राजधानी भोपाल के मास्टर प्लान का खाका बनकर तैयार हो गया है। इस मास्टर प्लान में राजधानी के सीमावर्ती जिलों को जोड़ने तक के विकास की रूपरेखा तय की गई है। जिसका मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में प्रजेंटेशन किया गया है। बैठक में मंत्री जयवर्धन सिंह ने भोपाल का मास्टर प्लान पेश किया है, इस पर चर्चा चल रही है।
शनिवार को मास्टर प्लान की मीटिंग शुरू होने से पहले पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि बढ़ती हुई आबादी भोपाल के लिए बोझ है। इसे ढोने के लिए शहर के पास क्या क्षमता है। मास्टर प्लान इस पर आधारित होगा। शहर के विकास की रूपरेखा भी इसी आधार पर तय की जाएगी। आवास 2 फ्लोर से 3 फ्लोर के बना दें, यह पुरानी बात है। हमें भोपाल और देश के बड़े शहरों को सुरक्षित रखना है, इसलिए जरूरी है कि हम शहरीकरण के साथ ही उपनगरीयता की बात करें।
1995 में बना था भोपाल का आखिरी मास्टर प्लान
नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि जिस तरह तेज गति से भोपाल शहर की वृद्धि हुई है, इसलिए अब ज़रूरी है भोपाल के लिए व्यवस्थित मास्टर प्लान बनाया जाए। आखिरी मास्टर प्लान 1995 में बना था, उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, उसे 2005 तक के लिए बनाया गया था। मास्टर प्लान बनाने के भाजपा सरकार को दो बार अवसर मिला, लेकिन वह नहीं बना पाए। कांग्रेस की सरकार बनी तो हमने भोपाल का मास्टर प्लान का बनाने का संकल्प लिया था। मास्टर प्लान में आसपास के गांवों को जोड़ने की योजना है।इसे 2030 को ध्यान मे रखते हुए तैयार किया जा रहा है।
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