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Editorial: क्या सिद्धू राजनीति के अखाड़ें में अब कहीं के नहीं रहे!

8-2-2022

पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले ही नहले पर दहला हो गया। सभी को चौंकाते हुए कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब कांग्रेस के प्रख्यात नेता नवजोत सिंह सिद्धू के स्थान पर पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को अपने अगले CM चेहरे के रूप में पंजाब कांग्रेस का प्रतिनिधि चुना है। जिस कुर्सी को पाने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू ने तरह-तरह के तिकड़म आजमाए थे, यहां तक कि उन्होंने पंजाब कांग्रेस के सबसे चमकते सितारे (कैप्टन अमरिंदर सिंह ) को भी धक्के मारकर बाहर निकलवाया।

 परन्तु इतना तो स्पष्ट हो गया है कि नवजोत सिंह सिद्धू न घर के रहे न घाट के और इस बात का लाभ उठाने में कोई भी विपक्षी नहीं चूकेगा। स्वयं कैप्टन अमरिन्दर सिंह इस स्थिति का जमकर लाभ उठा रहे हैं। विश्वास नहीं होता तो उनके पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का सोशल मीडिया हैंडल देख लीजिये, वहां तो अलग ही रौनक छाई हुई है।

ऐसे में, सवाल उठना स्वाभाविक है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह नवजोत सिंह सिद्धू के गम से इतना प्रसन्न क्यों है? दरअसल, जिस पार्टी को सींचकर उन्होंने पंजाब में लड़ने योग्य बनाया, जिस पार्टी के लिए वे राहुल गांधी जैसे अयोग्य और अशिष्ट नेता तक से 2017 विधानसभा चुनाव  में अपने नेतृत्व को सुदृढ़ रखने हेतु भिड़ गए उसे एक ऐसे नेता ने अपदस्थ किया, जो कांग्रेस के लिए एक टिशू पेपर से अधिक कुछ नहीं था और पलटने में तो शायद नीतीश कुमार को भी एक बार टक्कर दे देता।

बता दें कि पंजाब में सिद्धू ने अपनी ही पार्टी की प्रदेश सरकार से कई मुद्दों को लेकर बगावत की। इसके अलावा सिद्धू के पास प्रदेश में कुल तीस फीसदी दलित सिखों के बीच लोकप्रियता कम है जबकि इस रेस में चन्नी उनसे आगे हैं। वहीं, सिद्धू पजाब में कांग्रेस पार्टी से हटकर अपना विकास मॉडल लोगों के बीच प्रस्तुत करते आये हैं। हालांकि, उनके विकास मॉडल से पार्टी असंतुष्ट थी। ऐसे में, नवजोत सिंह सिद्धू की राजनीति धीरे- धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रही है। सिद्धू पंजाब कांग्रेस को हथियाने और कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अकड़ को धूल में मिलाने का प्रत्यन कर रहे थे लेकिन अंत में नवजोत सिंह सिद्धू को ही खाली हाथ लौटने पर मजबूर होना पड़ा!