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सिराथू विधानसभा 2022 : डिप्टी सीएम की हार के चलते क्यों चर्चा में आए सांसद विनोद सोनकर

सार
भाजपा के नेता ही विनोद सोनकर पर ईमानदारी के साथ मेनहत न करने का आरोप लगाया। सांसद विनोद सोनकर के लोकसभा क्षेत्र में ही सिराथू विधानसभा सीट आती है। 2017 में यहां से भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली थी। यही नहीं कौशाम्बी की तीनों सीट चायल, सिराथू और मंझनपुर भाजपा की झोली में आई थी।

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प्रदेश की सबसे हॉट सीट माने जाने वाली सिराथू विधानसभा सीट से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की हार के चलते उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर जहां अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। 2017 में भाजपा को प्रचंड बहुमत दिलाने वाले मौर्य जहां मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे वहीं पांच साल बाद 2022 में स्थितियां बिल्कुल विपरीत हो गई हैं। मौर्य की हार के चलते कौशाम्बी के सांसद विनोद सोनकर चर्चा में आ गए हैं।

 

 

 

भाजपा के नेता ही विनोद सोनकर पर ईमानदारी के साथ मेनहत न करने का आरोप लगाया। सांसद विनोद सोनकर के लोकसभा क्षेत्र में ही सिराथू विधानसभा सीट आती है। 2017 में यहां से भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली थी। यही नहीं कौशाम्बी की तीनों सीट चायल, सिराथू और मंझनपुर भाजपा की झोली में आई थी।

 

 

जब पूरे प्रदेश में भाजपा की लहर चल रही थी और मोदी की सभा भी कौशाम्बी में कराई गई उसके बावजूद डिप्टी सीएम के चुनाव हारने को लेकर कहीं न कहीं जमीनी स्तर पर पार्टी के मजबूत न होने और कार्यकर्ताओं के अति आत्मविश्वास में होना माना जा रहा है। लोग यह मानकर चल रहे थे कि केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के बड़े नेता हैं और वह बड़े अंतर से चुनाव जीतेंगे। इसके विपरीत सपा के नेताओं का बूथ मैनेजमेंट काफी दुरुस्त रहा। वह भाजपा विरोधी मतों को अपनी तरफ लाने में सफल रहे। 

कौशाम्बी लोकसभा के अंतर्गत आती है सिराथू सीट
कौशाम्बी संसदीय क्षेत्र की पांच विधानसभा सीट 5-0 से गंवाने के बाद वहां के वर्तमान सांसद विनोद सोनकर की कार्यशैली पर प्रश्न चिह्न लग गए हैं। इस संसदीय क्षेत्र की हॉट सीट कहे जाने वाली सिराथू विधानसभा से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की हार के बाद भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश संगठन से समीक्षा करने को कहा है।

यहां पांचों विधानसभा में मिली पराजय के बाद 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में सांसद विनोद सोनकर की दावेदारी भी खतरे में पड़ गई है। डिप्टी सीएम की हार के बाद सोशल मीडिया में भी विनोद सोनकर को लेकर लोगों द्वारा तमाम तरह के कमेंट किए जा रहे हैं।

कौशांबी की सभी पांचों सीटों पर मिली हार
दरअसल दस मार्च को विधानसभा चुनाव का परिणाम आया तो कौशाम्बी की सभी पांचों सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। जबकि पिछले चुनाव में कौशाम्बी की तीनों सीट पर भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था। हालांकि संसदीय क्षेत्र में शामिल प्रतापगढ़ की कुंडा और बाबागंज सीट भाजपा हारी तो जरूर थी, लेकिन उसके प्रत्याशियों को 2022 की तुलना में ज्यादा मत मिले थे।

इस बार यहां पड़े 10.73 लाख मतों में से भाजपा के खाते में 29 प्रतिशत ही मत आए, जबकि सपा/जेएलडी ने 45 फीसदी वोट जुटा लिए। इस बीच डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की हार को लेकर चर्चा यही हो रही है कि उन्हें पार्टी की भितरघात भारी पड़ गई। चुनाव प्रचार के दौरान सभी नेताओं ने केशव के साथ मंच जरूर साझा किया, लेकिन अंदर ही अंदर खेल कुछ और चल रहा था।

