सार
जिला अस्पताल की डायटीशियन ललितेश शर्मा ने कहा कि डिब्बा बंद खाद्य सामग्री और प्लास्टिक के बर्तनों में गर्म खाद्य सामग्री कतई न लें। इसमें घातक रसायन से कैंसर का खतरा है। लाल मांस खाने से भी बचें। तंबाकू और धूम्रपान तुरंत छोड़ दें।
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वर्षों तक तंबाकू चबाई, दोस्त-परिजनों ने छोड़ने के लिए कहा, नहीं माने। फिर क्या, कैंसर जैसी बीमारी ने जकड़ लिया। डॉक्टर बोले, ठीक होने की उम्मीद है, लेकिन तंबाकू छोड़नी होगी। उन्होंने तंबाकू छोड़ने का संकल्प लिया और इलाज कराया। आगरा में ऐसे कई लोग हैं, जिनके संकल्प और संयम से कैंसर हारा और जिंदगी जीत गई।
एसएन मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग की वरिष्ठ डॉक्टर सुरभि गुप्ता ने बताया कि एक साल में औसतन 1450 नए मरीज मिल रहे हैं। इनमें से करीब 64 फीसदी पुरुष, 33 फीसदी महिलाएं और तीन फीसदी 14 साल से कम उम्र के बच्चे हैं। महिलाओं में स्तन कैंसर, बच्चेदानी के मुख का कैंसर, पित्त और खाने की थैली में कैंसर की मरीज अधिक हैं।
पुरुषों में मुंह-गले का कैंसर, फेफड़ों और बड़ी आंत का कैंसर सबसे ज्यादा मिल रहा है। इसकी वजह तंबाकू है। तंबाकू छोड़ने पर इलाज से हर महीने 25 से 30 मरीज ठीक हो रहे हैं। ठीक होने के बाद पांच साल तक इनको फॉलोअप में रखा जाता है।
डिब्बाबंद खाने से बचें, प्लास्टिक के बर्तन में गर्म खाना न खाएं
जिला अस्पताल की डायटीशियन ललितेश शर्मा ने कहा कि डिब्बा बंद खाद्य सामग्री और प्लास्टिक के बर्तनों में गर्म खाद्य सामग्री कतई न लें। इसमें घातक रसायन से कैंसर का खतरा है। लाल मांस खाने से भी बचें। प्याज, लहसुन, गोभी, संतरा, पपीता और घुलनशील रेशे वाले अनाज-दालें खाएं। महिलाएं शिशुओं को नियमित स्तनपान कराएं।
मुंह कम खुल रहा तो कैंसर की आशंका
जिला अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. भूपेंद्र चाहर ने कहा कि तंबाकू खाने से मुंह कम खुलना, मुंह में बार-बार छाले होना, गले में गांठ, नली में खाना अटकना, मीनोपॉज के बाद माहवारी, अनियमित माहवारी होना, स्तनों के आकार में बदलाव भी कैंसर के लक्षण हैं। ऐसे होने पर डॉक्टर से जांच कराएं।
एसएन में पंजीकृत कैंसर मरीज
3026 : मरीज पंजीकृत
1952 : पुरुष मरीज
991 : महिलाएं मरीज
83 : बच्चे हैं मरीज
एसएन में रोजाना मरीजों की स्थिति
40-45 मरीजों की कीमोथेरेपी
60-65 मरीजों की रेडियोथेरेपी
15-20 मरीज फॉलोअप वाले
तंबाकू से मुंह का कैंसर, जज्बे से दी मात
धनौली के 51 वर्षीय राजेश शर्मा ने कहा, मुझे तंबाकू की लत लग गई। दिन में 10 से अधिक पाउच खा जाता था। इससे मुंह का कैंसर हो गया। हौसला टूटने लगा। डॉक्टरों की काउंसिलिंग के बाद तंबाकू को हाथ नहीं लगाया है। संयम काम आया, ऑपरेशन के बाद सामान्य जिंदगी जी रहे हैं।
कैंसर की दस्तक, तंबाकू को बाय-बाय
बोदला के 43 वर्षीय गोपाल दास ने कहा, मैं करीब 20 साल से तंबाकू खा रहा था। चार साल पहले गाल में छाला हो गया, डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने कैंसर की प्रथम स्टेज बताई। डॉक्टर ने कहा कि तंबाकू नहीं छोड़ोगे तो जान नहीं बचेगी। उसी वक्त जेब से तंबाकू को कचरे के डिब्बे में फेंका। तंबाकू न खाने का संकल्प लिया, इलाज कराया, अब ठीक हूं।
कैंसर के डर ने छुड़वा दी तंबाकू, बची जान
घटिया आजम खां निवासी मातादीन प्रजापति ने बताया कि 10-12 साल तंबाकू खाई। मुंह कम खुलता था। चार साल पहले सोल्जर ऑफ सोसाइटी के डॉ. नवीन गुप्ता ने कैंसर का डर दिखाते हुए तंबाकू छोड़ने का संकल्प दिलाया। तब से तंबाकू छोड़ दी है। शुरूआत में तलब लगी, लेकिन संयम बरता और अब ठीक हूं।
विस्तार
वर्षों तक तंबाकू चबाई, दोस्त-परिजनों ने छोड़ने के लिए कहा, नहीं माने। फिर क्या, कैंसर जैसी बीमारी ने जकड़ लिया। डॉक्टर बोले, ठीक होने की उम्मीद है, लेकिन तंबाकू छोड़नी होगी। उन्होंने तंबाकू छोड़ने का संकल्प लिया और इलाज कराया। आगरा में ऐसे कई लोग हैं, जिनके संकल्प और संयम से कैंसर हारा और जिंदगी जीत गई।
एसएन मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग की वरिष्ठ डॉक्टर सुरभि गुप्ता ने बताया कि एक साल में औसतन 1450 नए मरीज मिल रहे हैं। इनमें से करीब 64 फीसदी पुरुष, 33 फीसदी महिलाएं और तीन फीसदी 14 साल से कम उम्र के बच्चे हैं। महिलाओं में स्तन कैंसर, बच्चेदानी के मुख का कैंसर, पित्त और खाने की थैली में कैंसर की मरीज अधिक हैं।
पुरुषों में मुंह-गले का कैंसर, फेफड़ों और बड़ी आंत का कैंसर सबसे ज्यादा मिल रहा है। इसकी वजह तंबाकू है। तंबाकू छोड़ने पर इलाज से हर महीने 25 से 30 मरीज ठीक हो रहे हैं। ठीक होने के बाद पांच साल तक इनको फॉलोअप में रखा जाता है।
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