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Editorial: ममता बैनर्जी का भतीजा मोह कहीं टीएमसी की नौका डूबों ना दे

3-1-2022

पांच राज्यों के चुनाव में टीएमसी ने गोवा पर दाव ख्ेाला है। ममता बैनर्जी को लगता है कि गोवा में चुनावी पारी खेलने से वह राष्ट्रीय नेता के तौर पर उभरेंगी परंतु पहले उन्हें बंगाल में चल रहे अंतरकलह का निपटारा करने की सोचना चाहिये। अंतरकलह से तात्पर्य है ममता के भतीजा प्रेम से जिससे अब कई सांसद व विधायक नाराज दिखाई दे रहे हैं। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में आज से अंतर्कलह और तेज हो सकती है। वजह है पार्टी के संगठन चुनाव। संगठन चुनावों में फिर से ममता बनर्जी के ही अध्यक्ष चुने जाने के आसार हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से उनके भतीजे और टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के खिलाफ तमाम नेताओं ने आवाज बुलंद की है।
संगठन चुनाव में अगर अभिषेक को और ताकत दी गई, तो उनके और ममता के खिलाफ विरोध की आवाजें और बुलंद हो सकती हैं। पार्टी के दो बड़े नेता कल्याण बनर्जी और मदन मित्रा पहले ही अभिषेक बनर्जी के खिलाफ आवाज बुलंद कर चुके हैं। ये दोनों ही नेता ममता बनर्जी के खास माने जाते हैं।
श्रीरामपुर से सांसद और लोकसभा में टीएमसी के चीफ व्हिप कल्याण बनर्जी ने कहा था कि वो सिर्फ ममता को ही अपना नेता मानते हैं। उन्होंने ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी को निशाने पर लिया था।
कल्याण के इस बयान के बाद टीएमसी के कई नेताओं ने उनके खिलाफ अपनी राय जाहिर की थी। ममता के करीबी और पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री मदन मित्रा ने भी बीते दिनों अभिषेक के खिलाफ आवाज उठाई थी। मदन मित्रा को इस पर पार्टी की अनुशासन समिति ने चेतावनी भी दी थी। पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी ये दावा कर रहे हैं कि कोई विरोध नहीं है, लेकिन इस सवाल का जवाब कोई नहीं दे रहा है कि फिर कल्याण बनर्जी और मदन मित्रा ने किस मसले पर अपनी आवाज बुलंद की है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों में जीत के बाद ममता ने अपने भतीजे को राष्ट्रीय महासचिव बना दिया। अभिषेक पहले ही सांसद हैं। अब उनको गोवा और अन्य राज्यों में पार्टी को आगे बढ़ाने और विधानसभा चुनाव जिताने की जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में पार्टी में खुद को दरकिनार पाकर तमाम नेताओं में अभिषेक और ममता के कदमों के खिलाफ नाराजगी लगातार बढ़ती ही जा रही है।
अब इन टीएमसी सांसदों ने कहीं नाराजगी में पार्टी का साथ छोड़ दिया तो चुनावी नाव डूबने की स्थिति उत्पन्न होगी इसीलिये ममता बैनर्जी गोवा में ध्यान ना देकर बंगाल पर ध्यान पहले दे।