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उत्तर प्रदेश चुनाव: ‘टाइगर अभी जिंदा है’, मगर सामने तो ‘मोदी’ हैं, फर्रुखाबाद में दांव पर लगा सलमान का अस्तित्व

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उत्तर प्रदेश की फर्रुखाबाद सदर विधानसभा सीट पर ‘टाइगर अभी जिंदा है’, लेकिन दिक्कत ये है कि सामने ‘मोदी’ हैं। यही बात ‘सलमान’ पर भारी पड़ रही है। लोगों ने तो इतना तक कह दिया, अब तो सलमान खुर्शीद का अस्तित्व दांव पर लगा है। भाजपा के निवर्तमान विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी से लोगों को ढेरों शिकायतें हैं, लेकिन आखिर में जब वोट देने की बारी आती है तो वहां ‘द्विवेदी’ की जगह ‘मोदी’ शब्द आ जाता है। मतदाता दुखी हैं, सुखी हैं, परेशान हैं, हिंदू हैं, मुसलमान हैं, पाकिस्तान है, जिन्ना है या कुछ और…लोग कहते हैं, हम तो मोदी के नाम पर वोट देंगे।

पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद कांग्रेस टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। सोमवार सुबह नेहरू रोड पर केवल कृष्ण शर्मा बोले, देश को बचाने वाला तो एक ही है। बाकी तो पाकिस्तान के चक्कर में लगे रहते हैं। युवाओं का कहना था, वो फर्रुखाबाद तो अब गायब हो गया है। मजबूरी में यहां के कारीगरों को अब जयपुर पहुंच कर अपना हुनर दिखाना पड़ रहा है।

सलमान खुर्शीद आदमी तो भले हैं, लेकिन अस्तित्व नहीं है

फर्रुखाबाद में बुजुर्ग अरुण प्रकाश तिवारी कहते हैं, यहां का माहौल तो भाजपा का रहा है। अगर अन्य जातियों के लोग एकत्रित हो जाते हैं तो मुकाबला हो सकता है। हालांकि वह ऐसा मुकाबला नहीं होगा कि वो भाजपा को पछाड़ दे। आखिर में भाजपा ही विजयश्री प्राप्त करेगी। सलमान खुर्शीद कानून मंत्री थे। वे आदमी तो भले थे, मगर पता नहीं आज कांग्रेस का ग्राफ क्यों गिर रहा है। देश, कांग्रेस को स्वीकार नहीं कर पा रहा। लोग परिवर्तन चाहते हैं। सपा तो जातिवादी पार्टी है। रेलवे रोड पर सुभाष चंद्र का कहना था, विकास पर जोर नहीं दिया गया। विधायक चाहते तो गंगा एक्सप्रेस-वे यहां से निकल सकता था। अरुण प्रकाश तिवारी बोले, युवाओं में बेरोजगारी है। सरकार इससे निपट नहीं पा रही है। बेरोजगारी ही आदमी को गिराने का मौका देती है। अगर भाजपा सरकार बनती है तो उसे विचार करना होगा कि वे युवाओं को रोजगार कैसे दें। ये चुनाव में एक बहुत बड़ा मुद्दा है।

‘टाइगर’ की जान फर्रुखाबाद में बसती है, टाइगर नहीं…

चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद बोले, कहीं नफरत की राजनीति देखने को मिल रही है, तो कहीं प्यार। उन्होंने शायराना अंदाज में लोगों तक अपना संदेश पहुंचाने का प्रयास किया। चुनावी सभा में खुर्शीद बोले, टाइगर अभी जिंदा है। जब तक ये टाइगर जिंदा है, चाहे खूनी खंजर हो, गोली हो, कोई जाल फेंक दे, खाई खोद डाले या कोई और कुछ कर ले, लेकिन टाइगर की जान फर्रुखाबाद में बसती है। फर्रुखाबाद जान मांगेगा तो टाइगर जान दे देगा। कांग्रेस टक्कर में है, जब फर्रुखाबाद के लोगों से यह सवाल पूछा गया तो वे बोले, अभी तो नहीं है। मुकाबला तो भाजपा और सपा के बीच है। मौजूदा विधायक ज्यादा विकास तो नहीं करा पाए। जिस तरह से उन्हें लोगों से मिलना चाहिए, वैसे नहीं मिले। सलमान खुर्शीद की पत्नी और कांग्रेस प्रत्याशी का चांस उतना नहीं है। वे तो कभी यहां आते ही नहीं। कायमगंज में केवल आवास है, वह तो दिल्ली में ही रहते हैं।

गुंडागर्दी तो न के बराबर है, नहीं सताती पुलिस

ई-रिक्शा चालक महेंद्र सक्सेना कहते हैं, जब किसी को काम होता है तो मौजूदा विधायक मिलते हैं। अब वे विधायक ठहरे। हर किसी को मिलने की इजाजत नहीं होती। उनका चुनाव अच्छा निकलेगा। गुंडागर्दी तो खत्म हो गई है। पुलिस अब नहीं सताती है। पैसा नहीं मांगती। देर रात तक कामकाज चलता है, पुलिस टोकती नहीं है। महंगाई तो बढ़ती चली जा रही है। कोई उसे रोक नहीं पा रहा है। साल 2014 में पहले गैस सिलेंडर लेने के लिए लोग लाइनों में खड़े रहते थे। पूरा दिन लाइन में लगे रहते थे। आज तुरंत मिल जाती है। बताएं कौन से दिन सही थे। सूबेदार रघुवीर यादव कहते हैं, महंगाई बहुत है। किसानों का मुद्दा चुनाव में रंग दिखाएगा। गाय छोड़ दी गई हैं। किसानों को रातभर खेतों में रहना पड़ रहा है।

गोशाला से मर कर ही निकलती है गाय

कमलेश पांडे ने कहा, बेरोजगार के प्रति महंगाई को लेकर कोई बात नहीं करता। योगी सरकार का पुख्ता सुरक्षा का दावा, इस सवाल पर अनिल गुप्ता बोले, सीएम योगी ने सख्ती की है। गुंडों पर लगाम लगी है। लोग अब सुरक्षित हैं। मुन्ना लाल तिवारी ने कहा, सरकार सुरक्षा पर बहुत काम कर रही है। मुकाबले में कांग्रेस तो है नहीं, इस पर लोगों को कहना था कि कांग्रेस सोचे कि उन्हें लोग क्यों पसंद नहीं कर रहे हैं। अरविंद सिंह ने कहा, जमीनों पर गुंडों ने कब्जा कर रखा है। सारी जमीन कब्जा मुक्त नहीं हुई है। हर आदमी सरकार के पास नहीं पहुंच पाता। रामेश्वर दयाल कहते हैं कि गायों की हालत बहुत बुरी है। जो गाय गऊशाला में पहुंच जाती हैं तो वहां से मर कर ही निकलती हैं। उन्हें चारा ही नहीं मिलता। सरकार उन्हें आजाद कर दे या भरपेट चारा दे।