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हाईकोर्ट:  भूमि अधिग्रहण को चुनौती न देने वालों को नहीं मिलेगा पूर्णपीठ के आदेश का लाभ

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद में भूमि अधिग्रहण के मामले में कहा है कि जिन किसानों ने भूमि अधिग्रहण को चुनौती नहीं दी है। उन्हें पूर्णपीठ के फैसले का लाभ नहीं मिलेगा। न्यायालय ने गजराज सिंह केस में कोर्ट में आए किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा और 10 प्रतिशत विकसित प्लाट देने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सावित्री देवी केस में पुष्टि भी कर दी है। कहा है कि गजराज सिंह केस भविष्य में दाखिल याचिकाओं पर लागू नहीं होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर व न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दादरी के गांव सोरखा जाहिबाबाद के किसान भिकारी व 12 अन्य की याचिका पर दिया है।

मामले में इलाहाबाद कोर्ट ने कहा कि याचियों ने भूमि अधिग्रहण को चुनौती नहीं दी है। जमीन का मुआवजा भी ले लिया है। पूर्णपीठ के फैसले में शामिल नहीं रहे हैं। ऐसे में पांच प्रतिशत विकसित प्लाट की मांग करने का कोई वैधानिक आधार नहीं है। याचियों के पक्ष में समादेश जारी नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। याचीगण की जमीन 2005 में अधिग्रहीत की गई थी।

उन्होंने अधिग्रहण को चुनौती नहीं दी और मुआवजा ले लिया। अब उन्होंने गजराज सिंह केस के हवाले से पांच प्रतिशत विकसित प्लाट की मांग पर याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने कहा गजराज सिंह केस याचियों पर लागू नहीं होगा। पूर्णपीठ ने सभी किसानों को प्लाट देने का आदेश नहीं दिया है। केवल अदालत में आए याचियों को अतिरिक्त मुआवजा व प्लाट देने का समादेश जारी किया गया है।