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Editorial :- सीएए हिंसक विरोध के बाद अब जेएनयू में नकाबपोशी एनार्किज्म

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7 January 2020

>> सीएए हिंसक विरोध के बाद अब जेएनयू में नकाबपोशी एनार्किज्म का प्रवेश हो चुका है। इसका ट्यूटोरियल कांगे्रस और वामपंथी नेताओं द्वारा दिया नि:शुल्क दिया जा रहा है।

>>आज जेएनयू हिंसा: इंडिया गेट पर यूथ कांग्रेस का नकाब पहनकर प्रदर्शन किया। आज ही जेएनयू में नकाबपोशों ने डंडा-राड लेकर छात्र-छात्राओं को घायल भी किया। सीएए के विरोध ेमें भी दिल्ली तथा उत्तरप्रदेश में जो हिंसक प्रदर्शन हुए थे उस दरमियान भी नकाब पोशों द्वारा पुलिस पर पत्थरबाजी की गई थी, और पेट्रोल बम फेंके गये थे। ये नकाबपोश घरों के छतों पर खड़े होकर वहॉ इक_े पत्थरों को भी फेंक रहे थे। इन सबकी  फोटोग्राफी ड्रोन द्वारा ली जा चुकी है।

>> अमित मालवीय ने वीडियों ट्वीट कर कहा,  छ्वहृ की ‘नकाबपोश क्रांतिÓ बेनकाबÓ! लेफ्ट यूनियन्स से जुड़े इन छात्रों ने जेएनयू के मुख्य सर्वर रूम को ब्लॉक कर दिया और आज वह उग्र प्रदर्शन पर उतर गएÓ उन्होंने आगे कहा, ‘याद रखें कि कुछ दिनों पहले फेस रिकग्निशन (चेहरा दिखाने) से बचने के लिए लेफ्ट ने मास्क का इस्तेमाल कैसे करना है, इसके लिए ट्यूटोरियल किए थे।Ó

>>दिल्ली यूनिवर्सिटी में 15 दिसंबर को हुए एक कार्यक्रम में एनडीटीवी के प्रणब रॉय की चचेरी बहन अरूंधति रॉय ने कहा, ‘Óएनपीआर वाले लोग आएं तो हम लोग पांच नाम तय कर लेते हैं. जब ये नाम पूछें तो अपना नाम रंगा-बिल्ला रख दो या कुंग-फू कुत्ता. 7 रेसकोर्स पता दे दो. एक फ़ोन नंबर तय कर लेते हैं…ÓÓ

यहॉ यह उल्लेखनीय है कि प्रणय रॉय और   सीपीएम नेता प्रकाश करात सांढू भाई हैं। अर्थात प्रणय रॉय की पत्नी की बहन बिंद्रा करात हैं। आज ब्रिंदा करात भी जेएनयू में पहुंचकर वामपंथी छात्र नेताओं को क्या सलाह दी होगी यह तो सहज ही समझा जा सकता है।

 >> अमित मालवीय द्वारा डाले गये वीडियो में देखा गया है कि कुछ छात्र-छात्राएं नकाब पहनकर कैंपस के अंदर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। ये तमाम लेफ्ट के छात्र-छात्राएं जेएनयू में मुख्य सर्वर रूम के बाहर मुंह पर नकाब पहनकर बैठे हैं।

दिल्ली में युवकों को गुमराह करने वाले लिबरलों ने पुलिस से पहचान छिपाने के लिए टिप्स बताए थे। क्या उनकी भी इसमें कोई भूमिका है? इसकी भी जांच होनी चाहिये।

जो शिक्षण संस्थान अल्पसंख्यकों से संबंधित हैं और जो विश्वविद्यालय वामपंथियों के प्रभाव में है वहीं पर अर्थात जामिया,अलीगढ़ युनिवर्सिटी, जेएनयू, जादवपुर युनिवर्सिर्टी आदि में हिंसक घटनाएं हुई हैं।

विद्याार्थियों के कंधे पर एनार्किज्म और अलगाववाद की बंदूक रखकर कांगे्रस और वामपंथी नेता जिनका भारत में जनाधार खिसक चुका है वे अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। उनके इन देशविरोधी गतिविधियों का उपयोग पाकिस्तान भारत की छवि मुस्लिम देशों में विशेषकर खराब करने के लिये कर रहा है।

भारत की जनता को विशेषकर युवावर्ग को इससे सतर्क रहना चाहिये। आज उद्धव ठाकरे जी ने भी एक बेतुका बयान दिया है जिसके अनुसार उन्होंने जेएनयू में हुई घटनाओं की तुलना पाकिस्तान लश्कर प्रायोजित २६/११ मुंबई आतंकी हमले से की है।

इसके पहले जामिया में जो घटनाक्रम हुए सीएए के विरोध में उस संदर्भ में भी भारत के गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना एनसीपी के नेता और उद्धव ठाकरे जी ने जनरल डायर से की थी।

जनता को विशेषकर युवावर्ग को यह सोचना है कि वे वोट बैंक पॉलिटिक्स और अलगाववादी प्रवित्तियों की गिरफ्त में न आएं।