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UP Election: यूपी राजनीति का वो सुनहरा दौर जब राजनाथ सिंह के मुरीद होकर विपक्षी उम्मीदवार बनाते थे उनकी चुनावी रणनीति

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Chunav 2022) के बीच जहां सत्ता पक्ष, विपक्ष समेत तमाम विरोधी दल एक-दूसरे पर किचड़ उछालने में पीछे नहीं रह गए हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक दौर ऐसा भी था, जब एक उम्मीदवार विपक्षी प्रत्याशी के लिए चुनाव में हर संभव मदद के लिए खड़ा रहता था। यह साल था 2000, जब राजनाथ सिंह (rajnath singh) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (uttar pradesh chief minister) बने थे। उस दौर में जहां एक तरफ राजनाथ सिंह खुद उपचुनाव में दावेदार थे, लेकिन विपक्षी उम्मीदवार का हर रोज हाल-चाल लेने नहीं भूलते थे। यहां तक की चुनाव (Election) के दौरान उन्होंने कई उम्मीदवारों की मदद भी की।

अक्टूबर 2000 में जब राजनाथ सिंह यूपी के मुख्यमंत्री बने तो वह राज्य विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं थे। छह महीने के अंदर उन्हें सदन का सदस्य होना था। ऐसे में उनके लिए कांग्रेस विधायक सुरेंद्र नाथ अवस्थी ने अपनी सीट छोड़ दी। फिर उपचुनाव हुआ। उपचुनाव में राजनाथ सिंह का जीतना तय माना जा रहा था और उन्होंने बहुत बड़े अंतर से जीत दर्ज की। लेकिन उनका यह चुनाव एक खास वजह से चर्चा में रहा।
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इन चुनावों में राजनाथ सिंह की सज्जनता ने उनके विरोधियों का भी दिल जीत लिया था। राजनाथ सिंह हर रोज अपना चुनाव अभियान खत्म करके जब कैंप कार्यालय लौटते तो अपने खिलाफ लड़ रहे उम्मीदवारों को फोन लगवाते। उनसे वह पूछते थे कि चुनाव कैसा चल रहा है। साथ ही यह कहना नहीं भूलते कि चुनाव लड़ना आसान नहीं, बहुत खर्चा होने लगा है। लेकिन अगर कोई दिक्कत होगी तो हमें जरूर बताना। जो हमसे संभव होगा, वह मदद हम जरूर करेंगे।

कई उम्मीदवारों की राजनाथ सिंह ने की मदद
कहा जाता है कि कई उम्मीदवार ऐसे थे, जो अपना चुनावी खर्च राजनाथ सिंह से लेने लगे थे। राजनीति को तो गिव एंड टेक का खेल माना ही जाता है। इसके बाद वह ऐसा चुनाव बन गया, जहां ज्यादातर विरोधी खेमों से भी राजनाथ सिंह की मदद होती दिख रही थी। कई विरोधी उम्मीदवार तो अक्सर देर रात उनके कैंप कार्यालय में उनके रणनीतिकार के रूप में देखे जाने लगे थे, जबकि उनकी पार्टियां लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उपचुनाव में कड़ा मुकाबला होने का दावा कर रही थीं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह