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Ranchi: प्रदेश भाजपा ने हेमंत सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाया है. आशंका जाहिर की है कि आने वाले दिनों में सरकार के पास अपने नियमित कर्मियों को पैसे देने और सचिवालय तक को चलाने में आफत आ सकती है. रविवार को पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधायक अमित मंडल ने कहा कि हेमंत सरकार में वित्तीय अराजकता बढ़ती जा रही है. हेमंत सरकार में राज्य बीमारू राज्य की श्रेणी में आ चुका है. विगत शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन पेश किये गये सीएजी की रिपोर्ट से इसका प्रमाण मिलता है. राजकोषीय घाटा, राजकीय घाटा बढ़ता जा रहा है. राजस्व उगाही की रिपोर्ट खराब है. राजकीय घाटा बढ़कर 3113 करोड़ का हो चुका है. यही वजह है कि सेविका सहायिका को पैसे सरकार नहीं दे पा रही. कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों को समय पर पैसे नहीं मिल रहे. पारा टीचर को बढ़ा वेतनमान कैसे सरकार दे पाएगी, इस पर शंका है. स्थिति जैसी दिख रही उसमें आने वाले दिनों में अपने ही कर्मियों को सैलरी, सचिवालय का खर्च पर आफत आने वाली है. सरकार बल लोक लुभावन बातें कर जनता को दो सालों से बरगला रही है. कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रदेश अध्यक्ष और सांसद दीपक प्रकाश भी उपस्थित थे.
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रेवेन्यू मेकेनिज्म चिंताजनक
अमित मंडल ने कहा कि राज्य को आगे ले जाने में रेवेन्यू मेकेनिज्म को देखा जाता है. पर दुर्भाग्यवश राज्य के हालात अच्छे नहीं, वित्त और वाणिज्य की स्थिति दुरूस्त रहने पर ही राज्य की सेहत भी तंदरुस्त रहती है. व्यय और रेवेन्यू पर गंभीरता सरकार नहीं दिखा पा रही. राजकोषीय घाटा 1,41,991 करोड़ का हो चुका है. बजट खर्च करने के नाम पर बंदरबांट करने मे सरकार लगी है. वित्तीय बोझ और ऋण का संकट गहरा हो रहा है. संताल परगना से लेकर पलामू तक खनिज पदार्थों (बालू, कोयला) की अवैध ढुलाई हो रही. बगैर चालान के माल का उठाव हो रहा. इससे हर दिन लाखों करोड़ों का घाटा हो रहा है. सत्ता पक्ष के लोबिन हेंब्रम से लेकर विपक्ष के नेता लगातार इस पर आवाज उठा रहे हैं.
वैक्सीनेशन मिशन को फेल करने में लगी रही कांग्रेसः दीपक
दीपक प्रकाश ने देश में वैक्सीनेशन अभियान की प्रगति के लिए केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया. कहा कि कोरोना संकट शुरू होते ही देश में अप्रैल 2020 को पीएम ने एक टास्क फोर्स का गठन किया था. 16 जनवरी 2021 को एक फ्रंट लाइन वर्कर मनीष कुमार को पहला टीका लगा था. एक साल हो गये हैं. आज के दिन पहला टीका से लेकर अब तक 158 करोड़ वैक्सीनेशन का सफर तय किया जा चुका है. 18 और इससे ऊपर की आबादी का 93 प्रतिशत जनता पहला डोज ले चुकी है. 69.5 प्रतिशत को दूसरा डोज भी मिल चुका है.
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कांग्रेस कालखंड में किसी भी महामारी, बीमारी के लिए टीकाकरण अभियान शर्मनाक रहा. टीबी का वैक्सीन 1921 में इजाद हुआ. भारत में यह 1978 में आया. इसी तरह दुनिया में पोलियो का 1955 में टीका आया जबकि देश को यह 1985 में मिला. हेपेटाइटिस का टीका 1935 में तैयार हुआ जो भारत को 2003 में मिला. चिकन पॉक्स के लिये 1955 में तैयार हुआ. 2005 में इस देश को उपलब्ध हुआ. कोरोना संकट शुरू होने से लेकर अब तक दो सालों के भीतर मोदी सरकार और देश के वैज्ञानिकों की मदद से 3 वैक्सीन लाये जा चुके हैं.
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कांग्रेस की भूमिका संदिग्ध
वैक्सीनेशन का प्रयोग जब देश में चल रहा था तो कांग्रेस की भूमिका संदिग्ध रही. पार्टी नेता राहुल गांधी, आनंद शर्मा, पी चिदंबरम, राशिद अल्वी, शशि थरूर ने इसे भगवा और मोदी वैक्सीन कहा था. लोगों को इसका उपयोग करने से मना किया था. इसके बहिष्कार करने की घोषणा की थी. झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा था कि वैक्सीन के नाम पर देश के लोगों को प्रयोगशाला नहीं बनाना चाहिये. बंगाल के सीएम ने तो वैक्सीन के मसले पर पीएम संग बैठक का बहिष्कार किया था.
सत्तारूढ़ दलों के नेताओं की नियत में खोट
कांग्रेस शासित राज्यों में वैक्सीनेशन अभियान को कमजोर किया गया. झारखंड में 37.3 फीसदी वैक्सीन बर्बाद किया गया. छत्तीसगढ़ में 30.2 फीसदी बर्बाद हुए. 15.5 वैक्सीन तमिलनाडु में नाली में फेंक दिये गये. राजस्थान में भी टीका कुड़ादान में पाया गया. केंद्र के भेजे गए वैक्सीन पंजाब में 1500 रुपये से अधिक कीमत पर निजी अस्पतालों में कालाबाजारी कर बेचे गये. टीकाकरण अभियान में झारखंड 21वें स्थान पर है. सत्ताधारी दल के लोगों को आत्मचिंतन करने की जरूरत है. झारखंड में अब तक 50 फीसदी को ही दोनों डोज लगे हैं. सत्तारूढ़ दलों के नेताओं की नीति, नियत में खोट है.
Live: प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद श्री @dprakashbjp जी तथा गोड्डा विधानसभा के विधायक श्री अमित मंडल जी की संयुक्त प्रेसवार्ता, प्रदेश कार्यालय रांची.https://t.co/32SxiZYEWd
— BJP JHARKHAND (@BJP4Jharkhand) January 16, 2022
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