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Khurja Seat: खुर्जा में हार के डर से बीजेपी ने बदला प्रत्याशी? क्या है लोगों का रुझान… पढ़ें Ground Report

बुलंदशहर
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के खुर्जा में सियासत पार्टियों की बजाय प्रत्याशियों के इर्द-गिर्द घूमती है। यहां की जनता किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को सत्ता सौंप सकती है। इस बार खुर्जा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सिटिंग एमएलए विरेंद्र सिंह का टिकट काट दिया है। उनकी जगह पर मीनाक्षी सिंह को टिकट दिया गया है। वहीं सपा-आरएलडी गठबंधन ने बंशी सिंह पहाड़िया पर भरोसा जताया है। पहाड़िया दूसरी बार विधायक बनने की कोशिश करेंगे।

क्या है समीकरण
बुलंदशहर जिले में पड़ने वाले खुर्जा में हिंदू वोटर ज्यादा हैं। तकरीबन 20 हजार मुस्लिम मतदाता भी यहां पर हैं, जिनमें से ज्यादातर अनुमानतः अबकी बार सपा के पाले में जाने वाले हैं। हिंदुओं में ठाकुर, ब्राह्मण, जाट और अनुसूचित जाति के मतदाता काफी मात्रा में हैं। बताया जाता है कि खुर्जा सीट पर ब्राह्मण और ठाकुर मतदाता निर्णायक भूमिका में होते हैं। दोनों ही बीजेपी के वोट बैंक माने जाते हैं।

बीजेपी को मिलेगी बढ़त
खुर्जा में बीजेपी को शायद पहले ही से यह भान हो गया होगा कि क्षेत्र में ऐंटी-इंकम्बेंसी जोरों पर है। यही कारण है कि जनता की नाराजगी की वजह बने सिटिंग एमएलए विरेंद्र सिंह का टिकट इस बार काट दिया गया। उनकी जगह पर मीनाक्षी सिंह को टिकट दिया गया है। सपा ने जमीनी और व्यवहारिक नेता कहे जाने वाले बंशी सिंह पहाड़िया पर भरोसा जताया है। खुर्जा में यूं तो हिंदुत्व के नाम पर योगी आदित्यनाथ को जबर्दस्त समर्थन मिल रहा है लेकिन पहाड़िया की सादगी, सर्वसुलभता और व्यवहारिकता ने भी लोगों का मन मोह रखा है।

किसी अपराधी पर बुलडोजर चलने से हमें नौकरी मिल जाएगी क्या?
खुर्जा कचहरी में किसी केस की सुनवाई के लिए आए मुकेश कुमार ने कहा कि वह पहले तो बीजेपी को वोट देते थे लेकिन अब बंशी (सिंह पहाड़िया) को देंगे ठोक के। इस पर वहां मौजूद भीड़ हूटिंग करने लगती है। वह बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं। साथ ही अपने केस के कुछ कागज दिखाते हैं। वह कहते हैं कि तीन महीने से रोजाना कचहरी में डोल रहे हैं। रोजाना पैसा (रिश्वत) दे रहे हैं लेकिन काम नहीं हो रहा है। हमने उनसे कहा कि क्या आप सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दे रहे हैं? इस पर वह झल्लाकर कहते हैं कि इसके अलावा क्या करें?

बीजेपी के समर्थक सचिन चौधरी कहते हैं कि खुर्जा में सिर्फ योगी आदित्यनाथ के नाम पर वोट पड़ेगा और मीनाक्षी सिंह चुनाव जीतेंगी। इसी दौरान एक अन्य युवक कहते हैं कि अखिलेश यादव ने 100 नंबर की गाड़ी चलाई। ऐंबुलेंस चलाया। बीजेपी केवल फीते काटना जानती है। उन्होंने कहा कि अमर दुबे की पत्नी को बीजेपी सरकार ने जेल भेज दिया। विकास दुबे के चक्कर में क्या पूरे खानदान को आग लगा दोगे? उन्होंने कहा योगी जी जब मुख्यमंत्री थे तब उन पर 17 मुकदमे थे। सीएम बनते ही उन्होंने सबसे पहले उन्हें ही वापस लिया।

योगी सरकार पर आरोप
उन्होंने पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि योगी सरकार ने मुख्तार अंसारी पर ऐक्शन लिया। डॉन बृजेश सिंह पर चलवाते बुलडोजर। सिर्फ एक जाति विशेष पर ऐक्शन नहीं लिया जाना चाहिए। भीड़ में शामिल एक शख्स कहते हैं कि बंशी सिंह पहाड़िया लोकल शख्सियत हैं और जमीनी नेता हैं। बीजेपी की उम्मीदवार मीनाक्षी सिंह किसी अधिकारी की पत्नी हैं और नोएडा में रहती हैं जबकि पहाड़िया लोगों के लिए इतने सुलभ हैं कि राह चलते भी लोग उनसे मिल सकते हैं।

खुर्जा में हमें ऐसे लोग भी मिले जो यह नहीं जानते थे कि बंशी सिंह पहाड़िया किस पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन वह उन्हें अपना वोट देने की बात कहते थे। जाहिर है कि बंशी सिंह पहाड़िया पार्टी से इतर अपनी व्यक्तिगत पहचान के भरोसे चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं मीनाक्षी सिंह बीजेपी के टिकट पर योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर चुनाव लड़ेंगी।

क्या है खुर्जा का मूड
रुकमुद्दीन कहते हैं कि वह हमेशा से सपा को वोट डालते आए हैं क्योंकि बीजेपी मालदारों की पार्टी है। शकील भी रुकमुद्दीन की बात से सहमति जताते हैं। खुर्जा के रहने वाले योगेश कहते हैं कि उन्होंने पिछली बार बीजेपी को वोट दिया था। इस बार वह अभी तक तय नहीं कर पाए हैं कि किसे वोट देना है। वह कहते हैं कि आवारा पशुओं से फसल बचाने के लिए रात भर खेत की रखवाली करनी पड़ रही है।

योगेश योगी सरकार से खुश नहीं हैं। फ्री राशन के सवाल पर कहते हैं कि 5 तारीख का राशन 28 तारीख को मिला है। 23 तारीख वाला राशन जाने कब मिलेगा। नुसरत कहते हैं कि योगी सरकार ने लोगों को नौकरी दे रखी है कि गाय-बिजार रखाओ। वह कांग्रेस को वोट देने वाले हैं। जब हम कहते हैं कि कांग्रेस तो फाइट में नहीं है तो वह कहते हैं कि आएगी कभी फाइट में।

खुर्जा की कचहरी में एक सरकारी कर्मचारी भी किसी काम से मौजूद थे। वह कहते हैं कि ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने वाली पार्टी को ही वे लोग वोट देंगे। चाहे वह बीजेपी हो या समाजवादी पार्टी।

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