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UP Chunav Seventh Phase: वादों और जुमलों में बह गए पूरब के कल कारखाने, जानिए किन मुद्दों पर लड़ा जा रहा है चुनाव

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वाराणसी: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) के अंतिम चरण के लिए बिसात बिछने के साथ मोहरे सामने हैं। बस नहीं है तो मुद्दों-वादों पर चर्चा और बहस। पूर्वांचल की गरीबी-बदहाली, बंद उद्योग-कारखाने, नई इंडस्‍ट्रीज का अभाव, दम तोड़ती बनारसी साड़ी और कालीन इंडस्‍ट्री के मसलों की जगह चुनाव में धर्म-जाति के समीकरण ज्यादा गर्म हैं। चट्टी-चौराहों, चाय-पान की दुकानों पर बहस में वादों-जुमलों के तीर छूट रहे हैं। हर दल के नेता वोटरों को यही समझाने में लगे हैं कि पूर्वांचल पर उनकी ही पार्टी का पूरा फोकस है, लेकिन पूर्वांचल से जुड़े असली मुद्दों पर खामोशी खटकने वाली है।

संसाधन भरपूर फिर भी हाथ खाली
1962 में गाजीपुर से सासंद रहे विश्‍वनाथ गहमरी ने पूर्वांचल की पीड़ा को समझ उसे देश के सामने लाने का प्रयास किया तो हकीकत सुन पूरी संसद रोई थी। उस समय कुछ समय के लिए सरकारें जागीं और फिर सो गईं। पूर्वांचल की गरीब आबादी के बीच उद्योगों के फलने-फूलने के भरपूर साधन-संसाधन हैं। श्रमशक्ति इतनी कि मुंबई को मुंबई बनाने और गुजरात को नजीर बनाने का माद्दा रखता है। बाजार और खपत की भी कमी नहीं, फिर भी नई इंडस्‍ट्री की बात तो दूर पुराने कल-कारखाने कबाड़ में तब्‍दील हो चुके हैं।

चीनी मिलों में ताले जड़े होने से गन्‍ने की खेती ही बंद हो गई। रोजी-रोटी के सबसे बड़े माध्यम कुटीर उद्योगों की दशा भी बेहद खराब है। योगी सरकार में पूर्वांचल विकास बोर्ड का गठन तो हुआ, लेकिन इससे हालात बहुत ज्यादा नहीं बदले। लंबे समय के बाद नई इकाई के रूप में वाराणसी के करखियांव में 500 करोड़ की लागत वाले अमूल प्‍लांट का शिलान्‍यास थोड़ी सी राहत की बात है।

औद्योगिक आस्‍थानों की हालत
मऊ के ताजोपुर में 1994 में स्‍थापित औद्योगिक क्षेत्र में 135 छोटे-बड़े कल कारखाने बंद हैं। चल रहे करीब 100 कारखानों में कंक्रीट, जरी, राइस और आटा मिलें हैं। यहां सड़कों की स्थिति काफी खराब है तो इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर का अभाव है।

गाजीपुर में मूलभूत सुविधाओं का अभाव
गाजीपुर में 2015 में बने नंदगंज औद्योगिक क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। फूड प्रॉसेसिंग क्षेत्र में कई निवेशक आए, लेकिन हालत देख उल्‍टे पैर लौट गए। छोटे उद्यमियों के पास खुद की व्‍यवस्‍था न होने से इकाइयां पनप नहीं पाईं।

जौनपुर में बंद हो रही इकाईयां
गाजीपुर में 90 के दशक में बने जौनपुर के सतहरिया औद्योगिक क्षेत्र (सीडा) में 139 इकाइयां स्‍थापित हुईं, मगर एक-एक कर बंद होती जा रही हैं। हॉकिंस कुकर, एचआईएल, वरुण ब्रूअरी, टीएमटी सरिया के बड़े प्‍लांट बंद हो चुके हैं।

आजमगढ़ में नहीं मिल रहा रोजगार
आजमगढ़ जिले में औद्योगिक क्षेत्र 1964 में बसा था। उस समय लगी राल्‍को टायर की इकाई 1974 में बंद हो चुकी है। वर्तमान में चल रहीं एल्‍युमिनियम के बर्तन, बैट्री, कुकर, कील व कागज के कप-प्‍लेट की छोट-छोटी फैक्ट्रियों से ज्‍यादा लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है।

चंदौली में साकार नहीं हुआ सपना
रामनगर औद्योगिक क्षेत्र को मॉडल बनाने का खाका लंबा समय बीतने के बाद भी साकार नहीं हो सका है। सड़कों की खराब हालत और जलभराव की समस्‍या परेशान किए हुए है।

बलिया में नहीं दिख रही उम्मीद
बलिया के बनरहीं और माधोपुर औद्योगिक क्षेत्रों में पुराने परंपरागत उद्योग ही चल रहे हैं। सरकारी मदद और नई तकनीक के उद्योग स्‍थापित करने की दिशा में कदम उठाए जाने की मांग बराबर उठती रही है, पर उम्‍मीद की किरण नहीं दिखी।

मिर्जापुर में क्षेत्र की कमी का मसला
मिर्जापुर के पथरहिया इलाके में 1962 में औद्योगिक आस्‍थान की स्‍थापना हुई। यहां कंबल कारखाना है। पीतल बर्तन और कालीन का भी उत्‍पादन होता है। औद्योगिक एरिया काफी कम होने से नई इकाइयां नहीं लग पा रही हैं।

भदोही में नहीं बना नया क्षेत्र
कालीननगरी भदोही में कारपेट सिटी एकमात्र औद्योगिक क्षेत्र है। यहां कालीन कंपनियां, कालीन बुनाई कारखाने हैं, लेकिन सुविधाओं की बातें बैठकों तक ही सीमित रहती हैं। नया औद्योगिक क्षेत्र न बनने से नए कारखाने नहीं लग पा रहे हैं।

उद्योग आने से ही दूर होगा पिछड़ापन
पूर्वांचल फ्लोर मिल असोसिएशन के अध्यक्ष विजय कपूर कहते हैं कि पूर्वांचल का पिछड़ापन ज्‍यादा से ज्‍यादा इंडस्‍ट्री आने पर ही दूर हो सकता है। ऐसे में नई इंडस्‍ट्री के साथ पुरानी के लिए स्‍पेशल पैकेज समय की मांग हैं। समाजवादी नेता विजय नारायण का कहना है कि स्‍थानीय मुद्दे दलों के अजेंडे में रहना तो दूर कोई इन पर बात करने पर भी कोई तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति के लिए जनता भी कम जवाबदेह नहीं।

द स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के नीरज पारिख कहते हैं कि राजनीति का खेल पूर्वांचल में उद्योगों के विकास में रोड़ा बना है। औद्योगिक दशा और दिशा पर मंथन में हर किसी को शामिल होना होगा।