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मामा-भांजे की हत्या का मामला: कार्रवाई के नाम पर खानापूरी, इंस्पेक्टर और चौकी इंचार्ज लाइन हाजिर

कानपुर में बर्रा निवासी मामा-भांजे की हमीरपुर में हुई हत्या के मामले में लापरवाह बर्रा थाने के एडिशनल एसएचओ व गुजैनी चौकी इंचार्ज को गुरुवार को लाइन हाजिर कर दिया गया। दोनों के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू हो गई है। हालांकि कार्रवाई के नाम पर यह महज खानापूरी है।

जरौली निवासी मयंक (19) उसके भांजे विपुल (17) की लेनदेन के विवाद में 12 मार्च को हमीरपुर के सुमेरपुर थाना क्षेत्र के पत्योरा गांव में गला दबाकर हत्या कर दी गई थी। दोनों शवों को बोरे में भरकर कुएं में फेंक दिया था। हमीरपुर पुलिस ने बुधवार को शवों को बरामद कर खुलासा किया था कि पत्योरा गांव निवासी संतराम, उसके पिता शंकरी व उसके मामा रामस्वरूप ने वारदात को अंजाम दिया है। गुरुवार को पुलिस ने इन तीनों को जेल भेज दिया।
रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय टरकाती रही पुलिस
मामा-भांजे 12 मार्च से लापता थे। उनके परिजन गुजैनी चौकी व थाने के चक्कर लगाते रहे। मगर किसी ने सुनवाई नहीं की। तहरीर भी दी लेकिन गुमशुदगी दर्ज करने के बजाए पुलिस ने परिजनों से कहा था कि वह हमीरपुर में जाकर केस दर्ज कराएं।

दोनों की हत्या होने पर डीसीपी साउथ ने मामले में जांच कराई। इसमें बर्रा के एडिशनल एसएचओ आसिफ सिद्दीकी व गुजैनी चौकी इंचार्ज अशोक कुमार तिवारी दोषी पाए गए। पुलिस कमिश्नर ने जांच के आधार पर दोनों को लाइन हाजिर कर दिया।
निलंबित क्यों नहीं किया
बर्रा पुलिस की मामले में बहुत बड़ी लापरवाही रही। तीन दिनों तक परिजन थाने गए, मगर कार्रवाई नहीं की। लापरवाही की पुष्टि भी हुई लेकिन उच्चाधिकारी ने सिर्फ लाइन हाजिर किया है। सवाल उठ रहा है कि निलंबित क्यों नहीं किया। हालांकि अफसर का कहना है कि विभागीय जांच पूरी होने के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

संजीत अपहरण हत्याकांड से भी सबक नहीं ले रही पुलिस
जून 2020 में बर्रा थाना क्षेत्र में ही लैब टेक्नीशियन संजीत यादव का अपहरण हुआ था। 20 दिन तक पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। बाद में पता चला कि संजीत की हत्या कर दी गई। मामले में तत्कालीन एसएसपी का तबादला हुआ था, जबकि एसपी साउथ, सीओ गोविंद नगर, बर्रा इंस्पेक्टर समेत दस पुलिसकर्मी निलंबित हुए थे। इसके बावजूद पुलिस का रवैया नहीं सुधरा है।