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यूपी चुनाव 2022: पहले चरण में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती, इस बार आधी सीटों पर कड़ी टक्कर

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विधानसभा चुनाव के पहले चरण में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। ब्रज में शामिल आगरा, मथुरा और अलीगढ़ सहित 11 जिलों की 58 में 53 सीटों पर 2017 में कमल दल को एतिहासिक सफलता मिली थी। जबकि बसपा और सपा को दो-दो और रालोद को एक सीट मिली थी। इस बार भाजपा के लिए पुराना प्रदर्शन दोहराना एक बड़ी चुनौती है।

भाजपा ने आगरा की सभी सीटें जीती थीं

आगरा की बात करें तो ये पहले चरण में सबसे ज्यादा सीटों वाला जिला है। यहां नौ विधानसभा सीटें हैं। सभी भाजपा को मिली थीं। मथुरा में पांच सीट हैं, जिनमें चार भाजपा और एक बसपा को मिली थी। अलीगढ़ में सात सीटे हैं सातों भाजपा के पास थीं। बुलंदशहर में सात में से सात और नोएडा में तीन में तीन, गाजियाबाद में पांच से पांच सीटें 2017 में भाजपा को मिली थीं।

पश्चिमी यूपी में भी रहा था दबदबा

मेरठ की सात में छह सीट भाजपा और एक सपा को मिली थी। मुजफ्फरनगर की छह में से छह और हापुड़ की तीन में दो भाजपा और एक बसपा को मिली थी। बागपत की तीन सीट में से दो पर भाजपा और एक छपरौली रालोद के खाते में आई थी। शामली में एक सपा व दो भाजपा को मिली थीं। इस तरह पहले चरण में शामिल 58 में 53 सीट भाजपा, दो सपा, दो बसपा और एक रालोद को मिली थी।

मोदी लहर में किया क्लीन स्वीप
2017 में मोदी लहर पर सवार भाजपा ने आगरा से लेकर बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद तक क्लीन स्वीप किया था। 2022 में माहौल अलग है। ऐसे में सीटों को बचाए रखने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक रखी है। पश्चिम में हो रहे पहले चरण के मतदान का असर आगे पूरबी क्षेत्रों के मतदान पर भी पड़ेगा। इसीलिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री सहित तमाम दिग्गज पुराना प्रदर्शन दोहराने के लिए मैदान में मोर्चा संभाले हुए हैं।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक पहले चरण में आधी सीटों पर विपक्ष से कड़ी टक्कर है। पल-पल बदलते समीकरणों से दिग्गज बैचेन हैं। जिन 53 सीटों पर भाजपा को 2017 में सफलता मिली थी उनमें दस सीटों पर सपा, दस सीटों पर रालोद और 18 सीटों पर बसपा, चार पर कांग्रेस व अन्य दल दूसरे स्थान पर रहे थे। इस बार अगर ब्रज में भाजपा के लिए राह आसान नहीं होगी।

कांग्रेस है खाली हाथ

पहले चरण के जिन सीटों पर 10 फरवरी को मतदान होना है उन पर 2017 में कांग्रेस खाली हाथ रही। 58 सीटों में कहीं भी कांग्रेस का खाता नहीं खुला था। पहले चरण में शामिल पश्चिम के 11 जिले जाट, मुस्लिम के अलावा अनुसूचित वर्ग, पिछड़ा बहुल है। ब्राह्मण, क्षत्रिय के अलावा बड़ी संख्या में गैर जाटव व गैर यादव बिरादरियां इस क्षेत्र में आती हैं।