जब लोग किसी ऐसे व्यक्ति को जि़म्मेदारी देते हैं जिसके द्वारा पूरी तरह से देश की सर्वोच्च संस्था का कोई सम्मान नहीं किया जाता है, लोकतंत्र के प्रति कोई सम्मान नहीं होता है, तो ऐसी स्थिति में उनके ऊपर मुकदमें दायर होना ही चाहिये।
ऐसा एक शक्सियत राम्या (दिव्य स्पंदना) है, जो गैर जिम्मेदार वार्ता के लिए जानी जाती है। उनके बॉस राहुल गांधी की तरह भारत के संवैधानिक निकाय जैसे ही अपमान करने के कई बार आरोप लगाये गए है। वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सिखा रही थी कि ट्विटर पर नकली खातों के माध्यम से कैसे भाजपा का मुकाबला करने के लिए तैयार की जाये, इसके कारण इसने अपनी नकारात्मक छवि प्राप्त की। लाल हाथ पकड़े जाने के लिए कांग्रेस को शर्म में झुकना पड़ा। लेकिन उनका बहादुरी रवैया वहां नहीं रुक गया और वह राहुल गांधी की रैली में पत्रकारों का अपमान करने गईं।
लेकिन अब उसका अहंकार ऊंचाइयों तक पहुंच गया है और वह भारत के मुख्य न्यायाधीश का मज़ाक उड़ाकर और अपमान करने की सीमा तक चली गई है।
इस महिला ने अपने ट्वीट में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को एक बेंच फिक्सर कहा रिश्वत लेने और मामलों की संख्या तय करने का आरोप लगाया। एक साल से कांग्रेस दीपक मिश्रा के पीछे अयोध्या मामले और न्यायमूर्ति लोया के मामले पर दबाव डालने के पीछे पड़ी है। वे चाहते हैं कि वह कांग्रेस पार्टी के पक्ष में फैसले दें।
कांग्रेस बहुत अच्छी तरह से जानती है कि कांग्रेस द्वारा किए गए आरोपों के लिए वैध सबूत, दस्तावेज और साक्ष्य प्रदान किए बिना मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को टस से मस नहीं किया जा सकता है, लेकिन यह सिर्फ एक रणनीति और राजनीतिक चीज है जिसे उनके पक्ष में फैसले देने के लिए दबाव डालने के लिए खेला जा रहा है। ।
लेकिन राम्या भूल गई कि सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई के ऊपर आरोप लगाना एक मामूली मामला नहीं है। उसने जल्द ही उसके खिलाफ बकवास ट्वीट किया जिसने उसे अब सुप्रीम कोर्ट का जवाब दिया है। हां, राम्या के गैर जिम्मेदार ट्वीट के बाद सीजेआई और बेकार आरोपों के साथ संस्थान का अपमान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
यह अच्छी बात है कि अब उन्हें सर्वोच्च न्यायालय को जवाब देना होगा कि उन्होंने सीजेआई को बेंच फिक्सर किस आधार पर बताया और भारत के संवैधानिक निकाय का अपमान क्यों किया।
स्त्रोत –
Nationalism Always Empower People
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