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झीरम कांड के अपराधियों के नाम केंद्र को पता है इसलिए हमें नहीं दी जा रही रिपोर्ट- भूपेश बघेल

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झीरम के मामले में हम अभी भी गंभीर हैं, नरेंद्र मोदी जब धमतरी आए थे तो उन्होंने कहा कि हमारी सरकार आएगी तो 15 दिन में अपराधी सलाखों के पीछे होंगे। सरकार आई तो क्या हुआ, एनआई की रिपोर्ट में लीपापोती की गई कोई पकडा नहीं गया, न ही कुछ सिध्द हुआ। हम उस रिपोर्ट से सहमत नहीं थे, इसलिए हमने वो रिपोर्ट मांगी, साल भर पत्राचार किया गया, भारत सरकार, गृह विभाग या एनआईए ने उस रिपोर्ट को हमें नहीं दिया। इसका मतलब केंद्र में बैठे लोगों को पता है कि झीरम के षडयंत्रकारी कौन थे, उनको पता है इसलिए रिपोर्ट हमें वापस नहीं कर रहे।यह बयान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को कांग्रेस दफ्तर में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया। 


नक्सलवाद खत्म करने हमने चर्चा करली आपको पता नहीं चला 
यह प्रेस कॉन्फ्रेंस कांग्रेस की सरकार के राज्य में एक साल पूरे करने के मौके पर की गई थी। मुख्यमंत्री यहां सरकार के काम-काज से काफी संतुष्ट नजर आए और मीडियो को सरकारी उपलब्धियां गिनाई। पत्रकारों ने पूछा कि सरकार में आने के बाद सीएम ने कहा था कि नक्सलवाद को खत्म करने की रणनीति बनाने के लिए प्रभावित वर्ग से चर्चा की बात की गई थी, क्या चर्चा हो पाई। इस पर सीएम बघेल ने कहा कि चर्चा करके हम वहां से आ भी गए, आप लोगों को पता भी नहीं चला।


सीएम ने आगे कहा कि मैंने वहां के पत्रकारों से चर्चा की, व्यापारियों से बात की, नक्सल पीड़ित लोगों से बात की, सुकमा के अंदरूनी गांवों में जाकर जवानों से भी मिला। हम दो बातों के साथ निष्कर्ष तक पहुंचे हैं। पहला यह कि वहां के लोगों को विश्वास जीतना होगा। दूसरा यह कि वहां विकास करना होगा। इसके लिए वहां के लोगों को शिक्षा और रोजगार देने के प्रयास करने के लिए पीडब्ल्यूडी के ठेकों में स्थानीय लोगों को काम, कनिष्ठ चयन बोर्ड का गठन किया है, इससे 10 हजार नौकरियां देंगे, शिक्षा देकर उनके जीवन को ऊपर उठाएंगे, बंद स्कूलों की शुरूआत वहां फिर से की गई है। 


शराबबंदी के सवाल पर थोड़ा झुंझलाए 
पत्रकारों ने सवाल किया कि शराबबंदी का मुद्दा भी प्रमुख था, मगर शराबबंदी हुई नहीं। यह सुनकर सीएम ने कहा सबसे प्रमुख कैसे था, घोषणा पत्र की कॉपी देखो भला, देखिए ऐसा है कि यह सरकार 5 साल के लिए है घोषणा पत्र भी पांच साल के लिए है। भाजपा की सरकार ने तो कहा था कि आदिवासी को गाय देंगे कितने लोगों को दिया, हर आदिवासी परिवार के एक सदस्य को नौकरी देंगे कितनों को मिला, आप जो कह रहे हैं, हमने कहा शराबबंदी लागू करेंगे, और हम उस बात पर कायम हैं। उसका वातावरण बनाएंगे। 


नोटबंदी में जो मरे उसका कोई सवाल पूछ पा रहा है, भारत सरकार से,  कितने नोट आए नोटबंदी से, कितना कालाधन आया कोई पूछ पा रहा है।    जिसके बदौलत वो सरकार में आए पुलवामा में 44 जवानों की शहादत कैसे हुई। कोई पूछ पा रहा है, हम शराबबंदी करेंगे, लेकिन नोटबंदी की तरह नहीं जैसे लोगों को लाइन में खड़ा कर मार दिया गया। अचानक शराब बंद किया तो दूसरा नशा शुरू हो जाएगा, अन्य राज्यों में इसकी असफलता के कारणों को अध्ध्यन करना होगा, भाजपा इसपर राजनीति कर रही है, यहां के लोगों को या देश के लोगों को भाजपा वाले सिर्फ मतदाता मानते हैं।