30 December 2019
कुछ समाचारों पर हम यदि अपना ध्यान केन्द्रित करें तो हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि देश को जलाकर आग तापने वाले नेताओं को पाक साथ मिल रहा है।
सऊदी अरब कश्मीर में स्थिति पर चर्चा के लिए इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी- ह्रढ्ढष्ट) के सदस्य राष्ट्रों के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने की योजना बना रहा है पाक
विदेश कार्यालय ने कहा कि उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के संबंध में भारत सरकार की कार्रवाई और भारत में लगातार अल्पसंख्यकों को कथित तौर पर निशाना बनाए जाने का मुद्दा उठाया.ओआईसी मुस्लिम बहुल देशों का संगठन है और पाकिस्तान भी इसका हिस्सा है.
भारत एक प्रजातांत्रिक राष्ट्र है। प्रजातंत्र में प्रदर्शन करने का अधिकार सबको है। परंतु क्या हम अपने देश में हिंसक प्रदर्शनों को प्रोत्साहित करेंगे? क्या वोट बैंक की राजनीति के लिये देश को आग की लपटों में झोंक देंगे। यह मीडिया रिपोर्ट से स्पष्ट है कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी के विरोध को हिंसक रूप देने में पीएफआई, सिमी तथा अन्य आतंकवादी संगठनों का हाथ है और इन सबको इस कार्य के लिये पाकिस्तान का वरदहस्त है।
शेख अब्दुल्ला के अनुरोध पर अनुच्छेद ३७० को संविधान में डालकर पंडित नेहरू ने जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद के बीज बोए थे। लगभग तीन दशक से कश्मीर पाक प्रायोजित छद्म युद्ध आतंकवाद को झेलते रहा है। अब मोदी सरकार ने ३७० अनुच्छेद को निष्प्रभावित कर जम्मू-कश्मीर मेें शांति कायम की है।
सत्ता लोलुप वोटो की राजनीति करने वाले नेताओं को यह शांति पसंद नहीं है। इसलिये उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राजीव गांधी के शासन के दौरान असम में जो एनआरसी लागू की गई उसका विरोध आज की कांग्रेस पार्टी और उसकी शह पर अन्य विपक्षी दल कर रहेहैं। भ्रम यह फैलाया जा रहा है कि एनआरसी अन्य प्रांतों में लागू होने पर भारत के मुसलमानों को डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जायेगा और उनकी नागरिकता छीन ली जायेगी। इससे बढ़कर देशद्रोह और क्या हो सकता है। एनआरसी का प्रारूप क्या होगा इसका प्रस्ताव किस प्रकार से होगा यह अभी तक सरकार की ओर से नहीं कहा गया है। जब भी प्रस्ताव आयेगा तो उस पर पूरे देश में संसद में चर्चा होगी। बावजूद इसके एनआरसी आने वाला है एनआरसी आने वाला है और भारत के सभी मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जायेगी ऐसी अफवाह फैलाई जा रही है।
सीएए और एनपीआर को लेकर भी इसी प्रकार का भ्रम फैलाया जा रहा है। जबकि सीएए का प्रावधान पर मोहर महात्मा गांधी से लेकर नेहरू इंदिरा गंाधी ही नहीं बल्कि मनमोहन सिंह भी लगा चुके हैं। बावजूद इसके इसका विरोध हो रहा है।
एनपीआर २०१० में यूपीए शासनकाल में लाया जा चुका है। बावजूद इसके इसका विरोध हो रहा है। यह कहा जा रहा है कि अभी के एनपीआर में पैरेंटस का विवरण जन्म आदि पूछा गया है। जबकि यह सब पूछा गया है इसकेलिये प्रमाण नहीं मांगे गये हैं। सरकार को भारत के वास्तविक नागरिकों पर विश्वास है इसलिये यह विवरण ऑनलाईन भी मंगाया जा रहा है।
बावजूद इसके इसका विरोध हो रहा है। देश की जनता यह समझने में असमर्थ है कि यदि राहुल गांधी अपने पिता राजीव गांधी और दादा फिरोज खान का नाम जाहिर कर दें तो उसमें नुकसान क्या है। परंतु हमारे यहॉ तो सभी प्रकार की आजादी है। देशद्रोह की भी आजादी है। अरूंधति राय ने खुलेआम विद्यार्थियों को आव्हान किया है कि वे एनपीआर में गलत जानकारी दें। अपने बाप का नाम रंगा-बिल्ला और पता पीएम हाऊस दें। उन्होंने पासपोर्ट को भी फाड़ देने का आव्हान किया है।
परंतु यह कार्य अरूंधति राय और उसके साथी एक्टिविस्ट्स खुद के लिये नहीं करेंगे। क्या वे अपने पासपोर्ट को फाड़ेेंगे या उसे गलत जानकारी देकर बदलावायेंगे। इन जैसे नेताओं के कारण से ही असम में एनआरसी रजिस्टर में भी गड़बडिय़ा हुई हैँ।
हिंसक विरोध को प्रोत्साहित करने वाले वोट बैंक की राजनीति करने वाले नेताओं को खुलकर कहना चाहिये कि वे रोहिंग्या और अवैध बंगलादेशी घुसपैठियों को भारत की नागरिकता देने के पक्ष में हैं। इसी प्रकार से उन्हें खुलेआम यह भी कहना चाहिये कि भारत की बार्डर खोल देनी चाहिये। जो चाहे वह भारत में आ सकता है। कोई रोक टोक इसमें नहीं होनी चाहिये।
इसी प्रकार से अभी भी ३७० अनुच्छेद को निष्प्रभावी करने का विरोध हो रहा है। इसका विरोध करने वाले नेताओं को खुलेआम यह घोषणा करनी चाहिये कि वे यदि सत्ता में आए तो ३७० धारा को लागू करेंगे।
इसीलिये आज उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने कहा, ‘Óसीएए हो या एनपीआर, इन पर देश के लोगों को संवैधानिक संस्थाओं, सभाओं और मीडिया में विचारपूर्ण, सार्थक तथा सकारात्मक चर्चा में हिस्सा लेना चाहिए कि यह कब आया, क्यों आया, इसका क्या प्रभाव होगा और क्या इसमें किसी बदलाव की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘Óलोकतंत्र में सहमति, असहमति बुनियादी सिद्धांत है। हम किसी चीज को पसंद करते हैं या नहीं, दोनों पक्षों को सुना जाना चाहिए और उस हिसाब से कार्रवाई होनी चाहिए।
आज का समाचार है – हिंसक प्रोटेस्ट से चरमराई टूरिज्म इंडस्ट्री, 15 दिनों में दो लाख पर्यटकों ने रद्द किया ताजमहल का दौरा, दिसंबर में घटे 60त्न टूरिस्ट।
संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, इजरायल, सिंगापुर, कनाडा और ताइवान ने अपने नागरिकों को ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है।
इसी प्रकार से सीएए और एनसीआर का भारत में जो विरोध हो रहा है उससे उत्साहित होकर पाकिस्तान ने सऊदी अरब से गुहार लगाई है कि कश्मीर, ष्ट्र्र और हृक्रष्ट पर बुलाए मुस्लिम देशों की बैठक बुलाई जाये।
देश की जनता को सोचना है कि अभी जो हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं उसमें किसका भला है।
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