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Kanpur News: एसटीएफ ने सिंदूरी प्रजाति के 1878 कछुओं के साथ 2 तस्कर पकड़े

कानपुर:एसटीएफ कानपुर यूनिट को एक बड़ी सफलता मिली है। एसटीएफ को सूचना मिली थी कि सिंदूरी प्रजाति के प्रतिबंधित कछुओं की एक बड़ी खेप कोलकाता के लिए रवाना हो रही है। एसटीएफ ने रामादेव फ्लाईओवर ब्रिज पर घेराबंदी कर ट्रक से 49 बोरों से 1878 कछुए बरामद किए हैं। इसके साथ ही मौके से दो तस्करों को भी दबोचा है। कछुओं की कैलोपी का इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवा बनाने में किया जाता है।

एसटीएफ कानपुर यूनिट को मुखबिर की ओर से सूचना मिली थी कि बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित कछुओ को लेकर ट्रक कोलकाता जा रहा है। एसटीएफ, डब्ल्यूसीसीबी और वन विभाग की टीम की संयुक्त टीम ने तस्करों के पास से 1878 कछुए बरामद किए हैं। एसटीएफ की टीम पकड़े गए तस्करों जावेद और मो. फारूख से पूछताछ कर रही है। तस्कर खुद को ट्रक चालक और परिचालक बता रहे हैं। एसटीएफ पकड़े गए कछुओं को वन विभाग के हवाले करेगी।

49 बोरों में 1878 कछुए बरामद
डीएफओ राकेश कुमार यादव ने बताया कि रविवार सुबह एसटीएफ और डब्ल्यूसीसीबी और वन विभाग की टीम के साथ मिलकर एक ट्रक पकड़ा गया, जिसमें 49 बोरों में 1878 कछुए मिले हैं। ये सभी कछुए सिंदूरी प्रजाति के हैं और ये प्रतिबंधित प्रजाति है। पूछताछ में पता चला है कि इटावा से कोलकत्ता के लिए जा रहा था। इन कछुओं को पकड़ना और तस्करी करना अपराध है। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन है कि इसके मूल्य का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी जुटाई जा रही है कि इसका इस्तेमाल कहां करने वाले थे।

शक्तिवर्धक दवाओं में होता है इस्तेमाल
देश में कछुओं की 29 प्रजाति पाई जाती हैं, जिसमें से 15 प्रजाति सिर्फ उत्तर प्रदेश में पाई जाती हैं। इनमें से 11 प्रजातियों का अवैध व्यापार किया जाता है। अवैध व्यापार वाले कछुओं के मांस और उनकी झिल्ली को सुखाकर इनका प्रयोग शक्तिवर्धक दवाओं में किया जाता है। यह कछुए यमुना, चम्बल, गोमती, गंगा और तालाबों में बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं।