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UP Election : जिन्ना का जिन्न और समाजवादी इत्र की खुशबू, अखिलेश यादव की शुरुआत को अंत में बदलने की तैयारी

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार अखिलेश यादव का पूरा फोकस पश्चिम उत्तर प्रदेश पर है। राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी के साथ वो यहां के 11 जिलों की 58 सीटों पर नजर गड़ाए बैठे हैं जहां जाट और मुसलमान मिलकर वोट कर दें तो 2014 से पहले वाले नतीजे आ सकते हैं। दिल्ली एयरपोर्ट पर हेलिकॉप्टर रोकने का आरोप लगाने के बाद मुजफ्फरनगर पहुंचे अखिलेश यादव किसानों के मुद्दों और गन्ना किसानों को 15 दिनों में भुगतान का वादा करते नज़र आए। उधर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा अखिलेश के पाकिस्तान प्रेम को उभारते नज़र आए। योगी आदित्यनाथ से लेकर यूपी चुनाव में लगे तमाम बड़े नेताओं ने अखिलेश को दबाने का नस पकड़ लिया है। वो समाजवादी इत्र की खुशबू बिखेरने निकले थे। बीजेपी पीयूष जैन और पम्मी जैन दोनों के इत्र को समाजवादी बताकर पहले से ही उन्हें घेर रही है। ऊपर से पाकिस्तान और मोहम्मद अली जिन्ना अब अखिलेश यादव के लिए मुसीबत बन गए हैं। बीजेपी रोजाना इन दोनों मुद्दों पर प्रहार कर रही है। बीजेपी को पता है कि जाटलैंड में ये मुद्दा चल गया तो अखिलेश को मुंह की खानी पड़ेगी।

मुलायम सिंह यादव के सैफई से सौ किलोमीटर दूर है कन्नौज। पूरी दुनिया में यहां के इत्र की खुशबू फैलती है। लिहाजा इत्र कारोबारियों की जेब मोटी है। ऐसे ही एक कारोबारी पुष्पराज जैन उर्फ पम्मी जैन समाजवादी पार्टी के विधान पार्षद हैं। जब मिलते जुलते नाम वाले पीयूष जैन के घर से इनकम टैक्स वालों ने 194 करोड़ कैश बरामद किया तो अखिलेश यादव ने पलटवार कर कहा कि निशाना पम्मी के यहां का था, टैक्स इंस्पेक्टर ने गलती से पीयूष जैन पर छापा मार दिया। अब यूं कहें कि गलती अगले दो दिनों में सुधर गई। पम्मी जैन के ठिकानों पर भी छापा पड़ गया। पीयूष के पिटारे को भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव या अखिलेश यादव से जोड़ने की परोक्ष रणनीति पर काम करती उससे पहले ही सपा नेता ने पीयूष जैन को भाजपाई बताकर रणनीतिक बढ़त लेने की कोशिश कर दी। लेकिन बीजेपी ने दांव पलट दिया। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पूछ रहे हैं कि जिन्होंने भ्रष्टाचार का इत्र छिड़का था वो क्रेडिट लेने क्यों नहीं आ रहे? कानपुर की सभा में उनकी ये लाइन पढ़ लीजिए – ट्रक भर-भर कर नोट मिले हैं, अब ये लोग कह रहे हैं कि वो हमारे नहीं हैं। कहा कि 2017 से पहले यूपी में भ्रष्टाचार का इत्र छिड़क रखा था, वो फिर बाहर आ गया है। UP के लोग सब देख रहे हैं। पिछली सरकार ने यूपी को लूटा है। इसीलिए वो UP का विकास करने वालों के साथ हैं।

अब थोड़ा पहले लिए चलचे हैं। 10 नवंबर की बाता है। इसी दिन अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव को टारगेट करते हुए 22 किस्म के प्राकृतिक सुगंधों को मिलाकर समाजवादी पार्टी (सपा) ने एक ‘समाजवादी इत्र’ लॉन्च किया। अखिलेश यादव ने दावा किया है कि इसकी खुशबू से नफरत की राजनीति समाप्त होगी। अब नफरत खत्म करने वाले इत्र भ्रष्टाचार में घुल जाएगा इसकी कल्पना अखिलेश यादव ने नहीं की थी। लिहाजा, अब वो समाजवादी इत्र की चर्चा करने से परहेज कर रहे हैं।

कथित पाकस्तान प्रेम पर भी अखिलेश को बीजेपी ने घेर लिया है। 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना को भी महापुरुष की उपाधि दे दी। अखिलेश ने कहा कि गांधी, नेहरू की तरह जिन्ना ने भी देश को आजाद करने की लड़ाई लड़ी। कुछ दिनों बाद उन्होंने अपने बयान का समर्थन कर बीजेपी के हथियार को और तेज कर दिया। इसके बाद उन्होंने कहा कि भारत का दुश्मन नंबर वन पाकिस्तान नहीं चीन है। बीजेपी ने इसको भी लपक लिया है। हालांकि मुलायम सिंह यादव जब रक्षा मंत्री थे तब भी उन्होंने इस तथ्य को जोर देकर रखा कि चीन से निपटने की तैयारी ज्यादा अहम है। सामरिक दृष्टिकोण से अखिलेश ने भले ही सही बयान दिया हो लेकिन राजनैतिक कोण अलग कर योगी आदित्यनाथ ने उन्हें यूपी के सियासी रण में घेर लिया है।

योगी आदित्यनाथ ने अपने ताजा ट्वीट में लिखा है – वे ‘जिन्ना’ के उपासक है, हम ‘सरदार पटेल’ के पुजारी हैं। उनको पाकिस्तान प्यारा है, हम माँ भारती पर जान न्योछावर करते हैं। साफ है कि बीजेपी गंगा एक्सप्रेस वे के विकास पथ पर हिंदुत्व के एजेंडे को तेज कर दिया है। किसान आंदोलन से उपजे राजनैतिक हालात को देखते हुएए। पिछली बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 76 में 66 सीटें भगवा खेमे में गई जहां 14 जिलों में मुसलमान वोटों का प्रतिशत 20 से ज्यादा है। मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, अलीगढ़, संभल, बिजनौर, मुरादाबाद और बरेली में ये उस 30 प्रतिशत के जादुई आँकड़े से ज्यादा वोट करते हैं जिस पर यूपी में सरकार बन जाती है। इस बीच मायावती ने बिना शोराबे के पहले दो चरणों के लिए जो 109 उम्मीदवार उतारे हैं उनमें 40 टिकट मुसलमानों को दे दिए। अगर वो मुसलमान वोट काटने में कामयाब रहे और जाटों ने बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड पर वोट कर दिया तो अखिलेश के लिए परेशानी बढ़ सकती है।