22 February 2020
देशवासियों को खड़ा होना होगा कांग्रेस-कम्युनिस्ट-इस्लामिक गठबंधन के खिलाफ
>> कम्युनिस्टों का सिद्धांत है एक मित्र देश की सेना दूसरे देश पर आक्रमण करे तो उस देश के कम्युनिस्टों को चाहिये कि वे मित्र देश का साथ दें। इसी सिद्धांत पर चलते हुए १९६२ में कम्युनिस्टों ने चीन का साथ दिया था। मणिशंकर अय्यर भी उस समय चीन की सहायता के लिये फंड इक_ा कर रहे थे?
>> अब कम्युनिस्टों का उक्त सिद्धांत में कांगे्रस के सहयोग से कुछ और जुड़ चुका है।
अब कांग्रेस और कम्युनिस्टों का सिद्धांत बन चुका है कि भारत के दुश्मन पाकिस्तान और चीन उनके लिये मित्र देेश हैं। अतएव उनकी धारणा है कि यदि चीन और पाकिस्तान भारत के विरूद्ध जो भी प्रयास करें उसमें वे अपने मित्र देश चीन और पाकिस्तान का साथ दें।
सीएए का विरोध और उसके प्रति जो भ्रम फैलाया जा रहा है और उसकी आड़ में देशद्रोह को हवा देने का जो प्रयास हो रहा है उसे हम सीएए के प्रति असहमति है और यह लोकतंत्र को मजबूत करने के लिये ऐसा हम कदापि नहीं कह सकते।
>> मणिशंकर अय्यर कुछ वर्षों पूर्व पाकिस्तान में राजदूत रहे हैं। वर्तमान में वे सोनिया गांधी के निर्देश पर पाकिस्तान जाकर भारत के विरूद्ध जहर उगलते रहे हैं। मोदी सरकार को हटाने के लिये एक टीवी चैनल में वे आईएसआई तक की सहायता लेेते हुए दिखाये गये थे।
>> यदि चीन वन बेल्ट वन रोड परियोजना को अमली जामा पहनाने में सफल हो जाता है तो दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन की स्थिति धराशायी होगी। जो भारत के लिए बेहद गंभीर स्थिति होगी। इसलिये वर्तमान मोदी सरकार जहॉ इस परियोजना का विरोध की है वहीं कम्युनिस्ट प्रभावित विपक्षी नेता और कांग्रेस प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से चीन के साथ हैं।
>> नेपाल एकमेव हिन्दू राष्ट्र था। चीन और क्रिस्चन मिशनरियों की एक साजिश के तहत नेपाल में अब क्रिस्चिन और कम्युनिस्ट लॉबी ही ताकतवर हैं वही शासन कर रही है।
>> अभी कल का ही समाचार था कि नेपाल के जेहादी गुटों से फंडिंंग मिलने के कारण रोहिंग्या भारत से बंगलादेश न जाकर अब नेपाल की ओर कूच कर रहे हैं।
>> चीन पीओके के अंदर से रेल लिंक वन बेल्ट वन रोड परियोजना के अंतर्गत बनाने की योजना पर कार्य कर रहा है। पीओके पंडित नेहरू द्वारा फोकट में पाकिस्तान को मिला हुआ है इसलिये उसे पीओके को चीन के पास गिरवी रखने में कोई संकोच नही है।
इस प्रकार से हम देख रहे हैं कि अपनी बेल्ट वन रोड परियोजना को नेपाल और पाकिस्तान तक तो ले ही जा चुका है।
>> अब चीन की साजिश है कि वह इस्लामिक कट्टरपंथियों भारत में पनप रहे पाकिस्तान परस्त सत्तालोलुप नेताओं और अलगाववादी तत्वों की मदद से वह भारत के पूर्वी क्षेत्र और भूटान आदि पर अपना प्रभुत्व बना ले।
इसी के तहत शरजील इमाम ने जामिया अलीगढ़ युनिवर्सिटी के बाद शाहीनबाग प्रदर्शन के एक आर्गनाइजर के नाते चिकनगलियारा को काटकर असम तथा अन्य पूर्वी क्षेत्रों को इस्लामिक क्षेत्र बनाकर भारत को इस्लामिक देश बनाने की ओर बढऩे का आव्हान किया था।
सीएए के विरोधी की आड़ मेंं भारत की सेना और पुलिस के प्रति घृणा का वातावरण इसीलिये पैदा किया जा रहा है जिससे कि भारत में गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न की जा सके। अलीगढ़ जामिया, जेएनयू से लेकर अब शाहीनबाग तक जो प्रदर्शन हो रहे हैं उसके पीछे पीएफआई जैसी देशविरोधी गतिविधियां करने वाली ताकतों को प्रोत्साहन लोकतंत्र का मुखौटा पहने कांग्रेस और कम्युनिस्ट द्वारा दिया जा रहा है।
शाहीनबाग में प्रदर्शनकारियों जिन्हें कि १०० करोड़ पर भारी १५ करोड़ की चुनौती देने वाले इस आधार पर दंगा फसाद कराने का मंसुबा रखने वाले वारिस पठान ने शेरनियों की संज्ञा दी है और अभी मध्यस्था कर रहे एड्व्होकेट द्वय जिस प्रकार से प्रदर्शनकारियों को समझाते समय यह कह रहे थे कि शाहीनबाग विश्व में एक ऐतिहासिक छाप बने परंतु रास्ता भर दे देा इन सब बातों को प्रदर्शनकारी किस प्रकार से ले रहे होंगे ये कहा नहीं जा सकता।
शाहीन बाग में कांग्रेस के नेता शशि थरूर भी पहुंचे थे वहॉ जिन्ना वाली आजादी के नारे भी लगे थे। उसके बाद वहॉ कांग्रेस के दूसरे नेता मणिशंकर अय्यर पहुंचे थे और उन्हेांने वहॉ भारत के प्रधानमंत्री को कातिल तक कह डाला था।
इन सब बातों को देखते हुए भारत की एकता बनाये रखने के लिये १३० करोड़ देशवासियों को खड़ा होना होगा कांग्रेस-कम्युनिस्ट-इस्लामिक गठबंधन के खिलाफ। चीन और पाकिस्तान अभी जो हरकतें कर रहे हैं और पहले भी जो करते रहे हैं क्या वे मित्र देश हो सकते हैं?
भारत पर किसी ने युद्ध थोपे हैं तो वे चीन और पाकिस्तान ही तो हैं। अतएव पाक तथा चीन परस्त सभी तत्वों से हमे सावधान रहना आवश्यक है।
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