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UP Chunav 2022: हमीरपुर में विधानसभा चुनाव की वोटिंग खत्म, एक गांव में नहीं पड़े वोट… खाली लौटी पोलिंग पार्टी, जानिए क्यों

हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के राठ विधानसभा क्षेत्र के एक गांव में रोड नहीं तो वोट नहीं के बैनर लगाकर पूरा गांव दिन भर धरने पर बैठा रहा। लाठी डंडे से लैस गांव के लोगों ने नारेबाजी कर हंगामा भी किया। वोटिंग समाप्त होने के बाद भी इस गांव में एक भी वोट नहीं पड़े। जिले की दोनों सीटों के लिए शाम पांच बजे तक 58.5 फीसदी मतदान हुआ है। लेकिन जिगंनी गांव में मतदान बहिष्कार की वजह से सन्नाटा पसरा रहा।

रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा देकर गांववालों ने किया मतदान का बहिष्कार
हमीरपुर जिले के राठ विधानसभा क्षेत्र के जिंगनी गांव में रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा देकर पूरा गांव आज सुबह से मतदान बहिष्कार का ऐलान कर धरने पर बैठ गया था। इससे पोलिंग केन्द्र में सन्नाटा पसरा रहा। पोलिंग पार्टी शाम तक मतदाताओं के आने का इंतजार करती रहीं लेकिन ग्रामीणों की एकजुटता से पोलिंग केन्द्र में एक भी वोट नहीं पड़ सके। गांव के वीरपाल सिंह, वंशराज सिंह, दीप सिंह, आदित्य प्रताप सिंह, शिव प्रताप सिंह, रोहित सिंह, अमित कुमार, रवि प्रताप, दयाकरण यादव, आदर्श प्रताप सिंह व श्याम सिंह समेत सैकड़ों लोग लाठी डंडे से लैस होकर नारेबाजी कर हंगामा करते रहे। गांव के बाहर बड़ा सा बैनर लगाकर ग्रामीणों ने किसी को भी गांव के अंदर घुसने भी नहीं दिया।
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गांव के अंदर गलियों और दरवाजे पर भी पसरा रहा सन्नाटा
मतदान बहिष्कार की जिद पर अड़े ग्रामीणों ने धरनास्थल पर काले झंडे भी लगाए है। धरने पर बैठे रवि प्रताप समेत अन्य लोगों ने बताया कि गांव में मतदान का बहिष्कार ग्रामीणों की एकजुटता के कारण सफल रहा। गांव के अंदर गलियों और दरवाजे पर भी सन्नाटा पसरा रहा। धरने पर बैठे लोगों के घर की महिलाएं भी घरों से बाहर तक नहीं निकली। जबकि पोलिंग केन्द्र में मतदान कार्मिक सन्नाटे में दिन भर बैठे रहे। बताया कि शाम होते ही पोलिंग पार्टी को गांव से वापस लौटना पड़ा। रवि प्रताप ने बताया कि गांव में करीब सोलह सौ मतदाता है जिसमें कोई भी वोट देने के लिए आगे नहीं आया।
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गांव के सरपंच आंदोलन को देख घर में दुबके
मतदान बहिष्कार को लेकर गांव के बाहर धरने पर बैठे ग्रामीणों के आन्दोलन को देख गांव का सरपंच अपने घर में दुबक गया। रवि प्रताप समेत तमाम ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच भगवानदास अहिरवार इस आन्दोलन में पूरी मदद कर रहे हैं लेकिन आज वह अपने ही घर में बैठे हैं। उन्होंने बताया कि सरपंच ने अपना मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ कर रखा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि करीब साढ़े तीन हजार की आबादी वाले गांव में पिछले 25 सालों से कोई विकास कार्य नहीं कराए जा सके हैं। लगातार कई चुनावों से गांव के लिए सड़क की मांग की जा रही है लेकिन न तो किसी नेता ने समस्या का समाधान कराया और न ही अधिकारियों ने इस मामले में कोई कार्रवाई की है।

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एडीएम व सीडीओ के समझाने पर भी नहीं माने ग्रामीण
जिगंनी गांव में मतदान के बहिष्कार को लेकर पहले एडीएम नमामि गंगे राजेश कुमार व एसडीएम समेत तमाम अधिकारी गांव पहुंचे, जहां ग्रामीणों को मतदान करने के लिए अपील की मगर ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’ का नारा देकर ग्रामीणों ने मतदान करने से साफ इनकार कर दिया। इससे सभी अधिकारी वापस लौट गए। सीडीओ कमलेश कुमार वैश्य भी ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की लेकिन मतदान बहिष्कार की जिद पर पूरा गांव धरने पर शाम तक बैठा रहा।

सीडीओ ने बताया कि इस गांव में रोड की मांग को लेकर ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया है। उन्होंने बताया कि धरने पर बैठे ग्रामीणों को हर तरह से समझाया गया था लेकिन कोई भी वोट देने को तैयार नहीं हुआ।

गांव वालों को अधिकारी समझाने पहुंचे तब भी गांववाले नहीं माने