2-3-2022
जब पुतिन ने यूक्रेन पर आक्रमण करने का फैसला किया, तो उन्होंने डोनबास क्षेत्र पर कब्जा करने का फैसला किया। मास्को के दावे का आधार लुहान्स्क और डोनेट्स्क प्रांतों की यूक्रेन से खुद को अलग करने की इच्छा है और इस क्षेत्र में एक रूसी भाषी आबादी है। ऐसा नहीं है कि डोनबास रूसी क्षेत्र था और दिन के अंत में, यथास्थिति को बदल दिया गया था, लेकिन अगर भारत ने क्कह्र्य पर कब्जा कर लिया, तो भारत यथास्थिति बहाल कर देगा।
POK भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान ने ही भारत के इस हिस्से पर अवैध कब्जा किया हुआ है, इसलिए नई दिल्ली के पास क्कह्र्य से पाकिस्तानी कब्जे वाले लोगों को बाहर निकालने का अधिकार सुरक्षित है। ऐसे में भारत इस तरह के सैन्य अभियान के बाद किसी भी राजनयिक आक्रोश को सीमित कर सकता है।भारत एशिया की सबसे बड़ी सैन्य शक्तियों में से एक है और पर्वत की चोटियों पर युद्ध लडऩे के मामले में भारतीय सेना का कोई सानी नहीं ह।
इसके साथ-साथ पाकिस्तान की सेना और मुख्य रूप से वायु तथा नौसेना अभी काफी कमजोर है। लाहौर तक कब्जा कर लेने वाली भारतीय सेना के लिए पाकिस्तान कोई बड़ा खतरा नहीं है। दूसरी ओर यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस के दौरे का इमरान कितना लाभ कमाएंगे, यह तो भगवान ही जानता है पर अब वो पश्चिमी देशों की आंखों में खटकने लगे हैं और भारत के संदर्भ में उन्हें किसी प्रकार की सैन्य और आर्थिक सहायता मिलना लगभग असंभव है। दूसरी ओर, क्वाड के सदस्यों और पश्चिमी देशों के करीब होने के बावजूद जिस भारत से रूस के विपक्ष में मतदान की उम्मीद थी, उसने भी मतदान से परहेज कर एक सशक्त संदेश दिया।
अत: चीन अगर कोई भी दुस्साहस करता है, तो न सिर्फ पश्चिमी देश भारत के पाले में खड़े होंगे, बल्कि रूस भी भारत का ही साथ देगा। यहां एक बात और ध्यान देने योग्य है कि नैतिकता के आधार पर भी रूस को भारत के पक्ष में बोलना होगा, क्योंकि अगर नाटो यूक्रेन को अपना सदस्य देश बनाकर रूस के लिए खतरा बन सकता है, तो दूसरी ओर पाक ने तो जम्मू की विवादित जमीन ही चीन को बेच दी है, जहां से उनकी ष्टक्कश्वष्ट परियोजना निकल रही है।
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