प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार ने मुश्किल समय में संकटमोचक बनकर दूसरे देशों की मदद की है। यह सिलसिला आज भी जारी है। भारत ने खाद्य संकट का सामना कर रहे अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेहूं देने का वादा किया था। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान के सिख-हिंदू प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान भी कहा था कि वे भविष्य में भी अफगानी लोगों की कठिनाइयों और मुद्दों को हल करने के लिए निरंतर काम करते रहेंगे।
अमृतसर में आयोजित एक समारोह में भारत के विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला, अफगान राजदूत फरीद ममुंडजे और भारत के विश्व खाद्य कार्यक्रम के निदेशक बिशॉ परजुली मौजूद थे। कागजी काम पूरा होने के बाद मंगलवार की शाम को तीनों ने 2500 टन गेहूं से लदे 50 ट्रकों को झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान अफगानी राजदूत ने गंभीर खाद्य समस्या का सामना कर रहे अफगानों की मदद के लिए भारतीय सरकार का आभार वयक्त किया। उन्होंने बताया कि एक महीने के दौरान करीब 50 हजार टन गेहूं अफगानिस्तान पहुंचाया जाएगा।
दो सप्ताह पहले ही भारत ने यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यूएन ने पाकिस्तान से भारत को लैंड रूट के जरिए 50 हजार टन गेहूं अफगानिस्तान भेजने की अनुमति देने को कहा था। हालांकि पाकिस्तान ट्रांजिट सुविधा देकर पहले सारा क्रेडिट खुद लेना चाहता था। लेकिन भारत ने यूएन को शामिल कर पाकिस्तान की भूमिका को खत्म कर दिया। इससे पहले अमेरिका और यूएन की अपील पर 7 अक्टूबर, 2021 को भारत ने 50 हजार टन गेहूं, दवाईयां और मेडिकल इक्विपमेंट्स भेजने का ऐलान किया था।
गौरतलब है कि आतंकी संगठन तालिबान द्वारा जबरन देश की सत्ता पर काबिज होने के बाद अफगानिस्तान में पहले से मौजूद समस्याओं ने अब विकराल रूप धारण कर लिया है। यहां गंभीर खाद्य संकट पैदा हो गया है। अफगान की बहुत बड़ी आबादी भुखमरी के कगार पर खड़ी है। ऐसी स्थिति में भारत संकटमोचक बनकर सामने आया है। गेहूं भेजकर अफगानी लोगों को बड़ी राहत दी है। इसके पहले भारत अफगानिस्तान को 3.6 टन चिकित्सा सहायता और कोविड टीकों के पांच लाख खुराकी की आपूर्ति कर चुका है।
भारत ने सुनामी और ज्वालामुखी विस्फोट से प्रभावित टोंगा को तत्काल राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए 2 लाख डॉलर की आर्थिक सहायता दी। विदेश मंत्रालय ने टोंगा में सुनामी के कारण हुए नुकसान और विनाश के लिए सरकार और लोगों के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की। संकट की घड़ी में वहां के लोगों के साथ खड़ा हो कर मोदी सरकार ने फिर अपनी अंतरराष्ट्रीय सहयोग को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। 2018 में चक्रवात गीता से हुई तबाही के समय भी भारत टोंगा के साथ मजबूती से खड़ा था।
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