्रिकेट वेबसाइट से इंटरव्यू में कही। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर तनाव से निपटने के लिए प्रोफेशनल्स की मदद भी ली जा सकती है।

मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करते हुए एनसीए (नेशनल क्रिकेट एकेडमी) प्रमुख ने कहा, कहा, ‘ये एक बड़ी चुनौती है। ये एक कठिन खेल है। इसमें बहुत सारी प्रतिस्पर्धा है, बहुत सारा दबाव है और अब बच्चे पूरा-पूरा साल खेल रहे हैं। ये एक ऐसा खेल है, जिसमें आपको कभी-कभी बहुत सारा समय इंतजार करते हुए और सोचते हुए ही निकालना पड़ जाता है। इसलिए मैदान के अंदर और बाहर आपको वास्तव में अपना ध्यान रखने की जरूरत है खासकर अपने मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करने की जरूरत है। ये तभी हो सकेगा जब हम जितना ज्यादा हो सके इस बारे में लड़कों से बात करेंगे। आप जो कुछ भी करते हैं उसमें एक स्तर तक संतुलन बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है।’

जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन बनाना जरूरी

मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए द्रविड़ ने कहा, ‘उस संतुलन को पाने की कोशिश करना चाहिए जहां सफलता मिलने पर आप बहुत उत्साहित नहीं होते और असफल होने पर बहुत निराश भी नहीं होते। मुझे लगता है कि ऐसा होने पर थोड़ा संतुलित जीवन जीने में मदद मिलती है।’ 

जरूरत पड़े तो प्रोफेशनल्स की मदद लें

मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रोफेशनल्स की मदद लेने के बारे में उन्होंने कहा, ‘इस पर भी काम हो रहा है, जल्द ही हम एक ऐसी स्थिति में होंगे जहां हम इसके लिए प्रोफेशनल्स को नियुक्त कर सकेंगे। मुझे लगता है इनमें से कुछ चीजों को कभी-कभी प्रोफेशनल्स को ही संभालना चाहिए।’ द्रविड़ ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि कोई कोच इस तरह के मामलों से निपटने की क्षमता रखता है। हम कुछ चीजों को करने में सक्षम हो सकते हैं, लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी हो सकती हैं जिसमें हमें पेशेवर लोगों की मदद की जरूरत पड़ सकती है। ये उन चीजों में से एक है जिसके बारे में हम निश्चित रूप से एनसीए में काम करने के इच्छुक हैं। जरूरत पड़ने पर कुछ लड़कों को एक स्तर तक प्रोफेशनल मदद दिलवाई जा सकती है।’

युवाओं के रोल मॉडल बन गए हैं तेज गेंदबाज

भारतीय टीम के युवा तेज गेंदबाजों को लेकर उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है ईशांत, शमी, उमेश, भुवनेश्वर कुमार और बुमराह जो कुछ भी कर रहे हैं, इससे वे वास्तव में युवा पीढ़ी के लड़कों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं, जो ये सोचते हैं कि वे भी अब उनकी तरह तेज गेंदबाज बन सकते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘बीते सालों के दौरान हमारे पास कपिल देव, जवागल श्रीनाथ, जहीर खान और इनके जैसे कई अच्छे तेज गेंदबाज थे। लेकिन एक ही वक्त पर समूह के रूप में ये शायद हमारे अबतक के सबसे अच्छे गेंदबाजी आक्रमणों में से एक है। मुझे लगता है ये इन युवा लड़कों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।

योग्य खिलाड़ियों को ही मौका मिलेगा

अगले साल जनवरी में होने वाले अंडर-19 विश्व कप को लेकर राहुल ने कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि आपने एक विश्व कप खेला है, इसका मतलब ये नहीं है कि आप भारत के लिए खेलेंगे। और सिर्फ इसलिए कि आपने वर्ल्ड कप नहीं खेला है तो इसका भी ये मतलब नहीं है कि आप नहीं खेलेंगे। ये अच्छी उपलब्धि है, लेकिन यही सबकुछ नहीं है और हर चीज का अंत भी नहीं है।’