देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) हारे या हराए गए? उत्तराखंड की पॉलिटिक्स में अभी यह मंथन जारी था कि सेकंड लेयर पर मंथन शुरू हो गया। वह यह कि अकेले धामी ही नहीं हारे बल्कि जिन-जिन पर धामी के खास होने का ठप्पा लगा हुआ था, वे भी क्यों चुनाव हार गए? इस तरह के जिन लोगों का नाम लिया जा रहा है, उनमें कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद (Yatishwaranand) भी शामिल हैं। धामी से उनकी नजदीकी जगजाहिर है।
तीरथ सिंह रावत सरकार (Tirath Singh Rawat Government) में यतीश्वरानंद राज्य मंत्री थे। धामी ने उन्हें प्रमोशन देकर कैबिनेट मंत्री बनाया। धामी के कार्यकाल में उनका बहुत रसूख था। लेकिन वह भी धामी के साथ चुनाव हार गए। संयोग यह भी है कि वह राज्य के एकमात्र मंत्री हैं, जो चुनाव हारे हैं। उन्हें छोड़कर सरकार के सभी मंत्री चुनाव जीत गए हैं। धामी के करीबी के तौर पर एक और विधायक संदीप गुप्ता का नाम लिया जाता रहा है। वह हरिद्वार से चुनाव लड़ रहे थे और वह भी हार गए। सीएम के नजदीकी लोगों की फेहरिस्त में आने वाले वाले धन सिंह धामी भी अपना चुनाव नहीं निकाल पाए।
इसी वजह से यह चर्चा शुरू हो गई कि धामी हारे तो हारे, लेकिन जिन लोगों पर उनके नजदीकी होने बात प्रचारित थी, वे क्यों चुनाव हार गए? पॉलिटिक्स में तो कोई किसी की जुबान पर पहरा बिठा नहीं पाता, इसलिए जितने मुंह उतनी बातें। कहा जा रहा है कि जिन वजहों से पुष्कर सिंह धामी को हार का सामना करना पड़ा, लगभग वही सारे कारण धामी के करीबियों की हार से भी जुड़े हुए हैं। देखने वाली बात होगी कि नई सरकार के गठन के बाद पुष्कर सिंह धामी के इन नजदीकी लोगों का क्या रास्ता बनता है? बहुत सारी बातें इस बात पर भी निर्भर करेंगी खुद धामी का क्या रास्ता बनता है?
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