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आगरा की शक्ति: चंबल के बीहड़ में दौड़कर मनीषा बनीं एथलीट, ओलंपिक में पदक जीतने का है सपना

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आगरा जिले में खेती और चंबल के बीहड़ों में दौड़कर मनीषा ने एथलीट बनने का सपना पूरा किया। अब वह स्वर्ण पदक के लिए ट्रैक पर दौड़ती हैं। बाह के गांव गोपालपुरा निवासी मनीषा कुशवाह ने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में पदक जीते हैं। इन दिनों वह पटियाला के स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सेंटर में प्रशिक्षण ले रही हैं।

मनीषा के माता-पिता कमलेश और मुरारीलाल किसान हैं। खेत में फसल की कटाई, निराई करने में उनको भी सहायता करनी पड़ती है। खेतों और चंबल के पगडंडियों पर की गई मेहनत रंग लाई। उन्होंने 2019 में जूनियर नेशनल एथेलिटिक्स गुंटूर(आंध्र प्रदेश) में रजत पदक जीता।

फेडरेशन कप में अंडर- 20 में 54.50 सेकेंड के समय के साथ रजत पदक जीता। वर्ष 2019 में ही नेपाल सैफ गेम्स में 4 गुणा 4 मीटर रिले में कांस्य पदक जीता था। इसी साल फरवरी में भुवनेश्वर में आयोजित आल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में 4 गुणा 4 मीटर रिले में स्वर्ण पदक जीता।

संघर्ष
मनीषा बताती हैं कि 12 साल पहले टीवी पर लड़कियों को खेल में पदक जीतते हुए देखा था। तब से दिमाग में एथलीट बनने की बात घर कर गई। प्रशिक्षण की सुविधा नहीं थी तो खेतों में जाने के बाद बीहड़ में दौड़ लगाती। कई बार चोट लगी लेकिन हिम्मत नहीं हारी। बीहड़ की पगडंडियों पर दौड़ते हुए अच्छा समय निकालने लगी तो स्थानीय, जिला स्तर पर प्रतियोगिताओं में भाग लिया। एक बार घुटने की सर्जरी करानी पड़ी।
सपना
मनीषा का सपना एशियाड और ओलंपिक में देश के लिए खेलने और पदक जीतने का है। सपने को पूरा करने के लिए सांईं पटियाला में प्रशिक्षण ले रही हैं। सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत कर रही हैं। मनीषा ने अभ्यास में खुद को समर्पित कर दिया है।