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UP Election: कुछ ऐसी है अब विकास दुबे के बिकरू गांव की हवा…मुठभेड़ में मारे गए बदमाश का पिता भी हुआ बीजेपी का मुरीद

बिकरू(कानपुर) : कानपुर के बिकरू गांव (Bikru Gaon Kanpur) को हर कोई जानता है। 2020 में 8 पुलिसवालों की निर्मम हत्या के साथ देश में छा गए इस गांव में अब कोई माफिया नहीं है। गैंगस्टर विकास दूबे (Vikash Dubey Encounter) गुजरे जमाने की बात है और लोग खुलकर बोल रहे हैं। वे कहते हैं, विकास जबरई करता था पर अब सब ठीक है। दूध बेचने वाले सुनील यादव कहते हैं, हम तो सपा के वोटर हैं। बाकी जैसा माहौल, वैसा करेंगे।

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तीन दशक तक चला राज
90 के दशक की शुरुआत में एक हत्या कर विकास अपराध की दुनिया में उतरा। विकास के रसूख के साथ नेताओं में उसकी मांग बढ़ती रही। वह कानपुर क्षेत्र के कई कद्दावर नेताओं की आंखों का तारा बन गया। बेहद शातिर विकास ने समझ लिया था कि बाजी उसके हाथ आ चुकी है। मुख्य तौर पर बिकरू, भीटी, सुच्चा निवादा और डिब्बा निवादा समेत 4 गांवों में लोग वोट किसे डालेंगे, ये विकास ही तय करता था। 2019 के चुनावों तक विकास ने फरमान जारी किए थे। इन गांवों के अलावा पूरे चौबेपुर और बिल्हौर क्षेत्र में विकास की तूती बोलती थी।

विकास के परिवार से बाहर आई प्रधानी
पुलिस मुठभेड़ में विकास के मारे जाने के बाद बिकरू में पहला बदलाव 2021 में आया। प्रधान पद विकास के परिवार से बाहर निकला और दलित बिरादरी की मधु प्रधान बनीं। मधु बिकरू ग्राम पंचायत के मजरे डिब्बा निवादा की निवासी हैं। तीन दशक बाद प्रत्याशी प्रचार के लिए बिकरू पहुंच रहे हैं। गांव में एक भी बैनर-होर्डिंग नहीं है। कुछ घरों के दरवाजों पर स्टिकर जरूर लगे हैं। बुधवार सुबह बिकरू गांव आम दिनों की तरह सुस्त था। अपने कच्चे घर के बाहर मिले 72 साल के ओपी दूबे के बेटे प्रवीण दूबे को बिकरू कांड के बाद एनकाउंटर में पुलिस ने मार गिराया था। ओपी कहते हैं, राशन कार्ड से नाम काट दिया गया। सरकारी घर भी नहीं मिला। क्या विकास वोट डालने के लिए फरमान जारी करता था? हां, भय तो था। कहता था वोट नहीं दोगे तो सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। वह कहते हैं कि विकास की हर पार्टी से जान-पहचान थी। वोट देने के सवाल पर उन्हें बीजेपी पसंद है।

रात में फसल ताकने की ड्यूटी
करीब ही विकास के टूटे हुए घर के मलबे में झाड़ियां उग आई हैं। खौफ नहीं रहा तो दीवारों के बचे हुए हिस्से पर विज्ञापन पेंट कर दिए गए हैं। पक्की सड़क के उस पार भीटी मजरा है। यहां से कुछ फलांग की दूरी पर ऊंचे चबूतरे पर चार-पांच लोग बैठे हैं। इनमें लल्ला खान और 94 साल के मुल्ला खान भी हैं। वोट किसे देंगे? हम तो सपाई हैं, सपा को ही वोट देंगे। क्या विकास चुनाव में अपने हिसाब से वोट डलवाता था? वो कहता था, उसे जिताओ।

यहां से कुछ दूरी पर धूप सेंकते हुए चार बुजुर्ग तलाश खेल रहे थे। नाम, छोटे खां, जाकिर हुसैन और समीद। खेती के हाल पूछने पर वह कहते हैं, ड्यूटी मिली है। रात में जल्दी खाना खाकर खेतों में जाओ, फसल ताको, जानवरन से बचाओ। घूमने-फिरने के लिए बाइक थी। पेट्रोल-डीजल इत्ता महिंगा है कि क्या करें। विकास के दौर में चुनाव के सवाल पर वहां बैठे लोग फट पड़े। बोले, जबरई करता था। चुनाव के लिए आने वाले लोगों का खाना उसके यहां से जाता था। हर पार्टी विकास के यहां जाती थी। दारू बंटती थी। लेकिन अब कोई दिक्कत नहीं है। आप लोग वोट किसे देंगे? हम लोग तो सपा को वोट देंगे। डीएपी महंगी हो गई। हर चीज महंगी है, बताओ क्या करें। विकास के परिवार के लोगों पर गांव में आने पर रोक है, लेकिन ये लोग गुपचुप आते हैं। कहते हैं, विकास जिंदा है, जब आएगा तो बताएंगे। गांव के मनीराम वर्मा ठीक से चल नहीं पाते और छोटी सी परचून की दुकान चलाते हैं। वह कहते हैं, हम जात के लोध हैं, भाजपा को ही वोट देंगे। अब चुनाव स्वतंत्र हो रहा है। डिब्बा निवादा गांव के रामबदन कोरी बिरादरी से हैं। वह कहते हैं, वोट सपा को देंगे, सपा ठीक है। बाकी जइसा गांव के हिसाब से ही तय करेंगे। वो कहते हैं, जो हमारे पास प्रचार के लिए आया, उसे वोट देंगे।

सुरक्षित सीट पर कांटे की टक्कर
बिल्हौर (सुरक्षित) सीट पर बीजेपी से 2017 में भगवती सागर जीते थे। सागर अब समाजवादी पार्टी से घाटमपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी ने राहुल सोनकर, कांग्रेस ने ऊषा रानी कोरी, समाजवादी पार्टी ने रचना सिंह और बीएसपी ने मधु गौतम को मैदान में उतारा है। परिसीमन में बिल्हौर सीट में चौबेपुर क्षेत्र भी जुड़ गया जो ब्राह्मण बहुल इलाका है। अनुसूचित जाति में कोरी, पासी, कठेरिया, पिछड़ों में कटियार और अगड़ों में ब्राह्मण-क्षत्रिय सबसे ज्यादा हैं। करीब 4 लाख वोटरों के बीच एससी आबादी लगभग 45 प्रतिशत है। अगड़े 25 फीसदी। यहां बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधी लड़ाई मानी जा रही है।