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Big Breaking: तो क्या टाटा मोटर्स में बाई सिक्स कर्मियों के युग का अंत हो जाएगा, जानिए

avinash
Jamshedpur: अगर सब कुछ ठीक रहा तो टाटा मोटर्स में बाई सिक्स (अस्थायी कर्मचारी) कर्मियों के युग का अंत हो जाएगा. लंबे समय से टाटा मोटर्स में चली आ रही बाई सिक्स की परंपरा को प्रबंधन अलविदा करने के मूड में है. कंपनी ने नये लेबर कोड और रोजगार के बदलते नये परिदृश्य को देखते हुए अपनी नियोजन नीति में बड़े स्तर पर बदलाव करने का फैसला लिया है.

सूत्रों का कहना है कि प्रबंधन ने कंपनी के कर्मियों के होने वाले नये ग्रेड समझौते को लेकर यूनियन के सामने अपना प्रस्ताव रखा है, जिसमें वह टेम्पोरेरी पूल को पूरी तरह से हटाने पर विचार कर रहा है ताकि कर्मचारियों को स्थायी होने के लिए सालों साल इंतजार नहीं करना पड़े. कई कर्मचारी टेम्पोरेरी में ही कंपनी से रिटायर कर जाते हैं. अगर यूनियन ने प्रबंधन के इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी तो यह टाटा मोटर्स के इतिहास में ऐतिहासिक ग्रेड समझौता होगा, जिसमें टेम्पोरेरी की धारणा ही खत्म हो जाएगी. तीन साल की टीएमएसटी (टाटा मोटर्स स्किल ट्रेनिंग) और अप्रेटिंस पास उम्मीदवार सीधे स्थायी हो सकेंगे. सूत्रों का कहना है कि प्रबंधन के इस प्रस्ताव पर यूनियन काफी गंभीर है और उसकी कोशिश है कि इसे लागू किया जाय. अगर समझौता हुआ तो टाटा मोटर्स के इतिहास में पहली बार चार हजार से ज्यादा बाई सिक्स कर्मियों को नये ग्रेड में स्थायी होने का तोहफा मिलेगा.
15-20 साल लग जाते हैं स्थायी होने में
टाटा मोटर्स में निबंधित पुत्रों की होने वाली में बहाली में ट्रेनिंग के बाद सीधे स्थायी नहीं किया जाता है. पहले उन्हें तीन साल टीएमएसटी की ट्रेनिंग लेनी होती है. सफलतापूर्वक यह ट्रेनिंग पूरा करने वाले कर्मियों को कंपनी अपने टेम्पोरेरी पूल में शामिल करती है. इसके बाद उनकी सीनियरिटी के आधार पर हर साल स्थायी किया जाता है. एक साल में 200 से 300 कर्मचारियों का ही स्थायीकरण हो पाता है, जबकि इस पूल में चार हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं. ऐसे में स्थायी होते होते कई कर्मियों की आधी से ज्यादा उम्र निकल जाती है. पिछली बार ग्रेड समझौते में टाटा स्टील की तर्ज पर टाटा मोटर्स में भी नया ग्रेड लागू होने के बाद कर्मचारियों के ग्रॉस वेतन में कमी आई है. ऐसे में यूनियन की कोशिश है कि इन्हें स्थायीकरण का तोहफा देकर ग्रेड को ऐतिहासिक बनाया जाय.

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