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जितेंद्र और

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राजकुमार: हिंदी सिनेमा में अपनी शैली और संवाद के लिए अच्छी तरह से तैयार (राजकुमार) करोड़ों दिल वाले। उसी तरह जैसे रुतबा और स्थिर का न था। (राजकुमार) के तैयार होने के बाद ही ठीक हो जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह पसंद नहीं है। गलत सोचे-समझे भी थे। एक बार धर्मेंद्र (धर्मेंद्र) और जितेंद्र (जितेंद्र) के साथ भी कुछ हुआ। खतरनाक (राजकुमार) से इस किस्से कास्कर रंजीत (रंजीत) ने अपने एक में था।


रंजीत ने कहा था, ‘ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक इंसान। ये अपने भविष्य के लिए… मैं फिर से हूं। । रंजीत ने आगे कहा, राजा का सेंस ऑफमर था कि वह जितेंद्र और धर्मेंद्र को भी बोल रहा था? वो किसी का दिल दुखा के लिए नहीं है। मुरे लग्ता है कि वो ह्यूमर है। जितेंद्र और धर्मद्रोही मानेंगे। हालांकि, फिर भी मैं सही हूं। अलग अलग अलग ना?’


रंजीत ने आगे कहा था, ‘एक व्हाट जो राज साहब को सिर पर हवा में चलने वाली फिल्म की कहानी सुनायी गई थी। जब वे वार करते थे, तो वे वार करते थे। वो साफा बोल. ऐसे ही वो’. टौट्ल, बाद में बैटरियों में I बाद में 2004 में अपना समूह बनाया और स्थापित किया। आज भी संवादों के लिए बोल रहे हैं।

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