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प्रशासन की पारदर्शी प्रक्रिया के तहत समय पर जानकारीउपलब्ध नहीं कराने वाले जनसूचना अधिकारी कोपच्चीस-पच्चीस हजार रूपए का अर्थदण्ड

छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के सूचना आयुक्त श्री ए.के. अग्रवाल ने प्रशासन की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता एवं जिम्मेदारी को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से निर्धारित समय सीमा में जानकारी उपलब्ध नहीं कराने वाले जनसूचना अधिकारियों को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत अर्थदण्ड अधिरोपित किए हैं। श्री अग्रवाल ने बड़ी कार्रवाई करते हुए चार जनसूचना अधिकारी को 25-25 हजार रूपए का अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी वसूली कर शासन के कोष में जमा कराने निर्देषित किया है।

सूचना का अधिकार किसी भी लोकतंत्र का मूल स्तंभ है। भारत भी एक लोकतांत्रिक देश है किसी भी लोकतंत्र में वास्तविक सत्ता उसके नागरिकों में नीहित होता है। नागरिकों का मूल अधिकार होता है कि वे सरकार से सवाल कर सके, कि जो सरकार उसकी सेवा के लिए बनाई गई है वह क्या कर रही है। विकास के कामों के लिए कितनी राषि खर्च की जा रही है, नागरिकों के टैक्स की राषि कहां जा रही है। इसके अतिरिक्त भी अनेक अहम सवाल हैं। इस प्रकार सूचना का अधिकार वह सषक्त माध्यम है, जिससे जनता सरकार से सीधे सवाल-जवाब कर सकती है। यह कानून इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि जनसूचना अधिकारी से चाही गई जानकारी को 30 दिवस के भीतर उपलब्ध कराना होता है। जनसूचना अधिकारी आधी-अधूरी जानकारी देता है या जानकारी देने से बचने के लिए दस्तावेजों को नष्ट करता है, तो राज्य सूचना आयोग के आयुक्त संबंधित जनसूचना अधिकारी को जुर्माना लगा सकता है।

सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदक श्री गजेन्द्र कुमार साहू ग्राम रानीतराई ने सचिव ग्राम पंचायत (जनसूचना अधिकारी) सिल्हाटीकला जनपद पंचायत डौंडीलोहारा, जिला बालोद से वर्ष 2017 से आवेदन दिनांक 14 जून 2019 तक 14 वें वित आयोग से प्राप्त राशि की जमा और आहरण से संबंधित प्रस्ताव की मूलप्रति की मांग किया था। आवेदक को समय सीमा पर जानकारी और दस्तावेज प्राप्त नहीं होने से मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत डौंडीलोहारा के कार्यालय में प्रथम अपील आवेदन 22 अगस्त 2019 प्रस्तुत किया। प्रथम अपीलीय अधिकारी के द्वारा निर्णय नहीं देने से क्षुब्ध होकर छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में 5 नवंबर 2019 को द्वितीय अपील किया।

राज्य सूचना आयुक्त श्री अग्रवाल ने इसे गंभीरता से लिया। राज्य सूचना आयुक्त ने सचिव ग्राम पंचायत (जनसूचना अधिकारी) सिल्हाटीकला श्री जितेन्द्र कुमार मालेकर, जनपद पंचायत डौंडीलोहारा को आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान किया, किन्तु जनसूचना अधिकारी का जवाब संतोषजनक नहीं था तथा बिलंब के कारण के संबंध में वे अपना स्पष्टीकरण नहीं प्रस्तुत कर सके। श्री अग्रवाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत गुण-दोषों के आधार पर तत्कालीन जनसूचना अधिकारी सिल्हाटीकला श्री जितेन्द्र कुमार मालेकर, जनपद पंचायत डौंडीलोहारा को 25 हजार रूपए की अर्थदण्ड करने के साथ ही कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बालोद, जिला बालोद को अनुशंसा किये हैं।

इसी प्रकार एक अन्य प्रक्ररण में आवदेक विवेक टण्डन रायपुर ने 16 अक्टूबर 2018 को जनसूचना अधिकारी थाना खुर्सीपार जिला दुर्ग को आवेदन प्रस्तुत कर के एल अप्पल के माताजी स्व. के प्रतिमा की मृत्यु दिनांक 13 जनवरी 2018 को हुई थी, जिसका मर्ग क्र. 65/18 है। मृतिका की अंतिम पुलिस जांच प्रतिवेदन कब तक मिलने की संभावना है। एस डी एम द्वारा नस्तीबद्ध हस्ताक्षर वाला अंतिम जांच प्रतिवेदन की सत्यापित प्रति की मांग की गई थी। जनसूचना अधिकारी श्री गोपाल वैश्य(निरीक्षक थाना खुर्सीपार जिला दुर्ग) द्वारा आवेदक को बताया गया कि मर्ग दर्ज नहीं होना पाया गया। जनसूचना अधिकारी के जबाव के विरूद्ध आवेदक ने 26 नवंबर 2018 को प्रथम अपील किया। जनसूचना अधिकारी ने आवेदक को गलत जानकारी प्रदाय की। आवेदक ने 26 फरवरी 2019 को आयेग में द्वितीय अपील प्रस्तुत की।

