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प्रयागराज : अदालत में केस की फाइल न भेज पाने पर अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का आदेश 

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोर्ट को केस फाइल भेजने में विफल रहने वाले अधिकारी सहायक रजिस्ट्रार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया है। वह एक विशेष फाइल को सूचीबद्ध करने में विफल रहे और विभिन्न प्रशासनिक निर्देशों का हवाला देते हुए मामले की फाइल को कोर्ट के समक्ष भेज दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने मेरठ जिले के लिसारीगेट थाना के दलशाद उर्फ दिल्लू की जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए हुए दिया।

अदालत ने याची को जमानत पर रिहा करने आदेश जारी किया और कहा कि सहायक रजिस्ट्रार कोट्र के आदेशों का पालन करने में विफल रहे। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि जब उन्हें व्यक्तिगत रूप से बुलाया और उनकी ओर से हुई चूक के बारे में पूछा तो उन्होंने अपना रुख दोहराया कि प्रशासनिक निर्देशों के कारण आदेश का पालन नहीं किया जा सकता। इस पर कोर्ट ने उन्हें अवज्ञाकारी मानते हुए उनके आचरण को न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करार दिया और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया।

मामला मेरठ जिले के लिसारीगेट थाने का है। दलशाद उर्फ दिल्लू पर हत्या सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी। निचली अदालत ने याची की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। याची ने अपनी जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुनवाई में रजिस्ट्री अधिकारी संदीप कुमार सहायक रजिस्ट्रार फाइलिंग सेक्शन में प्रतिनियुक्त की ओर से पैदा की गई बाधा को नोट किया।

कोर्ट ने बुधवार को एक विशेष आदेश पारित कर निर्देश दिया गया था कि नियमित जमानत याचिका को 20 जनवरी 2022 बृहस्पतिवार को नए मामलों की सूची में रखा जाए। मामले में न तो पूर्वोक्त मामलों को नई सूची तैयार की गई और न ही फाइल कोर्ट को भेजी गई थी।

कोर्ट ने खंडपीठ सचिव से पूछताछ की तो सहायक रजिस्ट्रार ने जवाब दिया कि विभिन्न प्रशासनिक निर्देशों के के कारण आदेश अनुपालन के लिए उत्तरदायी नहीं था और फाइल भेजने या सूची तैयार करने से इनकार कर दिया।

जिसके बाद जब यह मामला न्यायालय के संज्ञान में लाया गया तो न्यायालय ने निर्देश दिया कि अधिकारी को तलब किया जाए। न्यायालय के समक्ष भी सहायक रजिस्ट्रार ने वहीं बात दोहराई। इस पर न्यायालय ने आदेश पारित कर नियमों के तहत कार्रवाई का आदेश दिया।