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यूक्रेन ने टेके रूस के आगे घुटने, नरम पड़े जेलेंस्की,

क्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने क्या रूस के आगे घुटने टेक दिए हैं? क्या यूक्रेनी राष्ट्रपति ने पुतिन की बढ़ती आक्रमकता के आगे खुद को नरम करने का फैसला कर लिया है? क्या जेलेंस्की अब रूसी राष्ट्रपति के आगे खुद की हार मान लेने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं? इन सवालों से रूबरू होने के बाद जाहिर है कि आपके जेहन में बेशुमार सवालों ने शोर मचाना शुरू कर दिया होगा। आप कह रहे होंगे कि अभी कुछ दिनों पहले ही तो जेलेंस्की ने वीडियो साझा कर रूस के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए अपनी दृढसंकल्पता को यह कह कर जगजाहिर किया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, वे रूस के खिलाफ आखिरी सांस तक लड़ते रहेंगे।
तो फिर अब एकाएक उनके अंदर ये क्रांतिकारी परिवर्तन कैसे आ सकता है, नहीं आपको गलतफहमी हो रही है। यही सोच रहे हैं न आप, तो आपको बता दें कि हमें कोई भी गलतफहमी नहीं हो रही है, ऐसा तो हम इसलिए कर रहे हैं, बल्कि हर कोई कह रहा है कि अब यूक्रेनी राष्ट्रपति ने रूस के आगे अपने घुटने टेक लिए हैं, वो इसलिए, क्योंकि बीते बुधवार को ही उन्होंने अमेरिकी न्यूज चैनल एबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वे अब नाटो में शामिल होने को इच्छुक नहीं है।तो अब आप सोच रहे होंगे कि उनके उक्त बयान का रूस से हो रहे युद्ध से क्या सरोकार है, तो इसका सरोकार यह है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की मुख्य वजह ही नाटो है।

दरअसल, रूस चाहता है कि यूक्रेन यूरोपीय देशों के सैन्य संगठन नाटो में शामिल न हो। लेकिन यूक्रेन नाटो में शामिल होने के लिए अड़ा हुआ था, जिसका विरोध करते हुए रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया और अब दोनों ही देशों के बीच युद्ध की स्थिति इतनी हिंसक हो चुकी है कि यह अपने विराम स्थल पर पहुंचने का नाम ही नहीं ले रही है। उधर, अमेरिकी टीवी चैनल एबीसी को दिए अपने इंटरव्यू में जेलेंस्की ने नाटो के संदर्भ में कहा कि नाटो ने हमारा साथ नहीं दिया है।नाटो हर विवादित मसलों से खुद को दूर ही रखता है। बीते दिनों उसने चीन के साथ हुए विवाद को लेकर अपनी दूरी ही बना कर रखी हुई थी। जिससे पुतिन का दोहरा मापदंड साफ जाहिर होता है।
इसके अलावा देनेत्सको और लुहांसा पर भी समझौता करने के लिए तैयार हो चुके हैं। बता दें कि ये दोनों ही जगह रूस के दृष्टिकोण से विवादित माने जाते हैं। वहीं, जेलेंक्सी ने ये भी कहा कि वे इस बात को भलीभांति समझ चुके हैं कि नाटो उन्हें शामिल नहीं करना चाहता है। उन्होंने आगे कहा कि वे किसी ऐसे देश के राष्ट्रपति बिल्कुल भी नहीं बनना चाहते हैं, जो किसी दूसरे देश के आगे भीख मांगे। बता दें कि बीते दिनों रूस ने कहा कि यूक्रेन अपने संविधान में बदलाव कर यह स्पष्ट करे कि वो नाटो में शामिल होने को इच्छुक है की नहीं। ध्यान रहे कि यूक्रेन के दो विवादित क्षेत्रों दोनेत्सक और लुहांसे पर अलगाववादियों का कब्जा है, जिस पर अब यूक्रेन रूस संग समझौता करने के लिए तैयार हो चुका है।

साल 2014 में इन दो विवादित क्षेत्रों की वजह से यूक्रेनी सेनाओं और अलगावादी सेना के बीच युद्ध भी छिड़ा था। हालांकि, विगत 24 फरवरी से पूर्व रूस ने इन दोनों ही उक्त विवादित क्षेत्रों को स्वतंत्र प्रदेश के रूप में घोषित कर दिया था।वहीं, विगत बुधवार को अमेरिकी टीवी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में जब जेलेंस्की से उक्त विवादित प्रदेशों के संदर्भ में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि वे रूस से इस मसले पर वार्ता करने हेतु तैयार हैं। वहीं, जिन मसलों पर कल तक जेलेंस्की अपने तेवर दिखाने से कोई गुरेज नहीं किया करते थे। आज उन मसलों पर उनकी नरमी ने विश्व समुदाय में चर्चाओं के बाजार को गुलजार कर दिया है।