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Editorial :- बाटला हाऊस मुठभेड़ के आंसू अब जेएनयू में छलके

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14 January 2020

रोमियो पर बनी एक फिल्म के अनुसार रोमियो की आंखो में आंसू आते थे तो उसे बटोरने के लिये अनेक महिला दरबारी दौड़़ पड़ती थी।

19 सितंबर, 2008 को दिल्ली के जामिया नगर के बाटला हाउस इलाके में सात सदस्यीय दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम और इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हो गई थी। गोलीबारी के दौरान दिल्ली पुलिस के निरीक्षक मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे। मुठभेड़ में दो संदिग्ध आतंकवादी मारे गए, दो अन्य संदिग्ध दबोच लिए गए जबकि एक आरोपी भाग निकला। दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया था कि बाटला हाउस के फ्लैट में छिपे पांच लोग 13 सितंबर, 2008 को हुए सिलसिलेवार विस्फोटों में शामिल थे।

बाटला हाउस एनकाउंटर की तस्वीरें देख रो पड़ीं थी सोनिया गांधी: सलमान खुर्शीद

यूपी चुनाव के समय २०१२ में बाटला हाऊस एन्काउन्टर का जिन्न निकल आया था। कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने आजमगढ़ की चुनावी रैली में कहा कि बाटला हाउस एनकाउंटर की तस्वीरें देखकर सोनिया गांधी रो पड़ी थी.

अब आज के समाचार के अनुसार सोनिया गांधी जी के  बाटला हाऊस में २००८ में हुए एन्काउंटर के आंसू अब जेएनयू में भी छलक गये हैं।

आज का एक समाचार है :

छ्वहृ में  ‘बाटला हाउस फेक एनकाउंटरÓ का पोस्टर।

नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। दिल्ली के जामिया और जेएनयू में भी इस संशोधित कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुए। देश के अलग-अलग हिस्सों में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान कुछ जगहों पर ‘फ्री कश्मीरÓ लिखे गए आपत्तिजनक पोस्टर भी देखे गए जिसे लेकर काफी आलोचना हुई।

 अब अमित मालवीय ने एक ऐसा ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने एक न्यूज चैनल एबीपी का स्क्रीनशॉट शेयर किया है और इसमें दिख रहा है कि एक शख्स ‘बाटल हाउस फेक एनकाउंटरÓ लिखा हुआ पोस्टर पकड़ के खड़ा है।

भाजपा नेता ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा, ‘कश्मीर फ्रीÓ पोस्टर के बाद अब जेएनयू में ‘छात्र विरोधÓ, पोस्टर के दौरान इस्लामिक वर्चस्व कायम करने और बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी दिखाने का पोस्टर लगाया गया! क्या किसी को अभी भी संदेह है कि कौन इन विरोध प्रदर्शनों को प्रायोजित कर रहा है और किस राजनीतिक अंत को?Ó

जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने किस पर निशाना साधा है, तो उन्होंने कहा,  ‘क्योंकि बहुत लंबे समय तक, दिल्ली, विशेष रूप से जामिया और जेएनयू के परिसरों का उपयोग किया जाता है, जिन्हें मैंने इस्लामी विद्रोह के रूप में संदर्भित किया है। यह बेरोकटोक चल रहा है। यह एक प्रायोजित विरोध है। इसके पीछे स्पष्ट रूप से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का हाथ है। इन विरोध प्रदर्शनों में बार-बार जो नारे और पोस्टर देखे गए हैं वो इस्लामिक वर्चस्व को उजागर करते हैं। अब, आपके सामने एक पोस्टर है जो बटला हाउस एनकाउंटर को फेक कह रहा है।Ó

समझ में नहीं आता कि सीएए के विरोध करते-करते आतंकवादियों के प्रति हमदर्दी के आंसू कांग्रेस के नेताओं की आंखों से क्यों छलक पड़ते हैं।

सीएए-एनआरसी आदि के विरोध में यूपी तथा अन्य स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन हुए। यूपी पुलिस के पास प्रमाण हैं कि इन हिंसक प्रदर्शनों में सिमी और पीएफआई का हाथ रहा है और आज का ही समाचार है कि गिरफ्तार 3 ढ्ढस्ढ्ढस् आतंकियों का पीएफआई से संबंध : दिल्ली पुलिस।

वास्तविकता यह भी है कि कांग्रेस और उनके साथी दल एक षडयंत्र के तहत सेना और पुलिस के प्रति भारत के अल्पसंख्यक समुदाय में घृणा फैलाना चाहते हैं।

इसीलिये सीडीआर विपिन रावत को सड़क का गुंडा तक कहा गया था। और कल ही कांग्रेस पार्टी के लोकसभा के नेता अधीररंजन चौधरी ने भी वर्तमान आर्मी चीफ नरवणे ने जो पीओके के संबंध में टिप्पणी की थी उस संदर्भ में उन पर व्यंग्य कसते हुए कहा है कि उन्हें चुप रहने का अभ्यास करना चाहिये।

जामिया में अभी भी कुछ विद्यार्थियों ने पुलिस के प्रति विद्रोह सा छेड़ा हुआ है। यही रवैय्या जेएनयू के संदर्भ में भी है।

पहले दो बार भारत की सेना ने पाक स्थित आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राईक की थी। उसके भी सबूत इन नेताओं ने मांगे थे।

लगता है कि सत्ता प्राप्ति के लालच मेंं कांग्रेस और उसके साथी दल भारत में गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न करना चाहते हैं। धार्मिक उन्माद पैदा करना चाहते हैं। अपने इस कार्य के लिये वे जेएनयू-जामिया-जादवपुर जैसी शिक्षा संस्थानों के विद्यार्थियों को आगे किये हुए हैं। भारत की जनता को इससे सतर्क रहने की आवश्यक्ता है।

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