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Kyev Diary Ghaziabad: अपनी सरजमीं पर रखते ही कदम मां के पैर छुए, फिर सीने से लिपटकर रोए…चेहरे पर युद्ध का खौफ

हिंडन एयरबेस: यूक्रेन (Ukraine) में फंसे भारतीय छात्रों (Indian Students In Ukraine) को लाने के लिए शुरू किए गए ‘ऑपरेशन गंगा’ (Operation Ganga) के तहत 200 भारतीयों को लेकर एयरफोर्स का पहला C-17 ग्लोबमास्टर (C-17 Globmaster) विमान गुरुवार तड़के डेढ़ बजे हिंडन एयरबेस पर उतरा। अपनी सरजमीं पर पैर रखते ही सभी छात्रों के चेहरे खिल उठे, आंखों में आंसू भर आए। भारत माता की जय बोलते हुए अपना तिरंगा झंडा लेकर वे गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। उनके इंतजार में उनके परिवार वाले भी कई घंटों से उनका यहां इंतजार कर रहे थे। सभी ने अपने बच्चों को कलेजे से लगा लिया। यहां छात्रों को फूल और खाने के पैकेट देकर उनका स्वागत राजस्थान की कैबिनेट मिनिस्टर ममता भूपेश और रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्‌ट ने किया। हिंडन एयरबेस से उनके घर तक पहुंचाने के लिए भी सरकार की तरफ से बस व टैक्सी के पूरे इंतजाम किए गए थे।

रात भर एयरबेस के बाहर डटे रहे परिजन
यूक्रेन में फंसे अपने बच्चों को लेकर परिजन काफी परेशान थे। बुधवार रात जैसे ही उन्हें पता चला कि उनके बच्चे हिंडन एयरबेस पर उतरेंगे, वे काफी पहले वहां पहुंच गए। दिल्ली, यूपी, बिहार, राजस्थान सभी जगहों से लोग अपने लाडलों को लेने पहुंच गए। उन्होंने कई घंटे तक बाहर खड़े होकर उनका इंतजार करते नजर आए। दिल्ली के विनोद कुमार और राकेश गौतम ने बताया कि उनके बेटे 23 फरवरी से वहां फंसे हुए थे। फोन पर वहां के हालात सुनकर डर लगता था। बच्चों को सुरक्षित देखकर वे भावुक हो गए। दोनों लिपटकर रोने लगे। उनकी आंखों में खुशी के आंसू दिखाई दिए। अभिभावक अपने साथ फूलों के गुलदस्ते माला और मिठाई लेकर आए थे। वहीं, शामली के रहने वाले मयंक ने जैसे ही अपने परिजनों के पैर छुए तो मां ने उन्हें सीने से लगा लिया।

किसी का भाई वहीं छूट गया तो बम की आवाजें नहीं भूल पा रहा
बिहार के पटना की रहने वाली विशाखा ओडेसा में फंसी थीं। वह यूक्रेन की सरकार को लेकर काफी गुस्से में नजर आईं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की आर्मी बिल्कुल सहयोग नहीं कर रही थी। उनके हॉस्टल के पास एक मिलिट्री कैंप था, जहां बमबमारी हुई थी। उसके बीच से वह निकली थीं। उन्होंने कहा कि बस का किराया 17 हजार रुपये दिया, तब जाकर किसी तरह बॉर्डर तक पहुंच पाईं। वहां मनमाना किराया वसूला जा रहा है। विशाखा ने बताया कि उनका भाई कुमार राघव खारकीव में फंसा हुआ है। दिल्ली के दीपांशु ने भी बताया कि यूक्रेन की सेना की तरफ से सपोर्ट नहीं मिला।

दिल्ली की श्रद्धा ने बताया कि 24 फरवरी को फ्लाइट कैंसल हो गई थी। शेल्टर में लगातार बम की आवाजें आ रही थीं। टैक्सी से रोमानिया गए। 12 घंटे ट्रेन में सफर किया। श्यामा और अंशिता यूक्रेन के इवानो शहर में रह रही थीं। उन्होंने बताया कि घर लौटने की खुशी तो है मगर यूक्रेन में अभी कई विदेशी छात्र फंसे हुए हैं। रोमानिया बॉर्डर पर भारत की ऐम्बेसी का काफी सपोर्ट मिल रहा है।

राजस्थान के अंकित डारा, निखिल चौधरी और जुनैद ने बताया कि यूक्रेन के विन्नित्सा शहर में रहकर वहां एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वहां हालात ऐसे हो गए थे कि उन्होंने आस ही छोड़ दी थी कि अपने घर लौट पाएंगे। उन्होंने बताया कि 50 बच्चों के समूह के साथ बस से निकले थे और कई घंटे के सफर के बाद रात में वहां पहुंच पाए। इस दौरान 6 किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ा। रास्ते में खाने पीने की कोई चीज नहीं मिल रही थी। गोली चलने की आवाज से डर लगता था। जब वे पैदल रोमानिया सीमा की ओर जा रहे थे तब रास्ते में कई बच्चे गिर पड़े। सब एक दूसरे को सहारा दे रहे थे।

बसों पर भारत के झंडे लगाकर बचकर निकले
कुशीनगर के रहने वाले मकबूल हसन और सत्यम यूक्रेन में ओडेसा विवि से एमबीबीएस कर रहे हैं। 25 फरवरी से शेल्टर्स में रह रहे थे। उन्होंने बताया कि पहले ऐम्बेसी ने कहा बस करके बॉर्डर तक पहुंचे। उसके बाद आपकी व्यवस्था यहां हो जाएगी। हमें बस पर तिरंगा लगाकर आगे बढ़ने के लिए कहा गया। 600 किलोमीटर चलकर रोमानिया बॉर्डर तक पहुंचे। वहां -4 डिग्री तापमान था। 2 दिन बॉर्डर पार करने में लगे। रोमानिया की पुलिस ने निजी खर्च पर आगे जाने को कहा, लेकिन ऐम्बेसी ने मना कर दिया। 26 की फ्लाइट थी लेकिन 23 से हमला हो गया। इसलिए फ्लाइट से नहीं आ सकते थे। छात्रों ने बताया कि वे अपने जिस वाहन से रोमानिया की सीमा तक पहुंचे थे, उसके चारों तरफ भारत का झंडा लगाए हुए थे। उन लोगों को बताया गया था कि भारतीय तिरंगा लगे होने से उनके वाहनों को सुरक्षित निकाला जा सकेगा।

कीमती सामान वहीं छोड़ा, लेकिन लेकर आईं 3 बिल्लियां
यूक्रेन में फंसे छात्र अपने साथ पालतू जानवरों को भी लेकर आए हैं। इनमें केरल की श्वेता व अंजू भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि बिल्ली उनके साथ कई महीने से है। वे उन्हें बेहद सुरक्षित तरीके से पिंजरे में लेकर आई हैं। उन्होंने बताया कि वे अपना जरूरत का काफी महंगा सामान वहां यूं ही छोड़कर चली आई हैं। बिल्लियों के साथ जुड़ाव हो चुका है, इसलिए वहां नहीं छोड़ सकती थीं।