कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) नए साल में सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) और पेंशनधारियों (Pension) को सौगात देने की तैयारी में है. वो प्रदेश के 10 लाख कर्मचारियों का महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) यानी DA बढ़ाने पर विचार कर रही है. नये वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल 2020-31 मार्च 2021) से सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता पांच फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है. अभी मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कर्मचारियों को 12 फीसदी DA मिल रहा है जो बढ़कर 17 फीसदी हो जाएगा. कर्मचारियों के साथ ही पेंशनर्स को भी बढ़े हुए डीए (DA) का फायदा देने का प्लान है.
मध्य प्रदेश में वर्ष 2020 सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी लेकर आ रहा है. कमलनाथ सरकार सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स का डीए बढ़ाने जा रही है. कर्मचारियों का डीए पांच फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है. वित्त विभाग ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है. जल्द ही इस संबंध में प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा. इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही कर्मचारियों का डीए 12 से बढ़कर 17 फीसदी हो जाएगा.
सरकारी खजाने पर भार
सरकार कर्मचारियों के साथ ही पेंशनधारियों का भी ख्याल रख रही है. बढ़े हुए डीए का फायदा वो पेंशनर्स को भी देगी. इसका भी प्रस्ताव तैयार हो रहा है. हालांकि इस फैसले से सरकार के खजाने पर काफी भार पड़ेगा. प्रदेश के 10 लाख सरकारी कर्मचारियों को हर महीने 17 फीसदी DA देने से सरकार पर करोड़ों का वित्तीय भार पड़ने का अनुमान है. सरकार ने फिलहाल दो प्रतिशत की व्यवस्था तो कर दी है लेकिन तीन प्रतिशत की राशि का अतिरिक्त इंतजाम उसे अभी और करना है.
लाखों पेंशनधारियों को तोहफ़ा
कांग्रेस के प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कमलनाथ सरकार कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील है. कर्मचारियों के साथ ही लाखों पेंशनधारियों को भी इसका फायदा मिले इस दिशा में सरकार सकारात्मक रूप से विचार कर रही है. जैसे ही यह प्रस्ताव कैबिनेट में आएगा इसे मंजूर कर लिया जाएगा.बीजेपी ने साधा निशाना
महंगाई भत्ता पांच फीसदी बढ़ाने की सुगबुगाहट पर बीजेपी का कहना है कि राज्य में कांग्रेस सरकार आने के बाद से कर्मचारी-अधिकारी पीड़ित और प्रताड़ित हैं. चाहें वेतन की बात हो या अन्य मुद्दे हों, सरकार असंवेदनशील बनी हुई है. कई स्थाई और संविदा कर्मचारियों को चार महीने से तनख्वाह (वेतन) नहीं मिल रही है. वो परेशान हैं दूसरी तरफ केंद्र के समान भत्ते देने की जो परंपरा चली आ रही है सरकार ने उसे भी पूरा नहीं किया. नॉन फायनेंशियल मांगें तक पूरी नहीं की गयी हैं. सरकारी कर्मचारी के मामले में सरकार बस शिगूफाबाजी कर रही है.
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