आयोग में राज्य सूचना आयुक्त श्री अग्रवाल ने आवेदक और जनसूचना अधिकारी के आवेदन और तर्क को सुनकर जनसूचना अधिकारी को कई बार अवसर प्रदान किया कि अपने पक्ष में दस्तावेज उपलब्ध कराएं, किन्तु जनसूचना अधिकारी ने आयोग के समक्ष कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया। आयुक्त श्री अग्रवाल ने तत्कालीन जनसूचना अधिकारी एवं निरीक्षक श्री गोपाल वैश्य थाना प्रभारी वैशालीनगर जिला दुर्ग को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत 25 हजार रूपए का अर्थदण्ड अधिरोपित किया और अर्थदण्ड की वसूली कर शासन के कोष में जमा कराने नगर पुलिस अधीक्षक भिलाई को निर्देशित किया है।

आवेदक कु. मोनिका अधिवक्ता बैरनबाजार रायपुर ने जनसूचना अधिकारी एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी जिला रायपुर (श्री नवनीत स्वर्णकार) द्वारा एक सितंबर 2017 से सितंबर 2018 के मध्य किशोर न्याय बोर्ड के द्वारा बनाई जाने वाली तिमाही रिपोर्ट की सत्यापित छायाप्रति प्रदान करने 15 नवंबर 2018 को आवेदन किया। जानकारी प्राप्त नहीं होने पर 21 दिसंबर 2018 को प्रथम अपील प्रस्तुत किया। प्रथम अपीलीय अधिकारी के द्वारा निर्णय नहीं देने के कारण 26 अप्रैल 2019 का आयोग के समक्ष द्वितीय अपील किया।

राज्य सूचना अयुक्त ने इस प्रक्ररण की सुनवाई करते हुए प्रथम अपीलीय अधिकारी के द्वारा कर्तव्यों में शिथिलता बरतने के कारण अनुशासनात्मक कार्यवाही करने लेख किया गया। आवेदक के अवेदन पर समय पर जानकारी प्रदान नहीं करने और आयुक्त श्री अग्रवाल ने पाया कि अधिनियम की धारा 7 (1) के तहत प्रावधानित समय में विधि सम्मत निराकरण नहीं करने और अपीलार्थी को अवगत नहीं कराया गया। जनसूचना अधिकारी श्री नवनीत स्वर्णकार ने आयोग को संतोषजनक जवाब प्रस्तुत नहीं किया, जिसके आयुक्त ने कारण सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत जनसूचना अधिकारी को 25 हजार रूपए का अर्थदण्ड अधिरोपित किया और डेटा एनालिस्ट श्री करण साहू को स्पष्टीकरण प्राप्त कर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की अनुशंसा की।

आवेदक कृष्ण कुमार सिंह डोमनहिल, चिरमिरी ने जनसूचना अधिकारी मलेरिया विभाग जिला कोरिया को 24 नवंबर 2017 को आवेदन कर वर्ष 2012, 2014 से 2016 में क्रय की गई मलेरिया विभाग द्वारा प्रमाणक और केशबुक की छायाप्रति की मांग की गई। आवेदक ने जानकारी प्राप्त नहीं होने पर 09 जनवरी  2018 को प्रथम अपील प्रस्तुत किया। प्रथम अपीलीय अधिकारी के द्वारा निर्णय नहीं देने के कारण 6 अप्रैल 2018 का आयोग के समक्ष द्वितीय अपील किया। राज्य सूचना आयुक्त श्री अग्रवाल ने आवेदक के आवेदन और तर्क को सुनकर जनसूचना अधिकारी को कई बार अवसर प्रदान किया कि अपने पक्ष में दस्तावेज उपलब्ध कराएं किन्तु सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत जनसूचना अधिकारी डॉ. आशीषकरण को आयोग की ओर से कारण बताओ सूचना जारी किया गया, किन्तु उनके द्वारा सूचना पत्र का कोई जवाब नहीं दिया गया और न ही आयोग के समक्ष कोई जवाब प्रस्तुत किया। आयुक्त श्री अग्रवाल ने तत्कालीन जनसूचना अधिकारी डॉ. आशीषकरण को 25 हजार रूपए का अर्थदण्ड अधिरोपित किया और धारा 19(6) के तहत प्रथम अपीलीय अघिकारी (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बैकुंठपुर) द्वारा प्राप्त आवेदनों का समय पर निराकरण नहीं करने के कारण अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की अनुशंसा संचालक स्वास्थ्य सेवाएं से की है।

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