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अगर आप खैनी के शौकीन हैं, तो हो जायें सावधान! आपके होठों तले दबी चुटकी में हो सकता है जानलेवा एसिड

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Vishwajeet Bhatt

Jamshedpur : यूं तो खैनी तंबाकू स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है ही, लेक‍िन झारखंड में बड़ी संख्या में लोग इसके सेवन के अभ्यस्त हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में बहुतायत में ऐसे लोग म‍िल जायेंगे जो खैनी का सेवन करते हैं. बाजार में खुलेआम इसकी ब‍िक्री होती है. यहां के बाजार में ब‍िहार के समस्‍तीपुर और वैशाली सहित अन्य ज‍िलों से खैनी की बड़ी खेप पहुंचती है. दुकानदार इसे तीखा और नशीला बनाने के ल‍िए इसमें धड़ल्‍ले से तेजाब का पानी म‍िला देते हैं. खाने पर यह तंबाकू होंठ काटता है, ज‍िससे खाने वाले को इसके तीखेपन का एहसास होता है. बाद में तेजाब का यह पानी मुंह में घाव कर देता है. फ‍िर यह जख्‍म कैंसर को दावत देता है. कारोबारी कम कीमत वाली खैनी को ज्‍यादा दर पर बेचने के ल‍िए ऐसा करते हैं.

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झारखंड में कैंसर का प्रमुख कारण है खैनी

विशेषज्ञ बताते हैं कि झारखंड में इस समय सबसे अधिक कैंसर के रोगी मिल रहे हैं और इसका प्रमुख कारण खैनी ही है. लोग मुंह में जहां खैनी रखते हैं, तेजाब के पानी वाली खैनी वहां ऐसा जख्म बनाती है जो शरीर खुद नहीं भर पाता. यह खैनी मुंह की कोई परत नहीं काटती है, बल्कि सीधे सीधे घाव बनाती है. इसका लंबा इलाज चलता है और दवाएं भी इस घाव पर कम असर करती हैं. इसके उलट सामान्य खैनी मुंह की जो परत काटकर जख्म बनाती है, उसको शरीर अपने आप भरने में सक्षम होता है और एक समयावधि तक शरीर यह घाव भरता भी है. दोनों तरह की खैनी कैंसर का रोगी बनाती है, लेकिन सामान्य खैनी खाने वाला व्यक्ति यदि छह महीने में कैंसर का रोगी बनता है तो तेजाब के पानी वाली खैनी खाने वाला व्यक्ति दो महीने में ही कैंसर का रोगी बन जाता है.

हर हफ्ते दो-तीन लोग होठों पर ऐसे घाव लेकर मेरे पास आते हैं, जिसको देखकर यह साफ लगता है कि ये सीधे-सीधे घाव बना है. ऐसा घाव एसिड ही बना सकता है. मुंह के घाव लेकर रोगी तो बहुत आते हैं, लेकिन खैनी खाने के कारण होठों की परत कटने वाले घाव अलग और एसिड वाली खैनी के कारण बने घाव अलग होते हैं. परत कट कर बने घाव अपने आप ठीक हो सकते हैं, लेकिन एसिड के कारण बने घाव अपने आप नहीं ठीक होते हैं. इसका लंबा इलाज चलता है और दवाएं कम असर करती हैं, इसलिए एसिड वाली खैनी खाने वाले लोग जल्द कैंसर के शिकार होते हैं.                                                                     –डॉ अमित कुमार, कैंसर रोग विशेषज्ञ

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चंद सिक्कों के लिए होती है ये जानलेवा कारगुजारी

नाम न छापने की शर्त पर डिमना रोड मानगो के खैनी के एक सेमी होलसेलर ने बताया कि थोड़े से फायदे के लिए दुकानदार खैनी को तेजाब के पानी से सींचने की कारगुजारी करते हैं. बाजार में इस समय 100 रुपये किलो से लेकर 350 रुपये किलो तक की खैनी उपलब्ध है. 350 रुपये किलो वाली खैनी वास्तविक रूप से नशीली और तेज होती है. इसका पत्ता थोड़ा कड़क, वजनी और गहरे रंग का होता है. इसके खरीदार कम हैं. इसलिए इसको बेचने से दुकानदार को नाम मात्र का फायदा होता है. दूसरी तरफ 100 से 200 रुपये किलो वाली खैनी कम तेज व कम नशीली होती है, लेकिन सस्ती होने के कारण इसके खरीदार बहुत हैं. इसलिए इसको बेचने से दुकानदार को अच्छा खासा फायदा है. इसी खैनी को तेज बनाने के लिए दुकानदार इस पर तेजाब वाले पानी का छिड़काव करते हैं.

ये है खैनी के कारोबार का हिसाब

एक सेमी होलसेलर ने बताया कि जमशेदपुर में लगभग 325 सेमी होलसेलर हैं. एक सेमी होलसेलर गिरते पड़ते भी औसतन हर महीने लगभग 80 किलो खैनी बेच लेता है. इस हिसाब से यदि जोड़ा जाए तो केवल पूर्वी सिंहभूम जिले में ही हर महीने 26 हजार किलो खैनी की खपत है. सबसे अधिक बिकने वाली 200 रुपये किलो वाली खैनी को लेकर हिसाब लगायें, तो हर महीने खैनी का 52 लाख रुपये का कारोबार हो रहा है.

खैनी में लंबे समय तक रहता है एसिड का असर

कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ अमित कुमार बताते हैं कि खैनी में एसिड का छिड़काव किये जाने पर इसका प्रभाव बहुत लंबे समय तक रहता है. इससे मुंह में बना घाव कैंसर के किसी भी रूप से मेल नहीं खाता. ये बिल्कुल ही अलग तरह का और बड़ा घाव मुंह में बनाता है. एसिड वाली खैनी के शिकार होकर मुंह में घाव लिए ज्यादातर युवा ही हमारे पास आते हैं.

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