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सासंद राहुल गांधी 03 फरवरी को आएंगे रायपुर

सांसद श्री राहुल गांधी 3 फरवरी को रायपुर आ रहे हैं। वे  यहां साइंस कॉलेज मैदान में राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन मजदूर कृषि न्याय योजना का शुभारंभ करेंगे। श्री राहुल गाँधी इस दौरान साइंस  मैदान में लगे बस्तर डोम का अवलोकन भी करेंगे। यहाँ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल उन्हें बस्तर संभाग के सातों जिलो में आदिवासी विकास संस्कृति-परम्पराओं के संरक्षण के लिए किये  जा रहे विकास कार्यों की जानकारी देंगे। यहाँ श्री राहुल गांधी सातों जिलों से आए हितग्राहियों से बातचीत भी करेंगे और उनके अनुभव जानेंगे। सांसद श्री गांधी वे बस्तर अंचल की संस्कृति परंपरा और रहन-सहन से वाकिफ होंगे। बस्तर डोम में बस्तर की आराध्य देवी दंतेश्वरी माई की डोली और पूज्य आंगादेव भी विराजमान हैं ।
  श्री राहुल गांधी मुख्य तौर पर आदिवासी अंचलों में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे हैं विकास कार्य का जायजा लेंगे। बस्तर डोम साइंस मैदान में आकर्षण का मुख्य केंद्र रहेगा। यहां बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा जिलों में किए जा रहे विकास से परिचित होंगे। डोम में नारायणपुर जिले से बांस शिल्प एवं फर्नीचर निर्माण की झलक दिखाई देगी। वहीं महिला समूह उन्हें मसाले व चटनी निर्माण तथा रागी माल्ट उत्पादन से अवगत कराएंगी। स्थानीय धान के जैव विविधता और काजू प्रोसेसिंग  यूनिट मुख्य आकर्षण के केंद्र होंगे । इसी तरह  जिला सुकमा में किसानों की आय में वृद्धि और द्विफसल लेने के लिए किए गए प्रयासों की झलक देखने को मिलेगी  ।यहां इसी तरह कला गुड़ी में 500 से भी अधिक कारीगरों के परिवार लाभान्वित हो रहे हैं जिससे उन्हें लगभग 2 लाख रुपये की आय हो रही है। शिल्पग्राम गांव में बेलमेटल, टेराकोटा  शिल्प को बढ़ावा देने के लिए सुविधाएं शासन द्वारा मुहैया कराई गई है। बीजापुर जिले ने सामूहिक मिर्ची की  खेती में भी एक पहचान बनाई है। वही बस्तर जिले में 2000 एकड़  में काजू की खेती से आय अर्जित किया जा रहा है। यहां
महुआ लड्डू व स्थानीय उत्पादों से आय अर्जित किया जा रहा है जिससे अजीविका में वृद्धि हो रही है। सुपोषण अभियान के तहत मुख्यमंत्री सुपोषण केंद्रों में कुपोषण को जड़ से खत्म करने अभिनव पहल किये जा रहे है। बस्तर के कोंडागांव  में 20 से अधिक जलप्रपात व प्राकृतिक स्थलों को टूरिस्ट सर्किट से जोड़ा गया है जिससे आजीविका भी संवर्धित हुई है। डेनेक्स अंतर्गत दंतेवाड़ा जिला प्रशासन द्वारा 5 साल का एमओ यू किया गया है इसमें कुल 75 लाख उत्पाद बनाए जाएंगे। डेनेक्स से 150 से परिवारों को रोजगार मिल रहा है। डेनेक्स अब बस्तर की पहचान बन गई है। वही बस्तर अकादमी ऑफ डांस आर्ट, लिटरेचर एंड लैंग्वेज संस्था बादल की स्थापना भी की गई है, जो यहां के लोक नृत्य, लोकगीत, स्थानीय भाषा ,साहित्य और शिल्प कला को सुरक्षित करने के लिए बनाई गई है। समाज के विभिन्न वर्गों के बीच आपसी सद्भाव बढ़ाने और भारतीय संस्कृति की मूल भावना सर्व समाज एकता परिषद की परिकल्पना की गई है ,जिसकी झलक यहां देखने को मिलेगी । बस्तर के दरभा व कई अन्य गाँव में काफी की खेती की जा रही है जिससे प्रति एकड़ में 30 हजार से अधिक का लाभ किसानों को हो रहा है। बस्तर के युवाओं को स्वरोजगार, नवाचार और उद्यमिता के प्रति प्रेरित करने के लिए थिंक बी का गठन किया गया है। इससे 12 स्टार्टअप को प्रारंभ किया गया है। नारायणपुर जिला में प्री बर्थ वेटिंग होम एक महत्वपूर्ण अभिनव पहल है इसे प्रदर्शित किया गया है। मोटरबाइक एंबुलेंस संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया है जो आसपास के दूरस्थ 25-30 ग्रामों में जाकर मौके पर सुरक्षित प्रसव कराने का जिम्मा उठाया है। अंचल के  देवगुड़ी और  आँगा देव्  की प्रतिकृति बनाई गई है जो बस्तर सहित आदिवासी अंचल की आराध्य और प्राचीन संस्कृति का हिस्सा है । बस्तर डोम में सात जिलों की सतरंगी  संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी ।