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kyiv Diary of Noida: कोई अभी भी सफर में है तो कहीं किसी के आने की है आस, दिन गुजर रहे पर खत्म नहीं हो रहा इंतजार…

नोएडा : अस्तौली गांव के बिजेंद्र भाटी की बेटी आंचल और मोनिका भी यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। उनकी बड़ी बेटी यूक्रेन से निकलकर रोमानिया देश की राजधानी पहुंच चुकी है, जबकि छोटी बेटी यूक्रेन के बॉर्डर से देर रात बस के माध्यम से रोमानिया के लिए निकल चुकी है। उनके पिता का कहना है कि मोनिका रोमानिया की राजधानी के एयरपोर्ट पर रुकी हुई है। छोटी बेटी आंचल यूक्रेन से निकलकर बस से रोमानिया के लिए सफर में है। दोनों बेटियों को लेकर पिता काफी चिंतित है।

तनुज भी हंगरी के बॉर्डर पर:
देवटा गांव निवासी नवीन भाटी का भतीजा तनुज भी एमबीबीएस की पढ़ाई यूक्रेन के कीव में कर रहा है। वह कीव से सोमवार रात हंगरी देश के लिए बस से साथियों के साथ निकला था। नवीन भाटी ने बताया कि उनकी लगातार फोन से भतीजे से बात हो रही है। मंगलवार शाम वह हंगरी के बॉर्डर पर पहुंच गया है। वहां करीब 2 दिन तक उनके डॉक्युमेंटस की जांच होगी। इसके बाद वह हंगरी से फ्लाइट से अपने देश आएगा।

वहीं पंचतत्व हैबिटेट सोसायटी की संस्कृति और अंसल गोल्फ लिंक सोसायटी निवासी छात्र संचित को रोमानिया के बॉर्डर में एंट्री के बाद दूतावास ने संपर्क कर बुखारेस्ट पहुंचा दिया है। संस्कृति को दूतावास ने रविवार को रोमानिया बॉर्डर से रिसीव कर शाम 5 बजे बुखारेस्ट पहुंचाया। वहीं, संचित को भी बॉर्डर से रिसीव कर सोमवार रात 11 बजे बुखारेस्ट पहुंचाया। संस्कृति की भारत वापसी की अभी फ्लाइट क्लियर नहीं हो सकी है। संस्कृति के चाचा अखिलेश सिंह ने बताया कि उनकी भतीजी से लगातार बात हो रही है।

संस्कृति आज देर रात तक दूतावास की मदद से भारत आ सकती हैं। संचित के भाई तरुण ने बताया कि सोमवार शाम करीब 4 बजे रोमानिया बॉर्डर से दूतावास की बस में सवार होकर संचित बुखारेस्ट शेल्टर होम पहुंच गए हैं। वहां खाने-पीने से लेकर मोबाइल चार्जिंग तक के पूरे इंतजाम हैं। संचित के साथ शेल्टर होम में लगभग 52 बच्चों का ग्रुप है। क्लियर होने पर दूतावास उनको फ्लाइट से वापस भारत भेजेगा।