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भारत ने क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए कई अहम पहल की है : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानि शनिवार को हैदराबाद के पतनचेरु में आईसीआरआईएसएटी की 50वीं वर्षगांठ समारोह की शुरुआत की। इसके साथ उन्होंने संस्थान के प्लांट प्रोटेक्शन एंड रैपिड जनरेशन एडवांसमेंट फैसिलिटी पर जलवायु परिवर्तन रिसर्च फैसिलिटी का उद्घाटन किया। साथ ही उन्होंने एक स्मारकीय टाक टिकट भी जारी किया। इस अवसर पर अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए कई अहम पहल की है।

उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चैलेंज वैसे तो दुनिया की हर आबादी को प्रभावित करता है, लेकिन इससे सबसे ज्यादा वो लोग प्रभावित होते हैं जो समाज के आखिरी पायदान पर हैं। उनके पास resources की कमी है, जो विकास की सीढ़ी में ऊपर चढ़ने के लिए मेहनत कर रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में हमारे छोटे किसान हैं, जिनके लिए क्लाइमेट चैलेंज बहुत बड़ा संकट बन सकता है। भारत ने climate challenge से निपटने के लिए दुनिया से इस पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया है। भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरो का टारगेट तो रखा ही है,

क्लाइमेट और दूसरे factors के कारण भारत की एग्रीकल्चर के सामने जो चुनौतियां हैं उसके बारे में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि क्लाइमेट चेंज के कारण देश की कृषि के सामने जो चुनौतिया हैं उससे निपटने में भारत के प्रयासों से सभी एक्सपर्ट्स परिचित हैं। अधिकांश लोग जानते हैं कि भारत में 15 Agro-Climatic Zones हैं। इसके अलावा हमारे देश में वसंत,  ग्रीष्म,  वर्षा,  शरद,  हेमंत और शिशिर, ये 6 ऋतुएं भी होती हैं। हमने LIFE- Lifestyle for Environment की ज़रूरत को भी हाईलाइट किया है।

डिजिटल एग्रीकल्चर बदलते भारत का अहम पक्ष, डिजिटल एग्रीकल्चर के बारे में पीएम मोदी ने कहा कि यह बदलते हुए भारत का एक महत्वपूर्ण पक्ष है। ये हमारा फ्यूचर है और इसमें भारत के टेलेंटेड युवा, बहुत बेहतरीन काम कर सकते हैं। डिजिटल टेक्नॉलॉजी से कैसे हम किसान को empower कर सकते हैं, इसके लिए भारत में प्रयास निरंतर बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि आजादी के अमृतकाल में हम higher agriculture growth पर फोकस के साथ ही inclusive growth को भी प्राथमिकता दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कृषि के क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बहुत अहम है। उन्हें सब प्रकार की मदद देने के लिए स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से भी प्रयास किया जा रहा है। खेती में देश की एक बहुत बड़ी आबादी को गरीबी से बाहर निकालकर बेहतर लाइफ स्टाइल की तरफ ले जाने का पोटेंशियल है। ये अमृतकाल, कठिन भौगोलिक परिस्थतियों में खेती करने वाले किसानों को कठिनाइयों से बाहर निकालने के नए माध्यम भी मुहैया कराएगा।