कौशाम्बी संसदीय सीट से लगातार दो बार सांसद रहे विनोद सोनकर की बात करें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें यहां से 3.83 लाख मत मिले थे, उसकी तुलना में विधानसभा में वोट काफी घट गया। उधर, केशव की हार के बाद सोशल मीडिया में सांसद विनोद सोनकर की सपा प्रत्याशी गुलशन यादव आदि के साथ की फोटो वायरल हो गई है। 

बाबागंज, कुंडा में तीसरे स्थान पर खिसकी भाजपा
कौशाम्बी संसदीय क्षेत्र की बाबागंज सीट पर पार्टी प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहा। यहां उसे 30391 मत मिले। इसी तरह कुंडा में भाजपा प्रत्याशी को महज 16455 मत मिले। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में बाबागंज में पार्टी प्रत्याशी के खाते में 50618 और कुंडा में 32950 मत आए थे। चायल में भी पिछली बार 85715 मत निवर्तमान भाजपा विधायक संजय गुप्ता को मिले थे, लेकिन इस बार यह आंकड़ा घटकर 75609 पर पहुंच गया। 

प्रयागराज में विजयी भाजपा के छह विधायकों से ज्यादा वोट मिले केशव को
डिप्टी सीएम को सिराथू विधानसभा सीट में 98941 मत मिले। केशव मौर्य जितने वोट पाकर हारे, उससे कम वोट पाकर प्रयागराज की छह सीटों पर भाजपा व गठबंधन से कुल छह विधायक बन गए। हर्ष बाजपेयी, नंद गोपाल गुप्ता नंदी, प्रवीण पटेल, गुरु प्रसाद मौर्य, वाचस्पति, पीयूष रंजन निषाद को केशव से कम मत मिले, लेकिन वह विधायक बन गए। सिर्फ सिद्धार्थ नाथ और प्रवीण पटेल के खाते में ही एक लाख से ज्यादा मत आए।

कुंडा और बाबागंज में राजा भैया के समर्थन और विरोध में ही मतदान होता है। वहां राजा भैया के सपा को हर हाल में हराने के बयान के बाद भाजपा का काफी वोट उन्हें मिल गया। रही बात कौशाम्बी की तो वहां तीनों विधानसभा में मैने लगातार 25 दिन प्रचार किया। वहां मुझसे बड़े लोग चुनाव प्रचार में जुटे थे। गुलशन यादव के साथ जो फोटो वायरल की गई है, वह 2019 में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम की है। उसमें तमाम लोग आए थे। मैं भाजपा का अनुशासित सिपाही हूं, पार्टी जो भी निर्देश देगी उसका पूरा पालन करूंगा। – विनोद सोनकर, सांसद कौशाम्बी ।

विस्तार

प्रदेश की सबसे हॉट सीट माने जाने वाली सिराथू विधानसभा सीट से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की हार के चलते उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर जहां अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। 2017 में भाजपा को प्रचंड बहुमत दिलाने वाले मौर्य जहां मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे वहीं पांच साल बाद 2022 में स्थितियां बिल्कुल विपरीत हो गई हैं। मौर्य की हार के चलते कौशाम्बी के सांसद विनोद सोनकर चर्चा में आ गए हैं।


 

 

 

भाजपा के नेता ही विनोद सोनकर पर ईमानदारी के साथ मेनहत न करने का आरोप लगाया। सांसद विनोद सोनकर के लोकसभा क्षेत्र में ही सिराथू विधानसभा सीट आती है। 2017 में यहां से भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली थी। यही नहीं कौशाम्बी की तीनों सीट चायल, सिराथू और मंझनपुर भाजपा की झोली में आई थी।

 

 


जब पूरे प्रदेश में भाजपा की लहर चल रही थी और मोदी की सभा भी कौशाम्बी में कराई गई उसके बावजूद डिप्टी सीएम के चुनाव हारने को लेकर कहीं न कहीं जमीनी स्तर पर पार्टी के मजबूत न होने और कार्यकर्ताओं के अति आत्मविश्वास में होना माना जा रहा है। लोग यह मानकर चल रहे थे कि केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के बड़े नेता हैं और वह बड़े अंतर से चुनाव जीतेंगे। इसके विपरीत सपा के नेताओं का बूथ मैनेजमेंट काफी दुरुस्त रहा। वह भाजपा विरोधी मतों को अपनी तरफ लाने में सफल रहे।