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Editorial: भिखारी पाकिस्तान के हाथों से कटोरा भी छीनने का समय

22-2-2022

  भीख मांगने का पर्यायवाची बन चुके पाकिस्तान के लिए एक बुरी खबर आ गई है। आर्थिक रूप से कंगाली के कगार पर खड़े पाकिस्तान को जल्दी ही स्न्रञ्जस्न की ब्लैकलिस्ट में डाला जा सकता है। फ ाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स  के कार्यालय के बाहर  फ ्रांस में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ है। आतंकवाद के वित्तपोषण पर नजर रखने वाले वैश्विक संगठन स्न्रञ्जस्न में लोगों ने मांग की कि पाकिस्तान को काली सूची में डाला जाए। इन प्रदर्शनकारियों में अफगान, बलूच और उइगर समुदाय के लोग शामिल थे। वे उन्हें याद दिलाने के लिए स्न्रञ्जस्न कार्यालय पहुंचे कि पाकिस्तान आतंकवाद फैलाने में कितनी बड़ी भूमिका निभा रहा है।

इस प्रदर्शन से जुड़े एक वीडियो को पाकिस्तानी पत्रकार ताहा सिद्दीकी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है, जिसमें लोग पाकिस्तान के खिलाफ तख्तियां लिए खड़े नजर आ रहे हैं। पेरिस में स्न्रञ्जस्न प्लेनरी और वर्किंग ग्रुप की बैठक से पहले विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान, दिए गये शर्तों को पूरा नहीं कर पाया है। ऐसे में पाकिस्तान को ग्लोबल एंटी टेररिज्म एंड एंटी मनी लॉन्ड्रिंग ऑर्गनाइजेशन की ब्लैक लिस्ट में डाला जा सकता है।

 पाकिस्तान जून 2018 से स्न्रञ्जस्न की ग्रे लिस्ट में है। इस ग्रे लिस्टिंग ने उसके आयात, निर्यात और अंतरराष्ट्रीय ऋ ण तक पहुंच पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने के बाद से इमरान खान लगातार कहते रहे हैं कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर कर देना चाहिए। जबकि उन्होंने स्न्रञ्जस्न की शर्तों को पूरा भी नहीं किया है। जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रही है। उन्होंने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के सामने घुटने भी टेके है।

पाकिस्तान की सरकार भी अफगान तालिबान से इस तरह बातचीत करने को तैयार है, मानो वह कोई आतंकी संगठन ही न हो।  ें पाकिस्तानी अर्थशास्त्री डॉक्टर नफे सरदार के हवाले से कहा गया है, “अगर स्न्रञ्जस्न पाकिस्तान को ‘ब्लैक लिस्टÓ में डाल देता है, तो आर्थिक दंड और अन्य प्रतिबंधात्मक उपाय अपनाए जाएंगे। ” यह पाकिस्तान की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका होगा। जिसकी अर्थव्यवस्था में स्न्रञ्जक्क की ग्रे-लिस्टिंग के कारण 2008-2019 के दौरान लगभग 38 बिलियन डॉलर की गिरावट देखी गई है। ग्लोबल सैट्रेट व्यू के मुताबिक, इस बात के पुख्ता संकेत हैं कि पाकिस्तान को ‘ब्लैक लिस्टÓ में डाला जा सकता है।

आपको बतादें कि ग्रेलिस्टिंग से पड़ोसी राज्य को चिंतित होना चाहिए था लेकिन पीएम खान इस श्रेणी के बारे में चिंतित नहीं दिखें। इसके अलावा, विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अनुसार, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे इस्लामी संगठनों के सामने आत्मसमर्पण करना पाकिस्तान के लिए अच्छा नहीं रहा है। गौरतलब है कि ग्रे लिस्ट में शामिल देश आईएमएफ, विश्व बैंक, एडीबी से प्रतिबंधित हो सकते हैं।

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