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हाईकोर्ट : एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका में आरोपी के बचाव पर नहीं हो सकता विचार

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्रथम सूचना रिपोर्ट (एएफआईआर) रद्द करने की मांग वाली याचिका पर विचार करते समय आरोपी के बचाव पर ध्यान नहीं दिया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने बरेली जिले के इज्जत नगर थाना निवासी कालीचरण द्वारा दायर एक याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

याचिका में आरोपी ने एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। याची कालीचरण पर महिला को परेशान करने, जिंदा जलाकर उसकी हत्या करने का आरोप है। उसके खिलाफ इज्जतनगर थाने में धारा 302, 120 बी के तहत मामला दर्ज किया गया है।

अदालत के समक्ष याची का तर्क था कि महिला को दुर्घटनावश जलने से चोटें आईं। उसके कहने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया और उसकी मृत्यु के बाद शरीर को उसके पिता को सौंप दिया गया। न्यायालय के समक्ष यह भी कहा गया कि सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत आवेदन दाखिल करने से पहले मृतका के पिता ने पुलिस अधिकारियों से शिकायत की थी। शिकायत में याचिकाकर्ता के पक्ष में एक जांच की गई।

हालांकि बाद में 18 मार्च 2021 को याची ने महिला के पिता को फोन कर उसकी मौत की सूचना दी थी। यह तर्क दिया गया कि कथित घटना और उपचार के बारे में पहले मृतका के पिता को कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई। जिसके बारे में कहा जाता है कि महिला का कई अस्पतालों में उपचार हुआ। दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने और प्रथम सूचना रिपोर्ट के अवलोकन पर न्यायालय ने पाया कि एफआईआर में संज्ञेय अपराध के तत्व शामिल हैं। इसे देखते हुए कि कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

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