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भाषाई विवाद का हल निकालने में जुटे कांग्रेसी, सीएम हेमंत से मिलकर रखी बात

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Political Editor

Ranchi: झारखंड कांग्रेस राज्य में चल रही भाषाई विवाद का हल निकालने में जुट गयी है. इसी कड़ी में शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर और विधायक दल के नेता सह ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर भाषा मामले पर पार्टी का स्टैंड उनके समक्ष रखा. मुख्यमंत्री से मिलने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि भाषाई विवाद से राज्य का महाल खराब हो रहा है.

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मुख्यमंत्री से इस विवाद का जल्द हल निकालने का आग्रह कांग्रेस ने किया है. कहा कि कांग्रेस नहीं चाहती है कि राज्य में किसी तरह का विवाद हो. उन्होंने कहा कि गिरिडीह में होनेवाली कांग्रेस के चिंतन शिविर में भी इस मामले पर चर्चा होगी.

कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि भाषाई विवाद पर पार्टी की भावना से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अवगत करा दिया गया है. कहा कि पार्टी को उम्मीद है कि जनहित में मुख्यमंत्री जल्द इसपर निर्णय लेंगे.

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झामुमो का रुख अभी भी कांग्रेस से जुदा

कांग्रेस भले ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर राज्य में चल रहे भाषाई विवाद का हल निकालने का आग्रह कर रही हो लेकिन इस मामले पर अभी भी झामुमो का रुख कांग्रेस से अलग है. भाषाई विवाद को लेकर जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और विधायक दल के नेता आलमगीर आलम मुख्यमंत्री से मिल रहे थे उसी समय झामुमो विधायक सविता महतो और पूर्व विधायक योगेन्द्र प्रसाद भी इसी मामले पर सीएम के समक्ष अपनी बात रखी.

योगेन्द्र प्रसाद ने मुख्यमंत्री से साफ़ कहा कि बोकारो और धनबाद जिला में भोजपुरी और मगही भाषा को रखने का कोई औचित्य नहीं है.

इन दोनों जिले से भोजपुरी और मगही भाषा को हटाया जाय. दोनों नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री से अपनी बात कह दी है, जल्द ही मुख्यमंत्री इसपर निर्णय लेंगे.

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कांग्रेस और झामुमो को सता रही है अपने-अपने वोट बैंक की चिंता

झारखंड में झामुमो के नेतृत्व में कांग्रेस और राजद महागठबंधन की सरकार चल रही है. भाषाई विवाद से सरकार में शामिल सभी दलों को अपने-अपने वोट बैंक की चिंता सता रही है. यही वजह है कि एक ही साथ प्रदेश कांग्रेस के सबसे बड़े नेता और झामुमो के विधायक और पूर्व विधायक मुख्यमंत्री से एक ही मुद्दे पर मिले लेकिन दोनों ही दलों की इस मामले पर विचार अलग थे.

कांग्रेस इस मामले को लेकर चिंतित है कि भाषाई विवाद से झामुमो उनके वोट बैंक को खराब कर रहा है तो झामुमो इसके बहाने अपने मतदाताओं में अलग सन्देश दे रहा है. झामुमो को पता है कि भोजपुरी, मगही, अंगिका और मैथिली बोलनेवाले उनके मतदाता नहीं हैं.

इसका विरोध कर ही वह अपने मतदाताओं पर पैठ कायम रख सकता है. वहीँ कांग्रेस को यह चिंता सता रही है कि इन भाषाओं को हटाने का सीधा प्रभाव उनके वोट बैंक पर पडेगा.

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लालू भी मगही, भोजपुरी को लेकर हैं लाल

वहीँ बात राजद की करें तो इसका जनाधार बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में है जहां भोजपुरी, मगही, अंगिका बोली जाती है. राजद झारखंड में पलामू, उत्तरी छोटानागपुर और संथाल में आज भी दमखम रखता है. पलामू में भोजपुरी भाषा बोली जाती है, उत्तरी छोटानागपुर के कुछ इलाके में मगही और संथाल के कुछ इलाके में अंगिका भाषा बोली जाती है.

अलग राज्य बनने के बाद का इतिहास है कि इन इलाकों में राजद मजबूत रहा है. यही वजह है कि चारा घोटाले के मामले में ranchi पहुँचते ही राजद सुप्रीमो लालू यादव ने इसकी कड़े शब्दों में मुखालफत की थी.

इतना ही नहीं गुरूवार को प्रदेश राजद के कार्यकारी अध्यक्ष संजय सिंह यादव ने साफ़ शब्दों ने इसका विरोध किया था और कहा था कि सरकार का यह निर्णय झारखंड में नहीं चलेगा.

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