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Editorial :- अजमेर शरीफ के दीवान बोले – लहरा दो क्कश्य पर तिरंगा

13 January 2020

कांग्रेस के चौधरी ने आर्मी चीफ को चुप रहने की दी सलाह

आज के दो समाचार हैं

१.अजमेर शरीफ के दीवान बोले – लहरा दो PoK पर तिरंगा

https://zeenews.india.com/hindi/india/rajasthan/ajmer-sharifs-diwan-supported-army-chiefs-statement-on-pok/623608

२. कांग्रेस के चौधरी ने आर्मी चीफ को चुप रहने की दी सलाह:

इन समाचारों से यह प्रतीत होता है कि राहुल गांधी जब से केरल के वायनाड से मुस्लिम लीग के सहयोग से लोकसभा पहुचें हैं तब से कांग्रेस पार्टी जिन्ना वाली मुस्लिम लीगी पार्टी होते जा रही है।

भारत के आर्मी चीफ नरवणे ने कल कहा था कि यदि सरकार आदेश दे तो पीओके हमारा होगा, सेना पीओके पर एक्शन ले सकते हैं। 

इसका एक ओर जहा ॅ अजमेर शरीफ के दीवान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के वंशज और दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने सेना प्रमुख के बयान का समर्थन किया है. सेना प्रमुख के क्कह्र्य पर दिए बयान का समर्थन करते हुए कहा है कि जब सेना तैयार है, तो किस बात का इंतजार है.

ठीक इसके विपरीत लोकसभा मेें कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी ने आज ट्विट कर सेना प्रमुख नरवणे को पीओके पर चुप रहने की सलाह दी है।

यहॉ यह उल्लेखनीय है कि यही अधीररंजन चौधरी अनुच्छेद ३७० पर लोकसभा में जब बहस हो रही थी तब उन्होंने कहा था : 1948 से कश्मीर मसला यूएन देख रहा है तो ये अंदरूनी कैसे?

इसके बाद भी कई बार उन्होंने देशविरोधी टिप्पणीयां की है। भारत की पूर्व रक्षामंत्री और अभी की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को निर्बला सीतारमण कहकर भारत की नारीशक्ति का ही अपमान और देश की सेना का अपमान किया था।

यह मानसिकता अधीररंजन चौधरी ने कांग्रेस के अपने अन्य वरिष्ठ नेताओं से सीखी है। टुकड़े-टुकड़े गैंग और अरूंधति राय तो भारत की सेना को बदनाम करने का प्रयत्न करते ही रहे हैं परंतु कांग्रेस भी इस कार्य में पीछे नहीं रही है।

गुलामनबी आजाद और सैफुद्दीन सोज जैसे नेता भी सेना का अपमान कर चुके हैं।

शीला दीक्षित के सुपुत्र संदीप दीक्षित ने तो सीडीआर विपिन रावत को सड़क का गुंडा तक कह दिया था।

अब उन्हीं का अनुकरण करते हुए पाकिस्तान परस्त कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी ने भी वर्तमान आर्मी चीफ नरवणे जी का अपमान किया है।

लोकशक्ति के कल 12 जनवरी के संपादकीय में हमने जो बातें लिखी थी उसी की प्रतिध्वनि आज के उक्त दो समाचारों में हैँं।

पीएम मोदी के दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के उपरांत एक वर्ष के अंदर कांगे्रस खुलकर अराष्ट्रीयता की ओर चल पड़ी है। ठीक इसके विपरीत कश्मीर के हुर्रियत प्रशंसक अलगाववादी पीडीपी के नेता महबूबा मुती को छोड़कर अब राष्ट्र की मुख्ुयधारा में जुडऩे के रास्ते पर चल पड़े हैं।

वीर सावरकर के प्रति भी राहुल गांधी की ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी के अन्य नेता भी अपमानजनक भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।

ठीक इसके विपरीत महबूबा मुफ्ती के विरूद्ध खड़े हुए पीडीपी के १५ बड़े नेता और शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमेन वसीम रिजवी सावरकर जी के प्रशंसक बन गये हैं। उन्होंने कहा है कि देश के विभाजन के लिये सावरकर नहीं बल्कि जिन्ना जिम्मेदार थे। वसीम रिजवी ने तो यहॉ तक कहा है कि सावरकर की विचारधारा पर यदि देश चला होता तो राम राज्य आ गया होता।

टाईम्स नाऊ में दिये गये अपने साक्षात्कार में मुजफ्फर हुसैन बैग ने कहा है कि मुंबई, दिल्ली मैसूर आदि में फ्री कश्मीर के जो पोस्टर लहराये गये हैं उसका समर्थन भारत के मुसलमान नहीं कर सकते।